लुधियाना (अजय पाहवा ) ये एक कहानी है 20 साल के लड़के सिद्धार्थ की, जिसकी पीठ ने उसका साथ देना बंद कर दिया।दर्द इतना कि चलना उठना बैठना मुहाल हो गया। ये सब इसलिए क्योंकि सालों से सिद्धार्थ कीजिंदगी में उठने बैठने के तरीकों ने उसकी पीठ की कमर तोड़ दी। पिछले सात से अाठ महीनोंतक तमाम डॉक्टरों व इलाज कराने के बाद कल्याण अस्पताल के सीनियर स्पाइन सर्जन वडॉयरेक्टर डॉ राजिंदर सिंह के पास इलाज के लिए अाया और उस पर एंडोस्कोपिक स्पाइनसर्जरी की गई, जिसके बाद वह दोबारा अपनी रूटीन लाइफ जीने के काबिल हो पाया। बता दें किडॉ राजिंदर एकलौते एेसे डॉक्टर हैं जो एंडोस्कोपिक सर्जरी कर रहे हैं। डॉ. राजिंदर ने बताया कि कमर दर्द से ग्रस्त सभी मरीजों को सर्जरी की जरुरत नहीं पड़ती।हमारे पास रोजाना 60-70 मरीज कमर दर्द को लेकर आते हैं इनमें से 5-6 हैं जिनके लिए सर्जरीही एक मात्र विकल्प है वह भी इस बात से अंजान हैं कि स्पाइन सर्जरी में मात्र एक छोटे से कटके साथ भी सर्जरी की जा सकती है।
लुधियाना में अधिकतम डॉक्टर भी इस बात से अंजान हैं।इस सर्जरी के बाद मरीज मात्र एक सप्ताह के भीतर ही दोबारा चलने फिरने लायक हो जाता है। लोगों में यह भी एक बड़ा भ्रम है कि स्पाइन सर्जरी गलत होने से पैरालीसिस के साथ साथ अन्यजानलेवा दिक्कतें सामने अाकर खड़ी हो जाती है। इस एंडोस्कोपिक स्पाइन सर्जरी में इस भ्रमके लिए कोई जगह ही नहीं है। यह एक सबसे सुरक्षित माध्यम है जिससे मरीज की कमर याडिस्क की दिक्कत का इलाज तो होगा ही साथ में पोस्ट सर्जरी दिक्कतों से भी निजात मिलजाती है। यही कारण है कि हमने मिशन स्पाइन के तहत यह प्रोग्राम की शुरूआत की है जिससेअधिकतम लोगों को पीठ की दिक्कतों को लेकर ज्यादा से ज्यादा जागरूक किया जा सके।