अमृतसर : नेशनल गतका एसोसिएशन ऑफ इंडिया (रजि़.), विश्व गतका फेडरेशन (रजि़.) और इंटरनेशनल सिक्ख मार्शल आर्ट अकैडमी (रजि़.) ने आज एक लिखित पत्र के द्वारा जत्थेदार श्री अकालतख्त साहब, सिंह साहिब गियानी हरप्रीत सिंह से माँग की है कि दिल्ली स्थित एक निजी प्रोप्राइटरशिप वाली लिमटिड कंपनी द्वारा गतका और सिक्ख शस्त्र विद्या को ट्रेड मार्क के अंतर्गत पेटैंट करानेकी अवज्ञा करने के बदले तुरंत सिक्ख कौम से माफी मंगवाई जाये और इन दोनों ट्रेड मार्कों को तुरंत रद्द करवाने का दोषी फर्म और उसके मालिक को सख्त आदेश दिया जाये।
यहां नेशनल गतका एसोसिएशन ऑफ इंडिया (रजि़.) के प्रधान हरजीत सिंह ग्रेवाल, विश्व गतका फेडरेशन (रजि़.) के सचिव बलजीत सिंह और इंटरनेशनल सिक्ख मार्शल आर्टअकैडमी (रजि़.) के कॉआर्डीनेटर गुरप्रीत सिंह राजा ने श्री अकाल तख्त साहिब के सचिवालय में सिंह साहिब के प्रतिनिधि भाई जसपाल सिंह इंचार्ज सचिवालय के साथ मुलाकात करके यह पंथकमामला दस्तावेज़ों सहित लिखित रूप में पेश करते हुये बताया कि इस निजी स्वामितव वाली लिमटिड कंपनी के मालिक हरप्रीत सिंह द्वारा ‘सिक्ख शस्त्र विद्या’ और ‘गत्तके’ के नामों को ट्रेड मार्ककानून के अंतर्गत जून 2018 को दिल्ली से पेटैंट करवा लिया है जबकि सिक्ख शस्त्र विद्या और गतका कला सिक्ख इतिहास और विरासत के साथ जुड़ी, गुरू साहिबान द्वारा बसाई, समुची कौम कीविरासती, गौरमवयी और पुरातन खेल है जिसको कोई भी रजिस्टर्ड या पेटैंट करवा कर मालिक नहीं बन सकता। उन्होंने संबंधित कंपनी के विरुद्ध सख्त कार्यवाही की माँग करते हुये कहा कि उपरोक्त कंपनी की इस ग़ैर कानूनी कार्यवाही से सिक्ख कौम की धरोहर और विरासत को बड़ी चोट लगी हैजिस कारण श्री अकाल तख्त साहिब के तुरंत दख़ल और सख्त कार्यवाही की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि यदि इस समय पर इस अहम मुद्दे पर सिक्खों की सुप्रीम संस्था ने दख़ल न दिया तो भविष्यमें सिक्ख विरासत, गुरू इतिहास और धार्मिक चिन्हों के प्रयोग पर भी बहुत बुरा प्रभाव पड़ सकता है जिसकी कभी भी प्रति पूर्ति नहीं हो सकेगी। इसके अलावा धार्मिक चिन्हों या सिक्ख धरोहर कीअन्य चीजों या नामों को पेटैंट करवाने की होड़ लग जायेगी।
गतका प्रोमोटर ग्रेवाल ने कहा कि भारतीय कंपनी कानून के अंतर्गत रजिस्टर्ड इस निजी फर्म ने समुची सिक्ख शस्त्र विद्या को ट्रेड मार्क कानून के अंतर्गत पेटैंट करवा के सिक्ख धर्म औरसिक्ख इतिहास के साथ भद्दा मज़ाक किया है जोकि समुची सिक्ख कौम को चुनौती देने के समान है। इस फ़र्म का एकाएक ही मकसद सिक्ख धरोहर के साथ जुड़ी वस्तुओं पर कब्ज़ा करके मालिकबनना है क्योंकि इस तरह होने से भविष्य में किसी को भी गतका खेलने और सिक्ख शस्त्रोंं का प्रयोग करने, गत्तके समेत विभिन्न शस्त्रों के नाम लिखने, इस्तेमाल करने या इन संबंधी पुस्तकेलिखने, खोज करने आदि समेत मनाही होगी और सिक्ख शस्त्र विद्या संबंधी मंजूरी इस नाम को पेटैंट करवाने वाले व्यक्ति की कंपनी से लेनी पड़ेगी जिसके लिए पैसे भी चुकाने पड़ेंगे।
उन्होंने जत्थेदार साहिब के ध्यान में लाया कि भारतीय ट्रेड मार्क कानून के अनुसार किसी नयी खोज, नयी तकनीक या नया नाम होने पर ही पेटैंट करवाया जा सकता है जबकि गतकाऔर सिक्ख शस्त्र विद्या तो पुरातन गुरू इतिहास, गुरूबानी, सिक्ख सभ्याचार, धर्म और विरासत का अटूट अंग है जिस पर कब्ज़ा करने, इस धरोहर को बेचने या इसके द्वारा पैसा कमाने की छूट किसीको भी नहीं दी जा सकती। उन्होंने यह भी बताया कि इसी निजी कंपनी द्वारा ही दिल्ली में ‘वल्र्ड गतका लीग’ करवाई जा रही है जिस संबंधी नेशनल गतका एसोसिएशन और विश्व गतका फेडरेशन से कोई मंजरी नहींली जबकि केंद्र सरकार द्वारा लागू किये ‘नेशनल स्पोर्टस कोड’ और ‘भारतीय ओलम्पिक चार्टर’ के अनुसार ऐसी मंजूरी या सहमति लेनी लाजि़मी है।