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बच्चों की पहचान जनतक करना कानूनी अपराध – पवनदीप कौर

कल्याण केसरी न्यूज़ अमृतसर 20 मई 2022:-किसी भी नाबालिग पीडित और कानून विवादें में फंसे बच्चों की पहचान मीडिया रिपोर्टों में जनतक न की जाये जिससे ऐसे बाल या नाबालिग बच्चे को किसी भी तरह के संभावी नुक्सान, कलंक और बदले की कार्यवाही आदि से बचाया जा सके। यह अपील ज़िला बाल सुरक्षा अफ़सर पवनदीप कौर ने करते कहा कि जिस्मानी शोषण के शिकार बच्चो की पहचान जाहर करना जुवेनायल जस्टिस एक्ट 2015 और पोकसो एक्ट 2012 के प्रावधाना की सीधी उल्लंघन है और कानून में सजा और जुर्माने की भी विवस्था है। उन्होंने कहा कि इलैक्ट्रॉनिकस पि्रंट और आनलायन मीडिया के साथ जुड़े व्याकतिया को उक्त कानून बारे जागरूक किया जाये और बताया जाये कि नाबालिग पीढ़ता या कानूनी विवादों में फंसे या विशेष जरूरतमंद बच्चो की पहचान को ज़ाहर न किया जाये

उन्होंने कहा कि अगर खबरों में ऐसे बच्चो की पहचान जाहर हो जाती है तो हो सकता है कि उन को किसी तरह की समस्या का सामना करना पड़े। इस सम्बन्धित उन्होंने उदाहरण देते कहा कि एक बार मीडिया के द्वारा बाल शोषण की शिकार बच्ची के स्कूल और क्लास बारे सूचना जनतक कर दी गई थी, नतीजे के तौर पर भविष्य में उस स्कूल की कथित क्लास दीया छात्राएँ के साथ कोई भी विवाह करने को तैयार नहीं था क्योंकि उन में से कोई एक बच्ची बाल यौन शोसण का शिकार था। उन्होंने बताया कि एक अखबार की न्यूज का हरजानें उस स्कूल की कथित क्लास दीया सार लिया छात्राएँ को भुगतना पड़ा।

उन्होंने कहा कि कानून कहता है जुवेनायल जस्टिस (केयर एंड पो्रटैकशन आफ चिल्ड्रेन) एक्ट 2015 की धारा 74: बच्चो की पहचान ज़ाहर करने पर रोक:1. किसी भी अखबार, रसाले, न्यूज शीट जा आडियो, विजुअल मीडिया जा संचार के किसी ओर साधन में किसी इन्नकुआरी या जांच जा न्यायिक प्रक्रिया बारे छपी जा दिखाई गई रिपोर्ट में सम्बन्धित बच्चो का नाम, पता जा स्कूल और ओर कोई विवरण नहीं दिया जायेगा जिस के साथ उसकी पहचान जाहर हो सकती हो और न ही ऐसे किसी बच्चो की तस्वीर छापी जायेगी अगर इस कानून का उल्लंघन होती है तो 6महीने तक सज़ा या 1लाख रुपए तक ज़ुरमानें या दोनों हो सकते हैं प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फरोम सैकसूअल अफैंनस एक्ट 2012 (2012) पोकसो एक्ट -2012 किसी भी मीडिया रिपोर्ट में ऐसे बच्चो की पहचान नहीं बतायी जायेगी। बशर्ते विशेस अदालत लिखित तौर पर इजाज़त दे जो उसकी राय में पहचान जाहर करना बच्चो के हित में हो। इस कानून का उल्लंघन करन वाले को एक साल तक की शजा जा जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

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