लुधियाना (अजय पाहवा) ढींगरा गैस्ट्रोएंटोलोजी क्लीनिक में लीवर रोग जांच कैंप में 150 मरीजों की जांच, 10 फीसदी मरीज पाए गए हेपेटाइटिस बी व सी से पीड़ित। सलेम टाबरी स्थित ढींगरा गैस्ट्रोएंटोलोजी क्लीनिक में लीवर रोगों का चेकअप कैंप लगाया गया। कैंप में एसपीएस अस्पताल के कंसलटेंट डॉ.जसमीर सिंह ढींगरा ने 150 से अधिक मरीजों का चेकअप किया। इस दौरान मरीजों को मुफ्त दवाइयां दी गई। कैंप में स्क्रीनिंग के दौरान करीब 10 फीसदी मरीज हेपेटाइटिस सी इंफेक्शन से पीड़ित पाए गए, जिनका इलाज व कौंसलिंग दी गई। कैंप के दौरान मरीजों के जरूरी ब्लड, लीवर फंक्शन, रीनल फंक्शन, ब्लड शूगर के टैस्ट व हेपेटाइटिस बी, सी व फाइब्रोस्कैन किए गए। इस कैंप का मकसद लोगों को फैटी लीवर, हेपेटाइटिस बी व सी के बारे में पूरी तरह से जागरूक करना था।
इस दौरान डॉ.जसमीत ने मरीजों को लीवर रोगों से बचने के लिए जागरूक भी किया। युवाओं को अपने लीवर को सेफ रखने के लिए शराब व ड्रग्स के सेवन से गुरेज करने के लिए प्रेरित किया जा सके। उन्हें खानपान की अच्छी आदतें अपनाने व शरीर के वजन को नियंत्रित रखने के बारे में भी जागरूक किया गया। डॉ.जसमीत ने कहा कि हेपेटाइटिस बी, सी लीवर सिरोसिस की सबसे बड़ी वजह बन रहा है। इससे हर साल करीब 1.4 मिलीयन मौतें हो रही हैं। लीवर रोग से होने वाली ज्यादातर मौतों के पीछे हेपेटाइटिस बी व सी वजह होते हैं। दुनिया भर में हेपेटाइटिस बी व सी लीवर कैंसर की भी एक बड़ी वजह बन रहा है।
हेपेटाइटिस रोग दुनिया के किसी एक हिस्से तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दुनिया के कोने-कोने में महामारी की तरह पैर पसार रहा है। पंजाब में इंजेक्शन से नशा लेने के दौरान सीरिंज शेयर करने की वजह से हेपेटाइटिस रोग ज्यादा पाय जा रहा है, जो लोगों के लीवर को खराब कर रहा है।
हालांकि गंभीर बात यह है कि ज्यादातर हेपेटाइटिस रोगी अपनी बीमारी से ही अनजान हैं। अनुमान के मुताबिक दुनिया भर में 325 मिलीयन लोग हेपेटाइटिस से पीड़ित हैं, जिनमें से 290 मिलीयन अपने रोग से ही अनजान हैं। इस वजह से ज्यादातर केस उस स्टेज में इलाज के लिए आते हैं, जब तक लीवर काफी डैमेज हो चुका होता है। कई मरीजों की स्टेज तो लीवर ट्रांसप्लांट तक पहुंच चुकी होती है। डॉ.जसमीत ने बताया कि इन दिनों फैटी लीवर डीजिज भी काफी बढ़ रही है। किसी व्यक्ति में शूगर व फैटी लीवर डीजिज दोनों रोग एक साथ हों तो यह काफी खतरनाक साबित हो सकते हैं। अगले दशकों में लीवर को नुक्सान पहुंचाने के मामले में शराब से ज्यादा फैटी लीवर डीजिज बड़ी वजह बन जाएगी।