कल्याण केसरी न्यूज़ अमृतसर: ( राहुल सोनी ) वरिष्ठ भाजपा नेता राजिंदर मोहन सिंह छीना ने पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा अभिभावकों से स्कूल दाखिला फीस वसूलने के फैसले का स्वागत किया है।उन्होंने कहा कि इससे मदहाली की तरफ जा रहे शिक्षण संस्थाओं की आर्थिक हालत स्थिर होगी। छीना ने कहा कि पिछले कई दिनों से कोरोनावायरस के मद्देनजर जारी कर्फ्यू के कारण प्रदेश की समूह शिक्षण संस्थाएं बंद होने के बावजूद भी अधिकतर अगले साल 2020- 21 से बंदी ऑनलाइन पढ़ाई बच्चों को प्रदान करवा रही थी। प्रदेश कांग्रेस सरकार द्वारा डाले गए बखेड़ा के कारण कई बच्चों के अभिभावक स्कूल दाखिला फीस देने में असमंजस में थे।
उन्होंने कहा कि अदालत द्वारा लिया गया फैसला बहुत ही प्रशंसनीय है इसके साथ मायूस हुए अध्यापकों को उनका वेतन देने के साथ मदहाली की तरफ जा रही शिक्षण संस्थाओं की हालत में सुधार भी होगा।उन्होंने कहा कि प्रदेश में अधिकतर शिक्षण संस्थान अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए स्टाफ द्वारा बच्चों के भविष्य को संवारने में लगे हुए हैं तथा वह घर बैठे ही बच्चों को अपना समय देते हुए संपूर्ण ऑनलाइन पढ़ाई करवा रहे हैं।
छीना ने कहा कि अदालत ने स्कूल के साथ अभिभावकों की आर्थिक स्थिति को भी ध्यान में रखा है जिसके तहत जिन बच्चों के अभिभावकों की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं है तो वह अपने वित्तीय हालात के बारे में बता सकते हैं जिससे बंदी स्कूल द्वारा विचार करके बच्चे की फीस को माफ़ भी किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले के साथ स्कूलों पर मंडरा रहे संकट तथा मैनेजमेंट व विद्यार्थियों के मध्य बढ़ रही दूरियां मिट जाएंगी। अदालत द्वारा इस फैसले के साथ बिगड़ रहे हालात पर रोक लगी है। पिछले दिनों प्रदेश सरकार द्वारा स्कूल फीस मामले संबंधी दोहरी बयानबाजी के कारण विद्यार्थियों अध्यापकों तथा विद्यार्थियों के अभिभावकों के मध्य दरार दिन ब दिन बढ़ती जा रही थी जो शिक्षण प्रसार को निम्न स्तर पर ले जा रही थी।
छीना ने कहा कि उक्त फैसले के साथ एजुकेशन उच्च स्तर पर प्रफुल्लित होगी। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन समय के दौरान कई स्कूल प्रबंधक चाहे वह कितने भी अमीर क्यों ना हो लंबे समय तक स्कूल का खर्चा बिना अभिभावकों से फीस लिए नहीं चला सकते थे। उन्होंने समूह शिक्षण संस्थानों को अपील करते हुए कहा कि अदालत द्वारा जारी स्कूल दाखिला फीस को ध्यान में रखते हुए संस्थाओं की स्थिति के साथ अभिभावकों के वित्तीय हालात पर भी सोच विचार करके उनसे पीस लें ताकि जो संस्थानों में अपनी जिम्मेदारी निभा रहे नॉन टीचिंग व टीचिंग स्टाफ का गुजारा चल सके।