पूरी मानवता को समर्पित थेः सतगुरु माता सविन्दर हरदेव जी

कल्याण केसरी न्यूज़ अमृतसर,2 अगस्त : ( ममता , समता व सादगी की मूर्त थी सतगुरु माता सविंदर हरदेव जी ) निरंकारी मिशन के चौथे प्रमुख सतगुरू बाबा हरदेव सिंह जी महाराज के ब्रह्मलीन होने के बाद निरंकारी मिशन के पाँचवे सतगुरू रूप में प्रकट हुए सतगुरू माता सविन्दर हरदेव जी महाराज मानवता के मिशन की स्थापना के लिए पुरज़ोर यतनशील रहे । माता सविन्दर हरदेव जी सामाजिक कार्य और मानव कल्याण के हित के लिए लगातार भक्तों के साथ प्रेम -भाव , आदर – मान और सांसारिक भाईचारे के लिए लगातार कार्यशील थे और सब को जाति -पात , उच्च -नीच , वर्ण , मजज्ब , आश्रम के भेदभाव से मुक्त कर रहे थे । माता सविन्दर हरदेव जी का जन्म 12 जनवरी 1957 को पिता मनमोहन सिंह जी और माता अंमृत कौर जी के घर में हुआ था । इन का पालन -पोषण गुरमुख सिंह आनंद जी और माता मदन कौर जी ने इन को गोद ले कर फरुखाबाद ( उतर प्रदेश ) में रह कर किया परन्तु उस समय पर शायद उनको भी पता नहीं होगा कि वह किस महान हस्ती को अपने घर ले कर जा रहे थे । यह गोद लेने वाला काम शहनशाह बाबा अवतार सिंह जी के शुभ आशीर्वाद के साथ हुआ था । इन का बचपन बहुत ही सादा और सच्चा था । माता सविन्दर हरदेव जी की प्राथमिक शिक्षा फरुखाबाद ( उतर प्रदेश ) में हुई , उसके बाद 1966 में आप जी ने मंसूरी के एक लैरिश इंस्टीट्यूट , कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी में दाखिला कर वहाँ से 1973 में सीनियर सेकंडरी की शिक्षा हासिल की था । यह बचपन से ही एक प्रतिभाशाली विद्यार्थी रहे , यही कारण था कि हर विषय में इन के शत प्रतिशत अंक आते थे । सीनियर सैकेंडरी स्तर तक इन्होंने अंग्रेजी भाषा तथा साहित्य के अलावा , इतिहास , भूगोल , हिंदी और सोशल विज्ञान विषयों का अध्ययन किया । पी . दास और विना भारद्वाज जो कि इन के स्कूल समय अध्यापक रहे थे उन्होंने बताया कि यह बहुत ही प्रतिभाशाली और मेहनती छात्रा रहे थे । अपनी प्रभावशाली शज्सीयत के चलते ही इन्हों ने अपने हर अध्यापक का दिल जीते । बाद में उच्च शिक्षा के लिए आप दिल्ली आ गए और प्रसिद्ध दौलत राम कालेज से शिक्षा हासिल की । 14 नवंबर , 1975 को दिल्ली में इनका विवाह सतगुरू बाबा हरदेव सिंह जी महाराज के साथ हुआ और इस तरह यह विश्व प्रसिद्ध सत्गुरू बाबा गुरबचन सिंह जी महाराज के परिवार का हिस्सा बन गए थे । इस के बाद इन्होंने विश्व मुक्ति दौरे पर इटली , स्विजरलैंड , फ्रांस , बेल्जियम और ऑस्ट्रेलिया आदि देशों की यात्रा की और निरंकारी मिशन का प्रचार किया । अगले साल 1976 में फिर इन्होंने ने कुवैत , इराक , थाईलैंड , हाँगकाँग , कैनेडा , अमरीका , आस्ट्रिया और इंग्लैंड आदि देशों का दौरा किया था जहाँ कि बाबा हरदेव सिंह जी और सत्गुरू बाबा गुरबचन सिंह जी महाराज के साथ प्रचार भी किया और अध्यातमिकता की बारीकियाँ को जाना , समझा पर अपने जीवन मेंउतारा । फिर 24 अप्रैल 1980 में एक दुखदायी घड़ी आई जब दुनिया में शान्ति और सदभावना फैलाने वाले शांतिदूत बाबा गुरुबचन सिंह जी भ्रमित मानसिकता की हिंसा के शिकार हो गए । इस घटना के साथ पूरे निरंकारी जगत में शोक की लहर दौड़ गई और हर तरफ़ घोर अंधेरा छा गया , इस समय बाबा हरदेव सिंह जी को गुरगद्दी सौंप दी गई तो साध संगत ने इन को पूज्य माता जी का दर्जा दे दिया । उस के बाद यह हमेशा ही बाबा जी के साथ कंधे के साथ कंधा जोड़ कर निरंकारी मिशन और निरंकार प्रभु के प्रचार प्रसार में लग गए । हर आने वाले गुरसिख महापुरुष का यह पूरा ज्याल रखते थे और हरेक के साथ प्यार के साथ पेश आते थे । यह हमेशा अपने आप को बाबा जी की गुरसिख समझ कर ही जिंदगी जीते रहे और सांसारिक रिश्तों को ज्यादा अहमीयत नहीं देते थे इनके घर में तीन पुत्रियों समता जी , रेणुका जी और सुदीशा जी ने जन्म लिया जो कि पूरी तरह गुरू भक्ति को समर्पित है । माता सविन्दर जी ने बाबा हरदेव सिंह जी के साथ केवल भारत के अलग अलग प्रांतों में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में फैले हुए निरंकारी भक्तों के साथ नज़दीक मिले और भक्तों के घरों में जा कर भी अपना आशीर्वाद प्रदान किया । इन्होंने 36 साल तक बाबा हरदेव सिंह जी के कंधो साथ कंधा जोड़ कर मानव मात्र को अज्ञानता के अंधेरे में से निकाल कर भलाई की तरफ आगे बढ़ाते हुए नारी को पुरुष के बराबर होने का सबूत दिया । सतगुरू बाबा हरदेव सिंह जी महाराज के ब्रह्मलीन होने के बाद , जब माहौल बेहद भावुक था , श्रद्धालू और भक्त घोर सोगी माहौल में विचर रहे थे तो सतगुरू रूप में अपने पहले संबोधन दौरान ही इन्होंने स्पष्ट कर दिया कि परमात्मा का ईश्वरीय आदेश अटल है , हम सब इस भाने अंदर रह कर सत्गुरू बाबा हरदेव सिंह जी के मानवता के उत्थान के लिए चलाए जा रहे कामों को आगे बढ़ाना है । वह कहते थे कि आज हम संसार में प्यार , मोहबत , शान्ति , हरेक का भला , शांतिपूर्ण आपसी सहहोंद संवेदनशील मुद्दों पर साकारातमिकता के साथ आगे बढ़ना है । वह अपने प्रवचनों में यह भी कहते थे कि नाकारातमिकता मनुष्य के जीवन को बंजर बना देती है , जबकि परमात्मा की याद ही जीवन को खुशहाल बनाती है । वह पूरे विश्व में अंत्र -राष्ट्रीय भाईचारो की स्थापना के लिए देशों विदेशों में जा कर इसको लोग लहर बनाने के लिए यतनशील रहे थे ।
जनवरी 2018 में भक्ति पूर्व समागम मौके इनजें ने समालखा ( हरियाणा ) में निरंकारी आध्यात्मिक स्थल का उद्घाटन किया था । जहाँ नवंबर 2018 में इंटरनैशनल वार्षिक निरंकारी संत समागम की शुरुआत हुई । आप जी ने भी बाबा हरदेव सिंह जी की तरह निरंकारी मिशन के संदेश को दुनिया के कोने कोने में पहुँचाने के लिए दिन रात एक कर दिया था । इसी लड़ी के अंतर्गत ही पिछले समय दौरान अमरीका , कैनेडा , इंग्लैंड , दुबई आदि देशों और भारत के बहुत सी प्रांतों में जा कर निरंकारी मिशन का संदेश दिया । सत्गुरू माता जी समाज का हर तरह विकास चाहते थे , के साथ ही बच्चों पर महिलाओं को भी आगे बढ़ते हुए देखना चाहते थे । वह कहते थे कि दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में आज औरतें नयी ऊँचाईयाँ हासिल कर रही थीं । उन की तरक्की देख कर खुशी होती थी । सत्गुरू माता सविन्दर हरदेव जी महाराज ने औरतें को जहाँ सांसारिक उपलभिदियों के लिए कठिन मेहनत करन के लिए प्रेरित किया वहां उन्होंने महिलाओं को अपना समय और ऊर्जा आध्यात्मिक मार्ग पर चलते हुए सेवा और सतिसंग में भी लगाने के लिए भी प्रेरित किया । वह बच्चों को समझा कर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते थे । उन बताया कि बच्चों को दी गई प्रशिक्षण में बच्चों के भविष्य का दिशा –निर्देश तो होना ही चाहिए , के साथ ही माता -पिता के मन में कोमलता भी होनी चाहिए ताकि भविष्य की चिंता में बच्चा कहीं वर्तमान को सुंदर बनाना ही न भूल जाऐ और पूरी तरह तनाव में ही नाम डूब जाऐ । इस करके बच्चों को भी शुरू ही सेवा , सिमरन पर सत्संग के साथ जोड़ना चाहिए । उन्होंने द्वारा बहुत ही समाज भलाई के कामों , स्वच्छ भारत अभियान , रक्तदान कैंप लगाने , आँखें दान करने , मैडीकल कैंप , कुदरती आफतों के शिकार लोगों की सहायता आदि बढ़ चढ़ कर योगदान डाला गया । सतगुरू माता सविन्दर हरदेव जी का जीवन सभी के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है । उन्होंने 16 जुलाई 2018 को निरंकारी मिशन की गुरगद्दी अपनी छोटी बेटी सुदीक्षा जी को देने का घोषणा की और 17 जुलाई 2018 को लाखों संगतें की हाज़िरी में हुए विशाल संत समागम दौरान अपनी गुरगद्दी बहन सुदीक्षा जी को गुरू मर्यादा अनुसार सौंप दी और अब सतगुरू माता सुदीक्षा जी महाराज निरंकारी मिशन के छठे सत्गुरू के तौर पर सेवाओं निभा रहे हैं । सतगुरू माता सविन्दर हरदेव जी बीमार रहने के कारण 5 अगस्त 2018 को दिल्ली में ज्योति ज्योति समा गए थे । यह 5 अगस्त 2020 का दिन सत्गुरू माता सविन्दर हरदेव जी के महान परोपकारी और कल्याणकारी जीवन और चर्चा करके उन की शिक्षाएं पर जीवन से प्रेरणा लेने के लिए समर्पित होगा ।

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