अमृतसर : दमदमी टकसाल ने विवादित फि़ल्म नानकशाह फक़ीर प्रति सख़्त विरोध जताया है और फि़ल्म प्रति सिक्ख कौम अंदर पैदा हुई रोश और गुस्सा को समझते उक्त फि़ल्म को रिलीज करन पर तुरंत पूर्ण पाबंदी लाने की माँग की है। उन्होंने कहा कि फि़ल्म रिलीज हुई तो सिक्ख कौम की भावनाय भडक़ सकतीं हैं। जिस के साथ निष्कर्ष के तौर पर निकलने वाले संभावी बुरे नतीजों और अन सुखदायक माहौल के लिए फि़ल्म के निर्देशक के इलावा केंद्र और पंजाब सरकार जि़म्मेदार होगी।
दमदमी टकसाल के प्रमुख और संत समाज के प्रधान संत ज्ञानी हरनाम सिंह ख़ालसा 13 अप्रैल 1978 दौरान नरकधारियें ( नकली निरंकारियें) की तरफ से वरताए गए ख़ूनी साका दौरान शहीद हुए 13 सिंहों की याद में 14 अप्रैल को स्थानिक बी ब्लाक रेलवे कालोनी में दमदमी टकसाल की तरफ से मनाए जा रहे चालीसवाँ शहादत यादगार समागम की तैयारियों का जायज़ा लेने आए थे, ने कहा कि दमदमी टकसाल उक्त फि़ल्म प्रति पहले भी सख़्त ऐतराज़ जता चुकी है।गुरू साहिबान और उनके पारिवारिक सदस्यों का किरदार किसी भी मानव की तरफ से निभाया जाना सिक्खी सिद्धांतों का उल्लंघन है।ऐसा कर कर फि़ल्म के निर्देशक ने सिक्खों की भावनायों को बहुत गहरी ठेस पहुंचायी है। ऊपर से फि़ल्म रिलीज करन के लिए निश्चित तारीख़ का ऐलान कर कर निर्देशक ने जलती हुई पर तेल डालते देश विदेश में विरोध कर रही सिक्ख कौम को ही चुनौती देते टकराव की स्थिति पैदा करदिती गई है। माहौल खऱाब हुआ या शान्ति भांग हुई तो इस की जि़म्मेदारी फि़ल्म निर्देशक, केंद्र और पंजाब सरकार पर होगी। उनकेंद्रीय फि़ल्म सैंसर बोर्ड को भी उक्त फि़ल्म के लिए जारी सर्टिफिकेट रद्द करन और पंजाब और केंद्र सरकार को फि़ल्म की रिलीज पर पाबंदी लाने के लिए तुरंत कार्यवाही करन के लिए कहा है।
उन्होंने बताया कि’78 के बैसाखी शौर्यगाथा के 13 शहीद सिंहों की याद में गूह: शहीद गंज बीज ब्लाक रेलवे कालोनी में दमदमी टकसाल की तरफ से 14 अप्रैल 2018 को मनाए जा रहे चालीसवाँ शहादत समागम दौरान शहीदों के परिवारों का सम्मान किया जायेगा।उन्होंने बताया कि 40 साल पहले’78 की बैसाखी पर अमृतसर की पवित्र धरती पर नरकधारियें की तरफ से श्री गुरु ग्रंथ साहब जी की आन शान खि़लाफ़ झूठ प्रचार किया जा रहा था। जिस को रोकनो के लिए दमदमी टकसाल के चौधवे प्रमुख संत ज्ञानी जर्नैल सिंह जी ख़ालसा भिंडरावालों की तरफ से दमदमी टकसाल और अखंड कीर्तनी जत्थो के सिंहों का जत्था रवाना किया गया, गुरबानी और नाम सिमरन करते शांतमयी रोश प्रदर्शन कर रहे सिंहों पर नरकधारियों ने अंधाधुन्ध गोलियाँ चला दी जिस के साथ 13 सिंह शहीद और अनेकों ज़ख्मी हो गए थे। इस मौके उन्होंने पूरी श्रद्धा उत्साह के साथ उमस हुमा कर शहादत समागम में शिरकत करन के लिए संगत से अपील की है। इस मौके जत्थेदार बाबा अजीत सिंह, बाबा निरवैर सिंह, जत्थे: जर्नैल सिंह, बाबा कुन्दन सिंह, बाबा जगीर सिंह, भाई प्रनाम सिंह, भाई सतनाम सिंह, भाई शमशेर सिंह, भाई निर्मल सिंह, भाई प्रभजीत सिंह और पिरो: सरचांद सिंह भी मौजूद थे।