जालन्धर : पंजाब सरकार द्वारा चलाए जा रहे कृषि मशीनरी सेवा केंद्र (कस्टम हायरिंग सैंटर) ने किसानों को फसलों के अवशेषों की संभाल के लिए अति आधुनिक कृषि मशीनरी उपल4ध करवाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा रही है।
अति आधुनिक खेती मशीनरी जिस में हैपी सिडर, रोटावेटर, पैडी कटर कम शैडर, मलचर और जीरो ड्रिल शामिल हैं की ज़्यादा कीमत होने के कारण किसानों की तरफ से खऱीदे नहीं जा सकते इस लिए कृषि के अवशेषों के उचित निपटारे के लिए इन सैंटरों द्वारा अति आधुनिक कृषि उपकरण हर किसान को किराये पर उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। डिप्टी कमिशनर जालन्धर श्री वरिन्दर कुमार शर्मा ने कहा कि इन सैंटरों की तरफ से कृषि के अवशेषो को खेतों में ही जोत कर खाद के तौर पर प्रयोग के लिए यह कृषि के अति आधुनिक यंत्र उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। उन्होने कहा कि इस के पीछे केवल एक मात्र उेदश्य फसलों के अवशेषों को जलाने की बजाय खेतों में ही खाद के तौर पर इस्तेमाल करके वातावरण दूषित होने से बचाने और धरती की उपजाऊ शक्ति को बनाये रखना है।
शर्मा ने कहा कि पंजाब सरकार द्वारा हर किसान को कृषि के अवशेषों को आग लगाने के रुझान को रोकने के लिए यह अति आधुनिक खेती यंत्र उपल4ध करवाने के लिए संजीदा प्रयास किये जा रहे हैं। श्री शर्मा ने आगे बताया कि पंजाब सरकार की तरफ से धान की पराळी के निपटारे के लिए वर्ष 2014-15 में 45 खेती मशीनरी सेवा केंद्र शुरू किये गए थे जिन की सं2या साल 2015-16 में 50, साल 2016-17 में 65 और साल 2017-18 में 173 सैंटरों तक बढा दी गई है। शर्मा ने बताया कि कृषि विभाग की तरफ से पहले से ही किसानों को धान की पराळी जलाने से वातावरण और मानवीय स्वास्थ्य पर पडऩे वाले बुरे प्रभावों से जागरूक किया जा रहा है। उन्होने किसानों से अपील की कि वह फसलों के अवशेषों के सही निपटारे के लिए इन तकनीक को अपनाने के लिए आगे आये ।
इस अवसर पर कृषि अधिकारी डा.नरेश गुलाटी ने बताया कि जालंधर में 1.70 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल धान की बिजवाई नीचे है जिस से 11 से लेकर 12.75 लाख टन धान की पराळी पैदा होने की संभावना। डा.गुलाटी ने आगे बताया कि धान की पराळी को हैपी सिडर, रोटावेटर, पैडी कटर कम शैडर और मलचर जोकि आसानी से मिल सकते हैं के साथ मिट्टी में जोत कर 2000 पौष्टिक तत्वों को बचाया जा सकता है। उन्होने किसानों से अपील की कि आने वाली पीढ़ी के लिए वातावरण की संभाल के लिए इन सैंटरों से उपलब्ध करवाए जा रहे कृषि के अति आधुनिक मशीनरी का अधिक से अधिक लाभ उठाया जाये।