कल्याण केसरी न्यूज़ अमृतसर: शिरोमणी अकाली दल ने आज मुख्यमंत्री कैप्टन अमंरदिर सिंह से अनुरोध किया है कि कोविड-19 की रोकथाम में बुरी तरह नाकाम रहने के लिए वह स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू से इस्तीफा देने के लिए कहें। इसके साथ ही पार्टी ने पंजाब में कोविड मृत्यु दर घटाने के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए कहा है। यहां पत्रकारों को संबोधित करते हुए पूर्व मंत्री सरदार बिक्रम सिंह मजीठिया ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू जोकि पहले ही करोड़ो रूपए की बुप्रेनोरफिन गोलियां गायब करके विभाग पर धब्बा लगा चुका है,कोविड-19 की रोकथाम में बुरी तरह नाकाम साहिब हुआ है। उन्होने कहा कि उसे इस्तीफा देना चाहिए, क्योंकि वह पहले ही अपने घर के बाहर बोर्ड लगा चुका है वह लोगों के लिए उपलब्ध नही है तथा वह अस्पतालों में जाने से इंकार कर चुका है जिस तरह कि केरल तथा हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री जाते हैं, जिसके कारण इन राज्यों में कोविड मृत्यु की दर एक फीसदी से भी कम है जबकि पंजाब में यह दर 6 फीसदी है। यह टिप्पणी करते हुए कि बलबीर सिद्धू का गैरजिम्मेदाराना व्यवहार राज्य में कोविड केसों की गिनती बढ़ाने तथा मृत्यु की दर बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है, अकाली नेता ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री उन श्रद्धालुओं के मामले में कुप्रबंधनों के लिए भी जिम्मेदार है, जिन्हे श्री हजूर साहिब से वापिस लाया गया है। उन्होने कहा कि अब यह बात सामने आई है कि इन श्रद्धालुओं के अच्छी तरह टेस्ट नही किए गए थे तथा न ही क्वारंटाइन किया गया है। उन्होने बताया कि जिला मुख्यालय पर श्रद्धालुओं को क्वारंटाइन करने के निर्देश 27 अप्रैल को पहुंचे थे जबकि श्रद्धालु 24 तथा 25 अप्रैल का पंजाब में आने शुरू हो गए थे। उन्होने कहा कि बड़े दुख की बात है कि स्वास्थ्य विभाग ने आईसीएमआर के दिशा-निर्देशों का पालन नही किया। सरदार मजीठिया ने एम्बुलेंसों तथा अस्पतालों में गंदगी संबधी सामने आए ताजा मामलों के बारे में बताया। उन्होनेे कहा कि यह इसीलिए हो रहा है? क्योंकि स्वास्थ्य मंत्री कोई निगरानी नही कर रहा है। अकाली नेता ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय केंद्र सरकार द्वारा प्राप्त किए फंडों का उपयोग नही कर रहा है।
उन्होने कहा कि केंद्र द्वारा एनआरएचएम योजना के तहत् पंजाब को 112 करोड़ रूपए दिए जा चुके हैं, इन पैसों का अभी तक उचित इस्तेमाल नही किया गया है। उन्होने कहा कि इस तरह आपदा प्रबंधन फंड के तहत् प्राप्त किए 247 करोड़ रूपए में से अभी तक सिर्फ 16 फीसदी केवल 40 करोड़ रूपए खचर्ने के लिए भेजे गए हैं तथा इनमें से सिर्फ 34 फीसदी ही वास्तव में खर्च किए गए हैं। लॉकडाउन बढ़ाने तथा सीमित छूट देने संबधी टिप्पणी करते हुए सरदार मजीठिया ने कहा कि इस अवधि के दौरान लोग सिर्फ आवश्यक वस्तुएं ही खरीद पाएंगे। उन्होने कहा कि छूट देते समय आवश्यक सावधानियों का पालन करना चाहिए। उन्होने एक आर्थिक पैकेज की मांग करते हुए कहा कि खेत मजदूरों तथा दिहाड़ीदारों को 6 हजार रूपए की सहायता देनी चाहिए। घरेलु बिजली तथा पानी के बिल आधे कर देने चाहिए।उन्होने कहा कि उद्योगों को दोबारा चलाने के लिए संजीदा प्रयास किए जाने चाहिए, क्योंकि पहले की घोषणाएं सिर्फ कागजों पर ही रह गई है। उन्होने उद्योगों के लिए बिजली के नियमित खर्चे हटाने तथा बिजली बिल आधे करने की भी मांग की।