कल्याण केसरी न्यूज़ चंडीगढ़, 24 जुलाईःपंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने शुक्रवार को उस पटीशन को खारिज कर दिया जिसमें अमृतसर के गुरू नानक देव हस्पताल में कोविड की लपेट में आए पीडि़तों के मृतक शरीरों की अदला-बदली के मामले संबंधी इस घटना पर पर्दा डालने के लिए पंजाब सरकार द्वारा कथित साजिश किये जाने को आधार बनाकर जांच आयोग के गठन की माँग की गई थी।
यह पटीशन कोविड के शिकार हुए मरीजों में से एक व्यक्ति के बच्चों द्वारा दायर की गई थी जिसके मृतक शरीर की अदला-बदली किसी अन्य पीडि़त के शरीर के साथ हो गई थी।
पटीशनरों द्वारा पंजाब सरकार के मैजिस्ट्रेट जांच के हुक्मों को नाटक और समूचे मामले पर पर्दा डालने के लिए राज्य सरकार की ‘गहरी साजिश’ करार दिया गया और हाई कोर्ट से इन दोषों की जांच के लिए एक जांच आयोग के गठन की माँग की गई।
इस मामले में दायर पटीशन में दखल देने से इन्कार करते हुए अदालत ने महसूस किया कि पटीशनरों द्वारा दिए गए आधार तर्कहीन और अधूरे हैं क्योंकि इस संबंधी जांच पहले ही चल रही है और अंतिम रिपोर्ट अभी आनी बाकी है। इसके अलावा राज्य सरकार ने एक रिपोर्ट दायर करके कहा कि बदकिस्मती से पटीशनरों के पिता की मौत हो चुकी है और उनका संस्कार भी किया जा चुका है।
हालाँकि, अपने मृतक पिता की अस्थियों के डी.एन.ए. टैस्ट संबंधी पटीशनरों की विनती पर अदालत ने निर्देश दिए कि ऐसी संभावना जिससे नतीजा निकलने की आशा हो, पर गौर किया जाये और इस संबंधी रिपोर्ट अगली सुनवाई की तारीख 29 जुलाई को पेश की जाये।
पंजाब के एडवोकेट जनरल ने यह खुलासा किया कि जस्टिस विवेक पुरी पर अधारित हाई कोर्ट के बैंच ने राज्य सरकार को सुनवाई की पिछली तारीख के मौके पर निर्देश दिया था कि पटीशनरों के पिता की मौत और अंतिम रस्मों संबंधी विस्तृत हलफनामा दायर किया जाये। आज इस केस की फिर से सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने विस्तृत रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि पटीशनरों के पिता, जिसके मृतक शरीर की बदकिसमती से कोविड की शिकार हुई एक महिला के मृतक शरीर से अदला-बदली हो गई थी, के संस्कार की प्रक्रिया उनके परिवार द्वारा पूरी धार्मिक रस्मों से पूरी की गई थी।
बाद में, जब शरीरों के आपस में बदलने का मामला सामने आया, पीडि़त महिला का परिवार बचती अंतिम रस्में मनाने से पीछे हट गया और जिला प्रशासन द्वारा पटीशनर के मृतक पिता की अस्थियां उठाने गई और इसके उपरांत अस्थियों को शहीदां साहब श्मशानघाट अमृतसर के सुपुर्द सुरक्षित रख दिया गया।
पंजाब सरकार की ओर से सहायक ऐडवोकेट जनरल पंजाब हरसिमर सिंह सीता द्वारा आज की विनती पर सुनवाई के उपरांत अदालत द्वारा पैटीशनरों के वकील को पूछा गया कि क्या पटीशनर मृतक पिता की अस्थियां प्राप्त करना चाहते हैं या नहीं। पटीशनरों के वकील द्वारा कहा गया कि पैटीशनर यह तस्दीक नहीं कर सकते कि अस्थियां वास्तव में उनके पिता की हैं और वह डी.एन.ए टैस्ट करवाना चाहते हैं।
अदालत द्वारा पटीशनरों के वकील से सवाल किया गया कि अस्थियों का डी.एन.ए टैस्ट करके क्या किसी व्यक्ति की पहचान संबंधी विशेष तथ्य सामने लाना संभव है और यदि पटीशनर की विनती के अनुसार टैस्ट किया जाता है तो ऐसे टैस्ट की संभवतः और नतीजों बारे दोनों पक्षों के लिए यह तस्दीक करने और अदालत को सूचित करने के लिए मामले को सुनवाई के लिए 29 जुलाई तक आगे डाल दिया गया। इसी दौरान अदालत द्वारा पंजाब सरकार को मृतक की अस्थियां सुरक्षित सुपुर्दगी में रखने और यह यकीनी बनाने के लिए निर्देश दिए गए कि अस्थियों से कोई छेड़-छाड़ न हो। आगे अदालत द्वारा डी.एन.ए टैस्ट, यदि संभव हो, इसकी निगरानी में करने के लिए निर्देश दिए गए जिससे पटीशनर पूरी तरह संतुष्ट हो सकें।
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