पांवटा साहिब की ऐतिहासिक धरा पर निरंकारी संत समागम का आयोजन

कल्याण केसरी न्यूज़, पांवटा साहिब, 1 दिसंबर 2024: “युगों युगों से इस परमपिता परमात्मा का अस्तित्व शाश्वत और स्थायित्व है। हम मनुष्यों के जीवन में अनेक उतार चढ़ाव आते है किंतु जब हम इस परमात्मा का सहारा लेकर अपना जीवन व्यतीत करते है, इसको अपने जीवन का आधार बना लेते है तब हमारा जीवन वास्तविक रूप से सहज अवस्था वाला बन जाता है।” उक्त प्रतिपादन सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज द्वारा पांवटा साहिब की पावन धरती पर निरंकारी संत समागम में सम्मिलित हुए हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते व्यक्त किए गए।

सतगुरु माता जी ने  बताया कि हम सब इस परमपिता परमात्मा की संतान हैं, इसका  ही अंश है। इसलिए हमें सभी से प्यार,नम्रता का भाव अपनाना चाहिए  न कि मजहब, धर्म, जात-पात इस प्रकार की संकीर्णताओं में पड़कर अपना अमूल्य जीवन नष्ट करना चाहिए।  संतों का स्वभाव हमेशा से सतवचनी ही रहा है न कि ईष्या से भरा।

सतगुरु माता जी ने  प्रकृति का उदाहरण दिया कि एक छोटी सी घास होती है वह चाहे कितनी भी आंधी आए टूटती नही। जिस प्रकार जोर की वर्षा आने पर हम अपने बचाव के लिए रेनरोट या छाते का सहारा लेते हैं हमें उस रेनकोट ओर छाते पर भरोसा होता है कि वर्षा के आने पर भी हम भीगेंगे नहीं। उसी प्रकार भक्त हमेशा ही इस परमात्मा का सहारा लेकर, इस पर विश्वाश कर अपने जीवन को इतना विशाल बना लेते हैं कि जीवन का हर पल विस्तार का रूप ले लेता है।

हमें अपने जीवन में जैसे स्वच्छ हवा की आवश्यक्ता होती है और हम अपने बाहर का वातावरण शुद्ध चाहतें हैं। उसी प्रकार से हमें अपने अन्त: करण को भी शुद्ध रखना चाहिए। बाबा जी का वह दिव्य संदेश  प्रदूषण अन्दर हो या बाहर दोनों ही हानिकारक हैं।  अतः हमें अपने  स्वभाव में नम्रता रखते हुए अपनी गलतियों को सहज रूप में मानकर उसमें सुधार करना चाहिए तभी हम ऊंचाइयों को छूं सकते है। यह केवल परमात्मा के सान्निध्य से ही संभव है।

अन्त में जोनल इंचार्ज विवेक कालिया ने हिमाचल प्रदेश के पांवटा की पवित्र धरती पर सतगुरू माता जी एवं निरंकारी राजपिता जी के आगमन के लिए हृदय से धन्यवाद किया।  साथ ही सम्पूर्ण सेवादल व स्थानीय प्रसाशन का भी आभार व्यक्त किया।

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