मोहाली : आर्यन्स कॉलेज ऑफ इन्जिनियरिंग, राजपुरा, नजदीक चण्डीगढ के सिविल इन्जिनियरिंग डिपार्टमेंट ने आज अपने कैपस में ‘‘ग्रीन सस्टेनेबल रिसोर्स’’ विषय पर सेमिनार का आयोजन किया। डॉ बलदेव सेतिया, प्रोफैसर, एनआईटी, कुरूक्षेत्र; डॉ गीता अरोडा, एसोसिएट प्रोफैसर, पैक, चण्डीगढ; इन्जि. हिमी गुप्ता, एसोसिएट प्रोफैसर, नीटटर, चण्डीगढ इस अवसर पर वक्ता थे। इस सेमिनार में सिविल और कृषि विभाग के विद्याॢथयों ने भाग लिया। डॉ सुशील कुमार, डायरेक्टर, आर्यन्स कॉलेज ऑफ इन्जिनियरिंग ने सेमिनार की अध्यक्षता की।
वक्ताओं ने ग्रीन सस्टेनेबल रिसोर्स के विभिन्न पहलुओं के बारे मे बताया, जिसमें जीवन के 5 तत्व, सस्टेनेबल एनर्जी, सस्टेनेबल फाॢमंग, केमिकल फाॢमंग और इसके प्रभाव, ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर, ग्रीन कंस्ट्रक्शन का कार्यान्वयन, वेस्ट मैनेजमेंट आदि शामिल है।
डॉ बलदेव सेतिया ने छात्रों के साथ बातचीत करते हुए जीवन के 5 तत्वों के महत्व पर चर्चा की, पृथ्वी पर हमारे लिए उपलब्ध प्राकृतिक संसाधानों का सर्वोत्तम उपयोग करने के लिए एक-दूसरे के साथ उनके सह-संबंध। उन्होने आसानी से उपलब्ध प्राकृतिक संसाधानों जैसे उत्तरी भागों में सौर उर्जा और दक्षिणी भागों में पवन उर्जा के उपयोग पर जोर दिया।
डॉ गीता अरोडा ने सतत कृषि, उत्पादन प्रथाओं पर चर्चा की जो खेती की तकनीकों का उपयोग करती हैं जो पर्यावरण, पब्लिक हैल्थ, समुदायों और जानवरों के कल्याण की रक्षा करती हैं। उन्होने फसल रोटेशन, कवर फसलें, मिट्टी संवर्धन, प्राकृतिक कीट परभक्षी आदि जैसे विभिन्न तरीकों को शामिल किया।
इन्जि. हिमी गुप्ता ने कंस्ट्रक्शन के लिए उपलब्ध विभिन्न हरित तरीकों के बारे में चर्चा की। उन्होने पर्यावरण और मानव स्वास्थय को बेहतर स्थायित्व के साथ प्रभावित किए बिना हरे रंग की इमारत के कार्यान्वयन और विकास के निर्माण से शुरू होने वाले हरे संसाधनों की भूमिका के बारे में बताया। उन्होने वेस्ट और प्रदूषण को कम करने के लिए कुछ वेस्ट मैनेजमेंट प्रैक्टिसीस पर चर्चा की।
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