निरंकार से जुड़कर ही संभव होगा आत्ममंथन: निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज
कल्याण केसरी न्यूज़, समालखा, 31 अक्टूबर 2025: “आत्ममंथन एक आंतरिक यात्रा है, यह केवल अशांत मन और बुद्धि के माध्यम से प्राप्त नहीं किया जा सकता। इसके लिए अपने भीतर आध्यात्मिक मंथन की आवश्यकता होती है।” इन पावन शब्दों के साथ सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने 31 अक्तूबर से 3 नवंबर तक चलने वाले 78वें वार्षिक निरंकारी संत समागम के पहले दिन मानवता को अपना दिव्य संदेश प्रदान किया।
सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज और सत्कारयोग्य निरंकारी राजपिता रमित जी के सान्निध्य में आयोजित इस चार दिवसीय संत समागम में भारत और विदेशों से लाखों श्रद्धालु भाग लेकर समागम की आध्यात्मिक अनुभूति प्राप्त कर रहे हैं।
सतगुरु माता जी ने आगे फरमाया कि प्रत्येक मनुष्य के अंदर और बाहर एक सत्य विद्यमान है, जो स्थिर और शाश्वत है। इस सत्य को पहले जानना आवश्यक है। जब कोई मनुष्य इस सत्य को प्रत्येक व्यक्ति के भीतर देखता है, तो उसके हृदय में सबके प्रति प्रेम की भावना उत्पन्न होती है। वास्तव में, परमात्मा ने मनुष्य को इस प्रकार रचा है कि उसके हृदय में प्रेम की भावना ही प्रधान रहे। परंतु अज्ञानता के कारण मनुष्य एक-दूसरे से घृणा करने के कारण खोजता रहता है। अंत में, सतगुरु माता जी ने संपूर्ण विश्व के लिए शुभकामनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि हर इंसान मानवता के मार्ग पर चले, स्वयं को भीतर से सुधारने का प्रयास करे ताकि सुधार का यह दायरा बढ़ सके और पूरे विश्व में सुधार का वातावरण स्थापित हो। इस प्रकार, संसार में शांति, सौहार्द और भाईचारा स्थापित किया जा सकता है।

इससे पूर्व, समागम स्थल पर पहुंचने पर संत निरंकारी मंडल की अध्यक्ष श्रीमती राजकुमारी जी ने सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज का स्वागत फूलों की माला पहनाकर किया, और मंडल के सचिव डॉ. प्रवीण खुल्लर जी ने पुष्पगुच्छ भेंट कर अभिवादन किया। सत्कारयोग्य निरंकारी राजपिता रमित जी का स्वागत संत निरंकारी मंडल के वरिष्ठ कार्यकारी सदस्य अशोक मंचंदा जी ने फूलों की माला पहनाकर तथा विदेश विभाग के सदस्य इंचार्ज श्री विनोद वोहरा जी ने पुष्पगुच्छ भेंट कर किया। इसके पश्चात्, नूरानी जोड़ी को फूलों से सजी खुली पालकी में विराजमान किया गया और समागम पंडाल के मध्य से एक भव्य शोभायात्रा के रूप में मुख्य मंच तक लाया गया। मुख्य मंच पर पहुंचने पर सतगुरु माता जी और सत्कारयोग्य निरंकारी राजपिता जी का स्वागत निरंकारी इंस्टीट्यूट ऑफ म्यूज़िक एंड आर्ट (एनआईएमए) के 2500 से अधिक विद्यार्थियों ने भरतनाट्यम और एक स्वागत गीत प्रस्तुत कर किया।
नूरानी जोड़ी की पावन उपस्थिति पाकर पंडाल में उपस्थित श्रद्धालुओं की आंखों से आनंद और भक्ति के आंसू बह रहे थे। नूरानी जोड़ी सभी को अपने पवित्र आशीर्वाद प्रदान कर रही थी। यह इलाही दृश्य प्रेम और श्रद्धा की भावना से ओत-प्रोत था। विभिन्न संस्कृतियों से आए श्रद्धालु अपनी जाति, धर्म और भाषा को भुलाकर केवल प्रेम और श्रद्धा में डूबे हुए थे।
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