जिले में 206 किसानों के काटे चलान

अमृतसर  :फसलों के अवशेष – जिस में धान की पराली व गेंहू का नाड़ विशेष तौर पर शामिल हैं, को बिना जलाए खेत में मिला देने से खेत की पैदावार शक्ति बढ़ती है। यह जानकारी कृषि अधिकारी डा. दलबीर सिंह छीना ने देते हुए बताया कि कंबाइन के साथ काटे धान वाले खेतों में हैपीसीडर मशीन के साथ गेहूँ की सीधी बिजाई करने पर ही प्रति एकड़ किसान का 2000 से 2500 रुपए की बचत होती है, वहीं बिजाई 7-8 दिन पहले हो जाती है, जो कि गेहूँ पैदावार में 3 क्विंटल तक की बढ़ोतरी करती है। उन्होंने बताया कि इस के अतिरिक्त हैपी सीडर से की गई गेहूँ की बिजाई में पराली खाद का काम करती है, जिस से गेहूँ व अन्य फसल में रसायनिक खाद डालने की जरूरत कम होती है। उन्होंने बताया कि विभाग की तरफ से बड़े स्तर पर इस तरह की मशिनरी सबसिडी पर किसानों को दी जा रही है और जिन किसानों ने इस के लिए आवेदन दिए थे, उन को उक्त मशिनरी की सबसिडी बैंक के द्वारा दी जा रही है।

स. छीना ने बताया कि भले ही अभी जिले में पहले लगाए धान 1509 और कुछ अन्य हाइब्रिड किस्मों की कटाई हुई है, जिस अधीन केवल करीब 19 प्रतिशत क्षेत्रफल था, लेकिन उ मीद है कि इस बार किसानों से मिल रही स्वीकृति हमें 60 प्रतिशत से अधिक अवशेष को खेतों में मिलाने की सफलता मिलेगी। उन्होंने बताया कि दूरदर्शी सोच रखने वाले किसानों ने इस को हंस कर स्वीकृत किया है।

उन्होंने कहा कि पंजाब में प्रत्येक वर्ष करीब 210 लाख टन धान की पैदावर होती है और इस पराळी से खाद बनाने की ज़रूरत है, न कि जलाने की। उन्होंने बताया कि जिले में उपग्रह से मिली जानकारी के अनुसार 359 स्थानों पर पराळी जलाने की खबरें मिलीं, जिन में से 284 स्थानों पर टीमें ने स्वयं पहुंच कर मौके पर देखा और 206 किसानों को पराळी जलाने के कारण 5 लाख 60 हज़ार रुपए का जुर्माना किया, जिस में से 2,12500 रुपए मौके पर वसूल किए गए हैं। उन्होंने बताया कि अब किसानों में जागरूकता आ रही है व सफल किसान पराली की संभाल करने लगे हैं उ मीद है कि इस बार जिले में से अच्छे परिणाम सामने आएंगे।

Check Also

खाद्य सुरक्षा विभाग ने नामी डेयरियों पर कसा शिकंजा

मिलावटखोरों को बख्शा नहीं जाएगा: सिविल सर्जन डॉ. किरणदीप कोर कल्याण केसरी न्यूज़, अमृतसर, 22 …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *