नई दिल्ली : ब्रह्मज्ञान इंसान को सभी बंधनों से मुक्त कर देता है क्योंकि जब इंसान ब्रह्मज्ञान प्राप्त कर लेता है तो उसे कोई भी बेगाना नजर नहीं आता बल्कि सभी अपने नजर आना शुरु हो जाते है। उक्त विचार निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने नेपाल की राजधानी काठमांडू में आयोजित निरंकारी संत समागम के दौरान पेश किए। निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने कहा कि संत महापुरुष हमेशा ही वैर, विरोध, नफरत, निंदा से जलते हुए संसार में प्यार, विनम्रता, सहनशीलता व अन्य दैवी गुणों का पानी डालकर शांत करने का यत्न करते आए है तथा करते रहेंगे। उन्होंने इंसान को जीवन जीने की कला के बारे में विस्तारपूर्वक समझाते हुए कहा कि अगर कोई इंसान किसी का नुक्सान करने का सोचता है उससे पहले उसका खुद का नुक्सान होता है। क्रोध करने वाला इंसान अपना जितना नुक्सान करता है इंसान के क्रोध करने से शायद ही किसी दूसरे का नुक्सान होता होगा। उन्होंने कहा कि गुरसिख किसी का नुक्सान करना तो दूर की बात नुक्सान करने के बारे में सोचता भी नहीं है।
निरंकारी मिशन में जब इंसान आता है उसका ना तो पहरावा बदला जाता है तथा ना ही बोली बदली जाती है बल्कि ब्रह्मज्ञान देकर इस निरंकार प्रभु से जोडक़र मन के भावों में बदलाव किया जाता है। जब इंसान के मन में बदलाव आता है तो उसके मन में से किसी के प्रति नफरत के भाव खत्म हो जाते है तथा मानवता के गुण जीवन में प्रवेश होने शुरू हो जाते है। उन्होंने कहा कि अगर इस धरती तथा वातावरण को सुंदरता प्रदान करनी है तो उसके लिए इंसान के जीवन में ब्रह्मज्ञान का आना बेहद जरूरी है क्योंकि उसके बाद में ही इंसान के सोच में बदलाव आता है। इस दौरान महात्मा रमित चानना सहित संत महापुरुषों ने अपने विचार पेश किए। इस दौरान गीतकार महात्मा जगत ने मैने नाम की दौलत पाई शब्द गायन करके इस ब्रह्मज्ञान की दौलत की महत्ता के बारे में समझाने की कोशिश की। अंत में प्रबंधक महात्माआें ने निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज व आई हुई संगत का धन्यवाद किया।
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