कल्याण केसरी न्यूज़ अमृतसर 1मार्च : प्रधान मंत्री नरिन्दर मोदी को अपने पाकिस्तानी हमरुतबा इमरान खाने साथ विशव प्रसिद्ध गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहब में भारतीय फ़ौज पर तोहमत लगा कर नफ़रत फैलाने के लिए नुमायश में रखे गए बम के खोल को तुरंत हटाने के लिए बातचीत करन की अपील करते पंजाब के भाजपा नेता पिरो: सरचांद सिंह भंगू ख्याला ने कहा कि बम के खोल को ले कर पाकिस्तान की तरफ से किये जा रहे झूठ और बे बुनियाद प्रचार से भारतीय यात्रुयों और सिक्ख श्रद्धालुओं में भारी नाराज़गी पाई जा रही है।
प्रधान मंत्री को लिखे पत्र में पिरो: ख्याला ने कहा कि पाकिस्तानी प्रधान मंत्री करतार पुर के कॉरिडोर को मोहब्बत का रास्ता और अमन का पुल आदि विशेशण दे परन्तु दर हकीकत यह ही है कि वह नफरत फैलाने की ओर बढ़ रहे हैं। सिख समुदाय को गुमराह करने और सिखों के मन में नफरत पैदा करने के लिए पाकिस्तान ने नरोवाल जिले के गांव शकरगढ़ में गु: दरबार साहिब करतारपुर साहिब के बाहर मजार साहिब के पास एक कुएं के पास पांच फीट ऊंचा टॉवर स्थापित किया है।
शीशे के शोकेस में प्रदर्शित (खोल) करतारपुर आने वाली सिख संगतों की खुशी के रंग में घुल रहा है। नोटिस बोर्ड पर गुरुमुखी, शाहमुखी और अंग्रेजी में लिखा, भारतीय सेना को सिख विरोधी और ’71 के युद्ध के दौरान गुरुद्वारा साहिब पर हमला करने की योजना’ के रूप में वर्णित किया गया था। बोर्ड में “अकाल पुरख वाहिगुरु जी का सच्चा चमत्कार” शीर्षक के तहत झूठा दावा किया है कि 1971 के युद्ध के दौरान गुरुद्वारा श्री दरबार साहिब श्री करतारपुर साहिब को नष्ट करने के लिए भारतीय सेना द्वारा बम गिराया गया था। अकाल पुरख वाहिगुरु की विशेष कृपा से बम इस कुएं साहिब ने अपनी पवित्र गोद में ले लिया और बाबा गुरु नानक देव जी स्मारक गुरुद्वारा श्री दरबार साहिब $ समाध (मजार) साहिब को विनाश से बचा लिया।
दावा है 1971 के युद्ध के बाद लंबे समय तक कुएं की सफाई करते हुए पाए गए हैं। लेकिन हकीकत में बम को लेकर पाकिस्तान की मनगढ़ंत कहानी मौजूद नहीं है। तथ्य यह है कि पाकिस्तान द्वारा युद्ध के बाद सिख समुदाय के मन में भारत के खिलाफ नफरत भड़काने की एक जानबूझकर साजिश के तहत झूठी कहानी गढ़ी गई थी। इखलाक बट और नासिर बट सहित गांव शकरगढ़ का हर निवासी, जो गुरु नानक में आस्था रखता है, पाकिस्तानी सरकार द्वारा ऐतिहासिक रूप में बुनी गई इस झूठी कहानी की सच्चाई से अच्छी तरह वाकिफ है। पूरी दुनिया जानती है कि ’71 के युद्ध के दौरान भारतीय सेना ने न केवल पूर्वी पाकिस्तान को एक निर्णायक लड़ाई में हराकर बांग्लादेश की स्थापना की बल्कि पश्चिमी पाकिस्तान के हजारों वर्ग मील पर भी कब्जा कर लिया।क्या ऐसा हो सकता है कि गुरुद्वारा करतारपुर की सफाई और रखरखाव के दौरान, भारत से केवल 4 मील की दूरी पर स्थित, भारतीय सेना ने उस बम के खोल को नहीं देखा या खोजा जो कुएं में या उसके पास गिरा था? . भारत के प्रति पाकिस्तान की अत्यधिक घृणा का प्रमाण गुरुद्वारा साहिब परिसर के जीर्णोद्धार में पाया जा सकता है, जब इसे बड़ा और सुशोभित किया जा रहा था, तब भी इसे हटाने के बजाय एक विशेष स्थान देकर। 9 नवंबर, 2019 को करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन पर, इमरान खान ने करतारपुर को सिखों का “मदीना” बताया और कहा, “जो कोई नेता होता है वह हमेशा लोगों को इकट्ठा करता है, नफरत फैलाकर वोट नहीं देता।” मौजूदा हलात सवाल उठाता है कि क्या मुसलमान अपने मदीना में भी नफ़रत फैलाने की सोच रखता है? पाकिस्तान के लिए गुरु नानक का संदेश शांति, साहस और प्रेम का है, तो फिर अवाम के मन में नाराज़गी, रोश, घृणा भरने की कोशिश और नफ़रत के बीज बीज कर भारत के साथ रिशत्यों में सुधार और बेहतर होने की आशा कैसे जा सकती है? प्रो. सरचंद सिंह खियाला ने कहा कि दोनों देशों में शांति, सद्भाव, आपसी भाईचारे को मजबूत करने और नए गठबंधनों को बढ़ावा देने के लिए सिख भावनाओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए. और बम के खोल को तुरंत हटा देना चाहिए।
इस अवसर पर प्रो. सरचंद सिंह खियाला ने करतारपुर साहिब में अपने सार्वजनिक मुस्लिम आगंतुकों के लिए 200 रुपये की फीस दोगुनी कर 400 रुपये चार्ज करने के लिए पाकिस्तान को भी फटकार लगाई। उन्होंने आरोप लगाया कि एक तरफ जहां प्रवेश शुल्क में बेवजह बढ़ोतरी की गई है, वहीं दूसरी तरफ रखरखाव के अभाव में गुरुद्वारा साहिब के संगमरमर के फर्श से फिसलन के कारण श्रद्धालुओं को लगभग रोजाना चोट लग रही है. उन्होंने कहा कि श्री करतारपुर साहिब परिसर में स्थापित आर्ट गैलरी और संग्रहालय को बंद कर दिया गया है और अधिकारियों को जानने वाले केवल पाकिस्तानी मुस्लिम आगंतुकों को लंगर में जाने की अनुमति दी गई है। गौरतलब है कि करतारपुर कॉरिडोर से गुजरने वाले भारतीय तीर्थयात्रियों से पाकिस्तान सरकार द्वारा डालर (लगभग 1500 भारतीय रुपए) यात्रा ख़र्च वसूला जा रहा है।