कल्याण केसरी न्यूज़ जालंधर, 14 अकतूबर: जिलाधिश घनश्याम थोरी ने पराली जलाने के ख़िलाफ़ चल रही जंग को और आगे बढ़ाते हुए ज़मीनी स्तर पर किसानों को पराली जलाने के बुरे प्रभावों के बारे में जागरूक करने के लिए बुधवार को पांच जागरूकता वैनों को हरी झंडी देकर रवाना किया। जिलाधिश ने ज़िला प्रशासकीय कांपलैक्स से जागरूकता वैन को हरी झंडी देकर रवाना करते हुए कहा कि इन वैनों के जरिए ऑडियो संदेश द्वारा लोगों को धान की पराली जलाने के बुरे प्रभावों के बारे जागरूक किया जायेगा। उन्होंने कहा कि कोविड-19 से जूझ रहे मरीजों की सेहत पर पराली का धुआं और भी बुरा प्रभाव डाल सकता है। उनके साथ अतिरिक्त डिप्टी कमिशनर (ज) जसबीर सिंह भी मौजूद थे।
जिलाधिश ने कहा कि धान की पराली किसानों के लिए बेहद लाभप्रद है और इसको किसी भी कीमत पर जलाया नहीं जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि फ़सल के अवशेष मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाने में अहम भूमिका अदा करते हैं। डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि पराली जलाने से वातावरण को ख़तरा पैदा हो रहा है।उन्होने कहा कि यह अति-आधुनिक वैन धान की पराली के प्रबंधन की ज़रूरत के बारे किसानों को जागरूक करने में सहायक साबित होंगी। जिलाधिश ने कहा कि ऑडियो संदेशों के अलावा यह वैनें धान की पराली को संभालने के प्रभावशाली तरीकों और पराली को आग लगने से होने वाले प्रदूषण बारे जागरूक करने के लिए किसानों तक प्रचार सामग्री के जरिए भी जानकारी पहुंचाएंगी।
उन्होंने कहा कि पराली जलाने का रुझान इस बार वातावरण में ज़हरीली गैसें पैदा करने के साथ-साथ कोरोना वायरस के मामलों को और बढ़ा सकता है।जिलाधिश ने यह भी दोहराया कि धान की पराली को जलाने की बजाय जिले में पराली जलाने की समस्या से प्रभावशाली ढंग से निपटने के लिए किसानों को खेती यंत्रों का प्रयोग करना चाहिए, जिससे जिले को प्रदूषण मुक्त बनाया जा सकता है। उन्होने कहा कि मुख्य मंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व में पंजाब सरकार अति-आधुनिक उपकरणों की खरीद के लिए किसानों को भारी सब्सिडी प्रदान कर रही है, जोकि धान की पराली के प्रबंधन के लिए लाभदायक हो सकती है।उन्होंने कहा कि धान की पराली को जलाने से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति नष्ट हो जाती हैं जबकि फ़सल के अवशेष मिट्टी में मिलाने से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति में सुधार होता है।