कल्याण केसरी न्यूज़ जालंधर, 3 मई: आज यहाँ कुल हिंद किसान सभा के राष्ट्रीय प्रधान और सी.पी.आई. (ऐम.) के पोलिट ब्यूरो मैंबर कामरेड अशोक धावले ने पत्रकारों के साथ बातचीत करते कहा है कि देश को बचाने के लिए सांप्रदायक और कॉर्पोरेट गठजोड को हराना ज़रूरी है। उन्होंने सी.पी.आई. (ऐम.) की 23 भी पार्टी कांग्रेस जो पिछले दिनों कन्नूर (केरला) में हुई, की रिपोर्टिंग करते कहा कि सी.पी.आई. (ऐम.) जहाँ सांप्रदायक सक्ते के ख़िलाफ़ लड़ने के लिए अपनी सकती बढ़ाये गए वहां बांये समर्थकी, धरमनिरपक्खता सक्ते को इकट्ठा करके बी.जे.पी. और कॉर्पोरेट गठजोड के ख़िलाफ़ संघरश ओर तीखा करेगी। साथी धावले ने कहा कि बी.जे.पी. के राज दौरान एक फिरके को दूसरे फ़िरके साथ लड़ाउण के लिए सकी हालात पैदा किये जा रहे हैं। दलितों,औरतें, मुसलमानों और अल्पसंख्यकों पर हमले किये जा रहे हैं और आपसी भाईचारे को बाँटने की कोशिश की जा रही है।
सी.पी.आई. (ऐम.) ने हमेशा ही देश की एकता और अखंडता को कायम रखें के लिए अनेकों बलियों दीं हैं और अब भी हर राज में इस मुहिम को तेज करने के लिए कोशिशें की जा रही हैं। साथी धावले ने कहा कि मोदी राज दौरान मुट्ठी भर अमीर लोगों के लाे ही बढ़े हैं और गरीब लोग ओर गरीब हो रहे हैं। हमारा देश भुखमरी का सिकार हो रहा है और दुनिया के नक्से और इसका 101 वें नंबर है। उन्होंने आगे कहा कि पैट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में लगातार विस्तार हो रहा है और केंद्र सरकार ने 65 -70% विस्तार करके गरीब लोगों का कचूम्बर निकाल दिया है। मोदी सरकार ने 2014 में गद्दी पर बैठते ही हर साल दो करोड़ लोगों को नौकरी देने का वायदा किया थी। 2013 से 2021 तक 6करोड़ लोगों की नौकरी चली गई। साथी धावले ने आंकड़े पेस करते बताया कि गरीबी रेखा से नीचे रह रहे लोगों की संख्या 2019 में 6करोड़, 2020 में 13 करोड़ और 2021 में 20 करोड़ हो गई है।
इस के साथ मोदी सरकार का कच्चा चिट्ठा सामने आया है। केंद्र सरकार के कॉर्पोरेट घरानों को देश बेचने के सपने पूरे हो रहे हैं। जैसे रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट और ओर सरकारी इमारतें को बेचना देश के लिए घातक सिद्ध हो रहा है। उन्होंने ऐतिहासिक किसानी संघरश और बोलते कहा कि इस संघरश दौरान 715 किसान शहीद हुए हैं। संघरश एक साल चला और मुझे मान है कि इस संघरश की शुरूआत पंजाबियों ने की। साल भर चले इस आंदोलन के साथ खेती के साथ सम्बन्धित तीन काले कानून रद्द करवाने के लिए सफल हुए हाँ। उन्होंने स्वामीनाथन रिपोर्ट का जैसे करते कहा कि 1995 से ले कर अब 2020 तक चार समझ किसान ख़ुदकुशियें कर गए हैं।इस लिए स्वामीनाथन कमिशन की रिपोर्ट को लागू किया जाये और भारत के सभी किसानों और खेत मज़दूरों के कर्ज़े मुआफ किये जाएँ। फ़सल बीमा योजना सख़्ती के साथ लागू की जाये। मज़दूरों के चार लेबर कोड बनाने के फ़ैसले रद्द किये जाएँ। खेत मज़दूरों के लिए मनरेगा में 200 दिन काम और 600 रुपए दिहाड़ी दी जाये तो इस के बजट में विस्तार किया जाये।इस मौके पर बोलते सी.पी.आई. (ऐम.) के सूबा सचिव और कुल हिंद किसान सभा केंद्रीय वर्किंग समिति मैंबर कामरेड सुखविन्दर सिंह सेखों ने कहा कि पंजाब के किसानी मसलों के लिए संघरशें को तीखे किये जाने की ज़रूरत है। उन्हों ने कहा कि पंजाब के बहादुर किसानों ने जहाँ खेती के साथ सम्बन्धित तीन काले कानून रद्द करवाने के लिए सफल मेहनती और लंमें संघरश किया है वहां ही रहते मसले जैसे ऐम.ऐस.पी. के लिए देश स्तरीय कानून लागू करवाने, बिजली संशोधन बिल 2020 और प्रदूशण रहित बिल आदि और संघरश जारी रहेगा। पंजाबी लोगों की यह रवायत रही है कि संघरश लड़े और जीते हैं। साथी सेखों ने कहा कि पंजाब सरकार को किसानों के मसलों की तरफ विशेश ध्यान दे कर हल करने चाहिएं। सूबा वर्किंग समिति की मीटिंग दे फ़ैसले प्रैस को जारी करते कुल हिंद किसान सभा के सूबा सचिव मेजर सिंह पुन्नावाल ने बताया कि मैंबरशिप मुहिम तेज करन, यूनिट, तहसील कान्फ़्रेंसों 10 जुलाई तक मुकम्मल करन और ज़िला कान्फ़्रेंसों 10 अगस्त तक मुकम्मल करने और सूबा कान्फ़्रेंस 27 -28 अगस्त को तरनतारन में करने का फ़ैसला किया गया है।