दिल्ली : निंरकारी भक्तों ने संसार भर में कल समर्पण दिवस समागम तथा विशेष सत्सग कार्यक्रम आयोजित किए जहां बाबा हरदेव सिंह जी महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। बाबा जी ने 13 मई, 2016 को साकार से निराकार रूप धारण किया था।
समर्पण दिवस पर निरंकारी जगत ने मानवता के आध्यात्मिक तथा सामाजिक कल्याण के लिए उनके अनथक यत्नों को याद किया और उनकी शिक्षाओं को संसार के कोने-कोने तक पहुंचाने के लिए अपने आपको पुनःसमर्पित किया ताकि अज्ञानता के अंधकार को ब्रह्मज्ञान के प्रकाश के द्वारा दूर किया जा सके।
समपर्ण दिवस के मुख्य समागम का आयोजन दिल्ली में निरंकारी सद्गुरु माता सविन्दर हरदेव जी महाराज की अध्यक्षता में निरंकारी सरोवर के सामने बुराड़ी रोड स्थित ग्राउण्ड नं. 2 में किया गया परंतु अचानक आंधी तथा वर्षा के कारण यह आयोजन वहां से लगभग 2 कि.मी. पर ग्राउण्ड नं. 8 में करना पड़ा। भक्तों ने इस भयंकर मौसम में भी अपने विश्वास और भक्ति भाव को डोलने नहीं दिया और पैदल चलते हुए नए स्थल पर पहुंच गए। इस समागम में दिल्ली व ग्रेटर दिल्ली के अलावा राजधानी से 250 किलोमीटर के क्षेत्र में आने वाले पंजाब, हरियाणा, चण्डीगढ़ तथा उत्तर प्रदेश के अनेक स्थानों से भारी संख्या में आए भक्तजनों ने भाग लिया।समागम में अनेक वक्ताओं तथा गीतकारों ने भाग लिया और बाबा जी ने 24 अप्रैल, 1980 से लेकर 13 मई, 2016 तक 36 वर्षों में सद्गुरु रूप में जो योगदान दिया उसे अपनी-अपनी शैली में वर्णन किया। बाबा जी के जयघोष जैसे ’एकत्व में सद्भाव’, ’दीवार रहित संसार’, ’एक को जानो, एक को मानो, एक हो जाओ’, को बार-बार दोहराया और निरंकारी सरोवर परिसर, जर्नी डिवाईन म्यूज़ियम तथा एकत्व का फव्वारा जैसे महत्वपूर्ण स्थानों का उल्लेख किया।
वक्ताओं ने इस बात का भी जिक्र किया कि आज भी सद्गुरु माता सविन्दर हरदेव जी महाराज समालखा के निकट जी.टी. रोड पर संत निरंकारी आध्यात्मिक परिसर जहां एक विशाल सत्संग हाॅल बनाने की भी योजना है, तथा दिल्ली में संत निरंकारी हेल्थ सिटी जैसे बाबा जी के सपनों को साकार करने के लिए हर प्रकार के प्रयास कर रहे हैं।समागम को सम्बोधित करते हुए सद्गुरु माता जी ने कहा कि बाबा जी ने हम सब को भरपूर प्यार और आशीर्वाद दिया। इस दुनिया में कैसे जीना है, खुद जीकर हमें दिखाया। उन्होेंने कहा कि बाबा जी ने हमेशा हमें शब्दों तथा जीवन की सादगी द्वारा हमें यह शिक्षा दी।
सद्गुरु माता जी ने कहा कि बाबा जी समझाया करते थे कि भक्ति में कभी शर्तें नहीं होती। भक्त हमेशा सब कुछ निरंकार पर छोड़कर इसकी रज़ा में रहता है।मिशन की शिक्षाओं का ज़िक्र करते हुए सद्गुरु माता जी ने समझाया कि हम कह देते हैं कि अगर हम ऐसा करेंगे तो समाज हमें अच्छा नहीं कहेगा, परंतु यदि आप मिशन की शिक्षाओं पर चलते हैं तो दो-चार दिन में सभी आपकी प्रशंसा करने लगेंगे।इस अवसर पर सद्गुरु माता जी ने अवनीत सेतिया जी को भी याद किया। सेतिया ने भी उसी दिन प्राण त्यागे थे। सद्गुरु माता जी ने कहा कि उन्हें बचपन से ही सेवा तथा सत्संग के प्रति लगन थी और जो कुछ भी सत्संग में सुनते थे, उसे अपने जीवन में अपना लेते थे।अंत में सद्गुरु माता सविंदर हरदेव जी महाराज ने कहा कि जैसा जीवन बाबा जी ने हम से चाहा, जैसा मिशन बाबा जी ने हम से चाहा, निरंकार से अरदास है कि हर कोई वैसा ही जीवन जी पाए और मिशन को भी आगे बढ़ाता जाये।
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