भक्त सदैव ईश्वर के प्रति शुकराने के भाव में रहता है -निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी

नई दिल्ली  : एक सच्चा भक्त सदैव प्रभु परमात्मा के प्रति शुकराने का भाव ही रखता है। उसकी भावना प्रशंसा प्राप्त करने की नहीं होती बल्कि वह प्रभु की कृपा का पात्र बना रहता है। वह अपनी भक्ति की ऊंचाईयों को भी छू रहा हो तो उसका भाव शुकराने का ही होता है। यह भाव आज निरंकारी सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने दिल्ली में रविवारीय सत्संग को आशीर्वाद प्रदान करते हुए प्रकट किये। यह जानकारी होशियारपुर ब्रांच की मुखी माता सुभदरा देवी जी ने दी।

 यह उल्लेखनीय है कि आज का रविवारीय सत्संग उनके अध्यात्मिक प्रमुख के रूप में प्रथम सत्संग था। भारी वर्षा के बावजूद सत्संग में हजारों श्रद्धालु-भक्तों ने भाग लिया। श्रद्धालु-भक्त न केवल दिल्ली व ग्रेटर दिल्ली से ही आयें बल्कि देश के अन्य भागों से भी आये थे। कुछ दूरदेशों से आये हुए भक्तों ने भी सत्संग में भाग लिया।

सद्गुरु माता जी ने कहा कि वे नमस्कार के लिए आने वाले प्रत्येक भक्त की भोली मुस्कान से प्रभावित हुए और उन्होंने कामना की कि प्रत्येक भक्त अपनी भक्ति को भी इसी भोलेपन से निभाये। उन्होंने कहा कि भक्त प्रशंसा के भाव से नहीं बल्कि प्रेम तथा कृतज्ञता के भाव से ही प्रेरित होकर भक्ति करता है।

सत्संग में विभिन्न भाषाओं-हिन्दी, पंजाबी, अंग्रेजी तथा नेपाली में प्रवचन, भक्ति गीत तथा कविता प्रस्तुत किये गये। इनका भाव था कि सद्गुरु निराकार प्रभु का साकार रूप है और उसी श्रद्धा तथा सत्कार का पात्र है जो ईश्वर के लिये होती है।

 

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