कंगना और महाराष्ट्र सरकार के विवाद ने यह दिखाया कि सत्ताधारी कैसे करते हैं मनमर्जी और धक्केशाही

कल्याण केसरी न्यूज़ अमृतसर,10 सितम्बर : पिछले कुछ दिनों से कंगना और महाराष्ट्र सरकार के बीच चल रहे विवाद ने यह दिखा दिया है कि सत्ताधारी कैसे अपनी मनमर्जी और धक्केशाही करते हैं। जो उनको ठीक लगता है उसको लागू करवाने के लिए किस हद तक जा सकते हैं। बालीवुड अदाकारा कंगना रणौत और महाराष्ट्र सरकार के बीच जो कुछ भी घटनाक्रम हुआ है वह किसी से भी छिपा हुआ नहीं है। यह कहना तो मुशिकल है कि कौन गलत है या कौन सही परन्तु जो हो रहा है उसको किसी तरह भी सही कहना अक्लमंदी नहीं कहा जा सकता है। इस घटनाक्रम में एक बात यह भी खुल कर सामने आई है कि जब तक आप चुप हो तब तक सही हो परन्तु गलती के साथ भी अगर सरकार के खिलाफ या उन्होंने से कोई सवाल पूछ लिया तो आपके ऊपर शिंकजा कसना शुरू कर दिया जाता है। वहां यह बात शायद सरकार भूल जाती है अगर कोई सवाल उठा रहा है या खिलाफ कोई बोल रहा है, उसका कोई निजी उद्देश्य नहीं होता बल्कि न्याय की माँग की जाती है। सरकारों को यह धक्कशाहियां और मनमर्जीयों को छोड़ कर लोगों की बात को सुनना चाहिए नहीं तो जिस समय पर आप लोगों को अपनी बात सुनानी है तो यदि लोगों ने न सुनी तो बहुत ही मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि कंगना रणौत द्वारा कुछ बोला गया था, जिस पर सरकार को इतराज था तो उसको उस पर कानूनी कार्यवाही करनी चाहिए थी ना कि उसके द्वारा बनाई गई कोई इमारत का हिस्सा गिराना चाहिए था। सरकार द्वारा एेसा कदम उठाने से जहां लोकतंत्र की हत्या कहा जा सकता है वहीं सही या गलत का फैसले के सही तरीके को छोड़ कर गलत कदम उठा कर सरकार ने कंगना रणोत की कहानी को नया ही रूप दे दिया, जिससे वह लोगों के मनों में भी अपनी पहचान बनाने में कामयाब होती दिखाई दे रही है। जब कोई व्यक्ति कोई गलती करता है तो उसके लिए कानून बने हुए है, उसको गलती की सजा देने का एक तरीका है जो कि सभी के लिए है यदि सत्ताधारी ही इसको नहीं मानेंगे तो फिर कानून की पालना किस तरह से होगी। 

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