कल्याण केसरी न्यूज़ : बिना कोई धर्म,जाति और देश के जरूरतमंद लोगों के दर्द को अपना दर्द समझ कर अनेकों माताओं के लाल को मौत के मुंह में से बचाव कर लाने के कारण पूरी दुनिया अंदर शांति के दूत के तौर पर जाने जाते सरबत दा भला चैरिटेबल ट्रस्ट के मुखी डा.एसपी सिंह ओबराय ने अपनी नेक कमाई में से ब्लड मनी के रूप में करोड़ों रुपये ख़र्च कर दुबई अंदर कत्ल केस में सजा-याफता 14 दूसरे नौजवानों को मौत के फंदे से बचा कर फिर कई घर उजड़ने से बचा लिए हैं।इस संबंधी जानकारी सांझा करते हुए डा.एसपी सिंह ओबराय ने बताया कि 31 दिसंबर 2015 को शारजाह में हुए एक ग्रुप झगड़े दौरान जालंधर ज़िले के कस्बा समराए के 23 साला आशिफ अली पुत्र युसूफ अली और कपूरथला के गांव पंडोरी के 25 साला वरिंदरपाल सिंह पुत्र शिंगारा सिंह की मौत हो गई थी। उन्होंने बताया कि इस केस में कुल 14 नौजवान दोषी बनाए गए थे, जिनमें से 12 भारतीय और 2 पाकिस्तानी थे। इन सभी नौजवानों को 1 जनवरी 2016 को पुलिस ने पकड़ कर जेल में बंद कर दिया था।डा.ओबराय ने बताया कि कत्ल केस में फंसे नौजवानों और बुज़ुर्ग माँ-बाप,बहनों और कुछ की पत्नियों ने उनको मिल कर अपने घरों के चिराग़ों को एक ग्रुप झगड़े में बेकसूर मौत की सजा होने का हवाला देते रोते हुए अपने घर उजड़ने से बचाने की गुहार लगाई थी। उन्होंने बताया कि इसके बाद उन्होंने मृतक वरिंदरपाल के दुबई में रहते करीबी रिश्तेदार निर्मल सिंह को मिलकर केस बारे बातचीत की और उसे बताया वह पीडित परिवारों को अपने पास से ब्लड मनी के उक्त केस में फांसी की सज़ा याफता नौजवानों को बचाना चाहते हैं। इस उपरांत वह ख़ुद मई 2018 को निर्मल सिंह को साथ लेकर अदालत में पेश हुए और माननीय जज को कहा कि पीडित परिवार राज़ीनामे के लिए तैयार हैं। डा.ओबराय ने बताया कि कोर्ट की तरफ से इजाज़त मिलने बाद में उन्होंने 9 जुलाई 2018 को पीडित परिवारों को बलड मनी के पैसे सौंप कर समझौतो के ज़रुरी कागज़ तैयार करवाए और 24 अक्तूबर को उन ख़ुद पेश हो कर कोर्ट को बलड मनी लेने उपरांत हुए समझौतो के असली कागज़ सौंप दिए। उन्होंने बताया कि इसके बाद नवंबर 2018 के बाद साल 2019 के मार्च, अप्रैल, मई, जून, जुलाई, अगस्त, सितम्बर और दिसंबर महीनों अंदर इस केस पर कुल 27 सुनवाईयां हुईं, जिस दौरान वह बहुत बार ख़ुद कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने यह भी बताया कि 12 फरवरी को केस और अपील लग गई और इसके बाद दो सुनवाई होने उपरांत इस साल 8 अप्रैल को अदालत ने फ़ैसला सुनाते हुए सभी नौजवानों की सज़ा माफ करते हुए कुछ समय बाद जेल में से बरी करने का ऐलान किया। उन्होंने बताया कि इस केस पर कुल 75 लाख के करीब रुपए ख़र्च हुए हैं, जिनमें से कुछ पैसे उक्त नौजवानों के परिवारों ने भी दिए थे। डा.ओबराय ने बताया कि जेल में से रिहा हुए 9 भारतीय और 2 पाकिस्तानी नौजवान कुछ समय पहले विशेष जहाज़ों के माध्यम से अपने वतन पहुंच गए हैं, जबकि 3 भारतीय नौजवान जहाज़ में सीट न मिलने कारण अभी दुबई में हैं, जो जल्दी ही वापस आ जाएंगे। उन्होंने बताया कि भारत पहुंचे 9 नौजवानों को कोरोना वायरस कारण मिलिट्री अस्पताल चेन्नई में 14 दिनों के लिए रखा गया है। उन्होंने यह भी बताया कि सभी नौजवानों को मिलिट्री अस्पताल अंदर बढ़िया खाना और अन्य सहूलतें मिल रही हैं और उनके कोरोना टेस्ट भी हो चुके हैं, जिनकी अभी रिपोर्ट आनी बाकी है। अपनी नेक कमाई में से करोडों की ब्लड मनी देकर फांसी की सज़ा मुआफ करवाने और उक्त नौजवानों के परिवारों ने नम आँखों से डा.ओबराय का बार-बार धन्यवाद करते हुए कहा कि वह उनके लिए घने अंधेरों में एक रोशनी की किरण बन सामने आए और उनके जिगर के टुकड़ों को मौत के मुंह में से निकाल लाए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि डा.ओबराए का यह परोपकार उन के लिए एक सुनेहरी सपने की तरह है और सारी उम्र याद रहेगा।
डा.एसपी सिंह ओबराय की तरफ से ब्लड मनी देने उपरांत सजा से बचाए गए नौजवानों की सूची:
1.टोनी मसीह पुत्र शामू मसीह ज़िला गुरदासपुर 2. हरदीप सिंह पुत्र जोगिन्द्र सिंह ज़िला गुरदासपुर 3.नवनीत कुमार पुत्र रूप लाल ज़िला गुरदासपुर4.रोहित पुत्र डेनियल ज़िला गुरदासपुर5.हैपी पुत्र प्यारा मसीह ज़िला गुरदासपुर6.हरप्रीत सिंह पुत्र अमरजीत सिंह ज़िला नवांशहर7.अजय कुमार पुत्र मदन लाल नवांशहर8.ज्ञान चंद पुत्र गुरमीत लाल होशियारपुर9.कुलविंदर सिंह पुत्र शुकर सिंह ज़िला कपूरथला10.बूटा सिंह पुत्र बलविंदर सिंह ज़िला कपूरथला11.परमजीत सिंह पुत्र बलविंदर सिंह ज़िला जालंधर12.दलजीत सिंह पुत्र दिलबाग सिंह कुरूक्षेत्र (हरियाणा)13.उस्मान (पाकिस्तान)