आज पूरी दुनिया करोना वायरस नाम की भयानक बीमारी के साथ लगातार लड़ रही है जिस कारण सोशल डिस्टैंस को लागू करते पंजाब समेत पूरे भारत में लाक डाउन और कर्फ़्यू के चलते स्कूलों को बंद करने पड़ा है। करोनें वायरस नाम की महा मारी कारण चाहे सभी स्कूलों में छुट्टियाँ कर दी हैं, परन्तु आन लाईन शिक्षा विद्यार्थियों के लिए वरदान सिद्ध हो सकती है। ऐसे नाजुक समय देचलद्यें विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रति रुचि नाम घटने और रहती परीक्षायों की तैयारी करन के मकसद के अंतर्गत और नये सैशन की शुरुआत मौके शिक्षा विभाग पंजाब द्वारा भी विद्यार्थियों को आन लाईन शिक्षा दी जा रही है। सूबो के स्कूल शिक्षा विभाग की तरफ से अपने विद्यार्थियों को हर तरह के नाकारतमक विचारों से बचाव कर इस बीमारी का ज़िंदादिली के साथ मुकाबला करन के समर्थ बनाने के लिए उनके साथ लगातार संबंध बना कर रखने की कोशिश की जा रही है। पंजाब के स्कूल शिक्षा विभाग की तरफ से इकत्तीस मार्च को नान बोर्ड जमातों के नतीजों की आनलाइन घोषणा करके बाकायदा शोसल मीडिया साधनों सहें विद्यार्थियों को सूचित किया गया। सूबो के समूह सरकारी स्कूलों की तरफ से कर्फ़्यू और तमाम ओर सावधानियॉ और हिदायतें का पालन करते सारा कंंम घर के अंदर रहकर ही किया जा रहा है। सब से अहम और बड़ी बात यह है कि अध्यापकों की तरफ से यह काम स्व इच्छा के साथ किया जा रहा है। किसी भी अध्यापक या ओर अधिकारी कर्मचारी को इस लिए मजबूर नहीं किया जा रहा। नतीजो की घोषणा उपरांत समूह विद्यार्थियों को घर बैठे ही अगलों जमातों में पदउन्नत करन उपरांत स्कूल मुखियों और अध्यापकों यहाँ तक कि सूबे और ज़िला स्तर के आधिकारियों की तरफ से भी मुबारकवाद देते नये शैक्षिक वर्ष की शुरुआत के लिए प्रोत्साहन दी गई। करोना वायरस बीमारी के चलते जहाँ माँ बाप को जागरूक किया जा रहा है। आम हालातों में भी सरकारी स्कूलों का नया शैक्षिक शैशन पहली अप्रैल से ही शुरू होता है। परन्तु कोरोना वायरस के कारण स्कूलों की हुई तालाबन्दी के चलते सूबो के हज़ारों अध्यापकों ने अपने विद्यार्थियों के साथ आनलाइन संबंध बना कर नये शैक्षिक वर्ष की पढ़ाई शुरू करवाई है। नये सैशन के सभी बड़ी छोटी जमातों की पाठ पुस्तकें, अलग अलग विषयों के मूलभूत पाठ्यक्रम फाइलें के द्वारा अध्यापकों तक पहुँच रहे हैं।
कई बार सवाल उठता है कि सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों की यह स्थिति नहीं होती कि उन्होंने के पास इन्टरनेट और शोसल मीडिया की सुविधा हो।बिलकुल सही है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के जरूरतमंद माँ बाप के पास कई बार यह सहूलतें नहीं होती। यदि किसी विद्यार्थी के पास यह सुविधा नहीं तो उसे किसी भी प्रकार इस की उपलब्धता के लिए मजबूर नहीं किया जा रहा। अब समय इन शोसल मीडिया साधनों के सदउपयोग का है।यदि आनलाइन जमात दौरान साठ सा प्रतिशत विद्यार्थी भी उपस्थित हो जाते हैं तो भी यह कोई छोटी प्राप्ति नहीं है। बाकी बच्चों के साथ फ़ोन और संबंध रखा जा रहा है। बेशक ही इस कोशिश का नतीजा शैक्षिक तौर पर बहुत सन्तोषजनक न रहे परन्तु विद्यार्थियों को पढ़ाई की अपेक्षा टूटने से बचाने और इस महामारी के दौरान उन को जागरूक करन सारथिक सिद्ध होगा। प्राईवेट स्कूलों के विद्यार्थियों की तरह आम परिवारों के बच्चों को भी स्कूलों की तालाबन्दी दौरान आनलाइन सुविधा के सुरक्षित तरीकों के साथ पढ़ाने में जुटे समूह अध्यापकों और उन का नेतृत्व कर रहे स्कूल मुखियों की इस कोशिश को हमारा सलाम है। एक सही अध्यापक का फ़र्ज़ अपने विद्यार्थियों को पढ़ाई साथ साथ ज़िम्मेदार नागरिक बनाना भी होता है। सो सरकारी स्कूलों के अध्यापक सीमित साधनों के बावजूद घरों में बैठकर यह सारा कुछ करन के लिए बधाई के हकदार हैं। इस उपरालो के साथ प्राईवेट स्कूलों के बच्चों के माँ बाप का झुका भी सरकारी स्कूलों अलग बढ़ा है उम्मीद है कि आने वाले समय में लोगों का सरकारी स्कूलों और विश्वास ओर बढ़ेगा और बच्चों की संख्या में अथाह विस्तार होगा। परमात्मा कृपा करे कि पूरे संसार को कोरोना महामारी से जल्दी राहत मिले और स्कूलों में जल्दी से आम की तरह पढ़ाई शुरू हो सके।