कल्याण केसरी न्यूज़ लाहौर, 21 जनवरी; लाहौर में चल रहे 34वें विश्व पंजाबी सम्मेलन में जहां सूफियों के बारे में कागजात पढ़े गए और चर्चा की गई, वहीं भुलेखा अखबार द्वारा भारत से आए प्रतिनिधिमंडल के स्वागत के लिए आयोजित कार्यक्रम में पंजाबी कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। लाहौर के पंजाब भाषा एवं कला केंद्र (पलक) में आयोजित कार्यक्रम के दौरान उभरते पंजाबी लोक गायक पम्मी बाई, सुखी बराड़ और सतनाम पंजाबी तथा लाहिंदे पंजाब के आरिफ लोहार और इमरान शौकत अली ने अपनी दमदार आवाज में गाने गाए। पम्मी बाई और आरिफ लोहार की जुगलबंदी अद्भुत रही।
सभी मनोरंजनकर्ताओं ने पंजाब की समानता के गीत गाए, बाबा नजमी ने “इकबाल पंजाबी दा” गाया और इल्हास घुम्मन ने अपने जोशीले भाषण से पंजाबियत की हुंकार भरी।त्रैलोचन लोची ने ‘जलम कैन बलावन होता, काफी ता कवितावन होता’ से माहौल को भावुक कर दिया। लाहिन्दे पंजाब के वीर सिपाही ने अपने अनोखे अंदाज में हास्य चुटकुले सुनाकर माहौल को खुशनुमा बना दिया। कसूर की खतीजा ने लोकप्रिय लोकगीत सुनाए। इस मौके पर शायर हरविंदर का गाना ‘बिना वे लाहौर दे पंजाब की पंजाब ए’ बाबा नजमी, दीपक मनमोहन सिंह, गुरभजन गिल, सहजप्रीत सिंह मंगत ने रिलीज किया। इस गाने को लहिंदे पंजाब के मशहूर सूफी गायक असलम बहू ने गाया है।त्रिसम्मेलन के दौरान वरिष्ठ पत्रकार सतनाम माणक की पुस्तक ‘बातां वाह्यो पार दी’ के शाहमुखी संस्करण का विमोचन किया गया। इस मौके पर अब्दुल कदीम, डॉ. कुदसी, बुशरा इजाज, बाबा नजमी, बाबा गुलाम हुसैन हैदर की पुस्तकों का विमोचन भी किया गया। भुलेखा अखबार के प्रधान संपादक मुदस्सर इकबाल बट ने पूरे भारतीय प्रतिनिधिमंडल को धन्यवाद दिया।