
डॉ. संधू बताते हैं कि शरीर के भीतर उत्पन्न होने वाले कारणों के जरिए भी हार्ट फेलियर की संभावना को पहले ही रोका जा सकता है। मिसाल के तौर पर वॉल्व को रिपेयर करके या हार्ट की रिदम को कंट्रोल करके हार्ट फेलियर को रोका जा सकता है। इसके लिए सही इलाज और बैलेंस के साथ दी जाने वाली दवाइयों की जरूरत होती है। कुछ मामलों में इंप्लांटेबल कार्डियक डेफिब्रीलिएटर (आईसीडी), कार्डियक रेसाइक्रोजेशन थैरेपी डेफिब्रीलिएटर (सीआरटीडी), लेफ्ट वेंट्रीकुलर असिस्ट डिवाइस (एलवीएडी) की मदद से भी हार्ट बीट को कंट्रोल किया जा सकता है। डॉ. संधू ने बताया कि हार्ट फेलियर के फील्ड में उनकी ओर से इस्तेमाल किए जा रहे एवडांस्ड इंटरवेंशनल ट्रीटमेंट को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता मिल गई है। उन्हें इंटरनेशनल स्तर पर सीआरटी पर स्पेशल स्टडी के लिए आमंत्रित किया गया है। जिसमें एसवाईएनसीएवी पर स्टडी करेंगे। ताकि हार्ट फेलियर की संभावना वाले मरीजों के दिल को लंबे समय तक चलाया जा सके। कार्डियोलॉजी के फील्ड में पंजाब में ऐसा ट्रायल पहली बार हो रहा है।
हॉस्पिटल के फैकल्टी डायरेक्टर विवान सिंह गिल ने कहा कि फोर्टिस अस्पताल में हार्ट पेशेंट्स के लिए एवडांसड हार्ट केयर सेंटर स्थापित किया है। जिसमें हर तरह का आधुनिक इलाज उपलब्ध है। मेडिकल सुपरिटेडेंट डॉ. शैली ने बताया कि अस्पताल की ओर से लोगों को जागरूक करने के लिए गांव वालों और सीनियर सिटीजन्स फोरम की मदद से जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। सीटीवीएस के डायरेक्टर डॉ. वीके शर्मा ने बताया कि कहा कि फोर्टिस में हार्ट पेशेंट के लिए हर तरह की सर्जरी का विकल्प भी मौजूद है। लेकिन यह हर मरीज की कंडीशन पर निर्भर करता है कि उसे किस तरह के इलाज की जरूरत है।