जालन्धर : धान के अवशेषों के मामले हर वर्ष घटने के कारण पंजाब में जालंधर प्रमुख जिले के रूप में उभरा है। डिप्टी कमिशनर जालंधर श्री वरिन्दर कुमार शर्मा ने बताया कि वर्ष 2014-15 में 1.67 लाख हेक्टेयर जमीन पर धान की बिजवाई हुई थी और धान की पैदावार 6.6 लाख मैट्रिक टन थी। इस तरह वर्ष 2015-16 में 1.68 लाख हेक्टेयर जमीन पर धान की बिजवाई हुई थी और धान की पैदावार 6.53 लाख मैट्रिक टन थी। इस तरह वर्ष 2016-17 में 1.70 लाख हेक्टेयर जमीन पर धान की बिजवाई हुई थी और धान की पैदावार 6.99 लाख मैट्रिक टन थी और वर्ष 2017-18 में 1.71 लाख हेक्टेयर जमीन पर धान की बिजवाई हुई थी और धान की पैदावार 7.15 लाख मैट्रिक टन है।
इस तरह श्री शर्मा ने बताया कि वर्ष साल 2014-15 में 8.15 लाख टन धान की पराली पैदा हुई थी, 2015-16 थी 8.824 लाख टन, 2016-17 में 9.70 लाख और 2017-18 में 10.05 लाख टन पैदा हुई है। उन्होने बताया कि जिला प्रशासन और कृषि विभाग के अंथक प्रयासों के अनुरूप धान की पराली को जलाने के मामलों में लगातार गिरावट देखने को मिली है। उन्होने मामलों की जानकारी देते हुए कहा कि 2014-15 में धान की 80 प्रतिशत नाड जलाई गई थी जोकि 2015-16 में 70 प्रतिशत थी, 2016-17 में 60 प्रतिशत और 2017-18 में सिर्फ 40 प्रतिशत मामले सामने आए हैं। श्री शर्मा ने बताया कि इस वर्ष जिला प्रशासन पूरी तरह वचनबद्ध है कि धान की पराली का कोई भी मामला न सामने आए।
डिप्टी कमिशनर ने बताया कि धान के अवशेषों को जलाने की बिजाए धान के अवशेषों से निपटने के लिए कृषि के उपकरणों को स4िसडी पर ले कर जिले को प्रदूषण मुक्त बनाया जाये। उन्होने बताया कि पंजाब के मुख्य मंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह धान की पराली के मामलों को गंभीरता से लेकर किसानों को बहुत अत्याधुनिक कृषि उपकरणों और भारी सब्सिडी उपलब्ध करवा रही हैं जिससे धान के अवशेषों का सही तरह से निपटारा किया जा सके। उन्होने कहा कि धान की पराली को जलाने से जहाँ मिट्टी की उपजाऊ शक्ति काफी कम होती है वही वातावरण में काफ़ी हानिकारक गैसे पैदा करती है।