जिला प्रशासन की ओर से गुरुद्वारा गुरियाणा साहिब जी (वेरका बायपास) में श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस को समर्पित कीर्तन दरबार का किया गया आयोजन

कल्याण केसरी न्यूज़, अमृतसर, 13 नवंबर 2025: श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस समारोह के उपलक्ष्य में आज गुरुद्वारा गुरियाणा साहिब जी पातशाही नौवीं, वेरका बायपास में श्री अखंड पाठ साहिब के भोग डाले गए। कीर्तन समागम के दौरान कविशर भाई सुखमीत सिंह और रागी भाई मलकित सिंह सठियाला ने संगत को कीर्तन से निहाल किया।
विधायक जीवनजोत कौर ने इस अवसर पर कहा कि यह भूमि अत्यंत पवित्र है। उन्होंने श्री गुरु तेग बहादुर जी, भाई मती दास, भाई सती दास और भाई दियाला जी की शहादत को धार्मिक स्वतंत्रता, न्याय और मानव अधिकारों के लिए दिए गए सर्वोच्च बलिदान के रूप में याद किया।
उन्होंने कहा कि गुरु साहिबान का धन्यवाद है, जिन्होंने समूचे समाज को अन्याय के विरुद्ध लड़ने और सत्य के पक्ष में खड़े रहने की प्रेरणा दी। सबसे पहले गुरु नानक देव जी ने बाबर के अत्याचारों का विरोध करते हुए उसे जाबिर (जालिम) कहा और समाज के आत्मसम्मान की रक्षा की। उसके बाद गुरु अर्जन देव जी और फिर गुरु तेग बहादुर जी ने धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए और अत्याचारी शासकों को कठोर संदेश देते हुए बलिदान दिया।
जब पंडित कृपा राम के नेतृत्व में कश्मीरी पंडितों ने मुगल शासन के अत्याचारों की व्यथा सुनाई, तब गुरु तेग बहादुर साहिब ने दिल्ली के चांदनी चौक में अपना शीश दे दिया। उनके साथ भाई मती दास, भाई सती दास और भाई दियाला जी ने भी शहादत प्राप्त की।
जीवनजोत कौर ने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी की शहादत के बाद पंडित कृपा राम जी ने सिख धर्म स्वीकार किया और चमकौर साहिब की गढ़ी में शहीद हुए। उन्होंने सिख धर्म की दिनोदिन कमजोर होती पहचान पर चिंता व्यक्त की और कहा कि गुरु साहिबानों द्वारा बलिदानों से स्थापित इस अनोखे धर्म की नायाब पहचान — पगड़ी और केश — को बचाने के लिए माता-पिता को गंभीर होना चाहिए। यदि पगड़ी और केश न रहे तो हमारी पहचान पर बड़ा संकट आ जाएगा।
उन्होंने मालवा क्षेत्र के कुछ जिलों में हिंदू परिवारों में पगड़ी बांधने की परंपरा का उदाहरण भी दिया और कहा कि बच्चों को सिख धर्म के गौरवशाली इतिहास से जोड़ना आवश्यक है।
उन्होंने मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने श्री गुरु तेग बहादुर जी की कृपा से 350वें शहीदी दिवस के अवसर पर राज्य भर में ऐसे समागम आयोजित करवाए हैं।
अंत में, जीवनजोत कौर ने रागी और ढाडी जत्थों को सिरोपाओ भेंट किए। इस अवसर पर हरपाल सिंह निज्जर, मनप्रीत सिंह वेरका, श्री आशू बांसल, रमनदीप सिंह, हरप्रीत सिंह, रणजीत सिंह, तहसीलदार विश्वजीत सिंह, कानूनगो राजेश कुमार बिट्टू, हरपींदर सिंह वाला सहित क्षेत्र की बड़ी संख्या में संगत ने नाम-बाणी का लाभ लिया।

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