कल्याण केसरी न्यूज़ ,6 अगस्त : माता सविंदर हरदेव जी सामाजिक कार्य और मानव कल्याण के हित के लिए निरंतर भक्तों के साथ प्रेमभाव,आदर सम्मान और संसारिक भाईचारे के लिए सदैव कार्यशील रही हैं और सबको जात-पात, ऊंच नीच, वर्ण, मजहब, आश्रम के भेदभाव से मुक्त करने के लिए भरपूर योगदान दिया। उन्होंने अपने प्रवचनों में फरमाया कि अगर व्यक्ति की कमीज का पहला बटन ही गलत लग जाए, तो सारे बटन ही गलत लगते जाएंगे तथा सभी बटन खोल कर ठीक ढंग से लगाने पड़ेंगे, इसी प्रकार से हमें भी किसी भी काम की शुरुआत सोच समझकर एवं अच्छे ढंग से करनी चाहिए, जिससे कि वह कार्य बढ़िया ढंग से हो पाए और अच्छे परिणाम प्राप्त हों। माता सविंदर हरदेव जी का जन्म 12 जनवरी 1957 को पिता मनमोहन सिंह जी और माता अमृत कौर जी के घर में हुआ। इनका पालन-पोषण गुरमुख सिंह आनंद जी और माता मदन कौर जी ने किया , जो कि मुलतयः फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश के थे, जिन्होंने इन्हें गोद लिया था । परंतु पिता गुरमुख सिंह व माता मदन कौर जी को यह पता नहीं था कि वे किस महान हस्ती को अपने घर लेकर आए हैं। गोद लेने वाली रसम भी शहंशाह बाबा अवतार सिंह जी के शुभ आशीर्वाद के द्वारा पूरी हुई थी। इनका बचपन बहुत ही सादा एवं सच्चा था।
माता सविंदर हरदेव जी की प्राथमिक शिक्षा फरुखाबाद, उत्तर प्रदेश में हुई। उसके पश्चात 1966 में आप जी ने मंसूरी के एक लैरिश इंस्टीट्यूट, कान्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी मे दाखिला लिया तथा यहाँ से वर्ष 1973 में सीनियर सेकेंडरी तक की शिक्षा प्राप्त की। बचपन से ही वे प्रतिभाशाली छात्रा रही हैं।यही कारण था कि उनके प्रत्येक विषय में शत प्रतिशत अंक आते थे । पी.दास एवं वीणा भारद्वाज, अध्यापिकाओं- जिन्होंने विद्यालय स्तर पर इनको शिक्षा दी, ने बताया कि यह बहुत ही प्रतिभाशाली एवं मेहनती छात्रा रही है। इनकी दिल को छू जाने वाली शख्सियत के कारण ही इन्होंने प्रत्येक शिक्षक का दिल जीता। बाद में उच्च शिक्षा के लिए आप दिल्ली आ गई और प्रसिद्ध दौलत राम कॉलेज से उच्च शिक्षा प्राप्त की। 14 नवंबर, 1975 को दिल्ली में इनका विवाह सतगुरु बाबा हरदेव सिंह जी महाराज के साथ हुआ और इस तरह वो विश्व प्रसिद्ध सतगुरु बाबा गुरबचन सिंह जी महाराज के परिवार का हिस्सा बन गए। इसके पश्चात उन्होंने विश्व मुक्ति यात्रा स्विट्जरलैंड, फ्रांस, बेल्जियम एवं ऑस्ट्रेलिया आदि देशों की यात्रा की और निरंकारी मिशन का प्रचार किया। अगले वर्ष 1976 में फिर इन्होंने कुवेत, इराक, थाईलैंड, हांगकांग, कनाडा, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड आदि देशों की यात्रा की। जहां पर बाबा हरदेव सिंह जी एवं सतगुरु बाबा गुरबचन सिंह जी महाराज के साथ प्रचार भी किया और आध्यात्मिकता की बारीकियों को जाना, समझा और अपने जीवन में भी अपनाया।
फिर 24 अप्रैल 1980 को एक दुखदाई घटना घटी, जब दुनिया में शांति और सद्भावना फैलाने वाले शांतिदूत बाबा गुरबचन सिंह जी बुरी मानसिकता व हिंसा के शिकार हो गए। इस घटना के साथ पूरे निरंकारी जगत में शोक की लहर दौड़ गई एवं हर तरफ घोर अंधेरा छा गया। इस समय बाबा हरदेव सिंह जी को गुरुगद्दी सौंप दी गई तथा सविंदर माता जी को पूज्य माताजी का दर्जा दे दिया गया। उसके पश्चात यह हमेशा बाबा जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर निरंकारी मिशन एवं निरंकार प्रभु के प्रचार प्रसार में लगे रहे। प्रत्येक आने वाले गुरमुख, महापुरुष का यह पूरा ख्याल रखते और हर एक को अपना प्यार बांटते रहे। इन्होंने परिवारिक जिम्मेदारियों को भी बखूबी निभाया तथा साथ ही साथ सामाजिक व्यवस्था, गुरसिक्खी वाला जीवन, मानवता की सेवा करते हुए शानदार तरीके से निभाया। इनके घर में तीन सुपुत्रियों समता जी, रेणुका जी एवं सुदीक्षा जी ने जन्म लिया, जो की पूरी तरह गुरु भक्ति से समाहित है। माता सविंदर जी ने बाबा हरदेव सिंह जी के साथ भारत के अलग-अलग राज्यों में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में फैले हुए निरंकारी संतो के साथ नजदीक से संवाद किया और भक्तों के घरों में जाकर भी अपना आशीर्वाद प्रदान किया। उन्होंने 36 साल तक बाबा हरदेव सिंह जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर मानवमात्र को अज्ञानता के अंधेरे में से निकाल के भलाई की और आगे बढ़ाया तथा नारी एवं नर के बराबर होने के भी सबूत दिए। सतगुरु बाबा हरदेव सिंह जी महाराज के ब्रह्मलीन होने के पश्चात जब माहौल बेहद भावुक था, श्रद्धालु एवं भक्त शोक के माहौल में विचर रहे थे ,तब सतगुरु रूप में आपजी ने अपने पहले संबोधन में स्पष्ट कर किया कि परमात्मा का भाणा अटल है, हम सबको इस भाणे के अंदर रहकर सतगुरु बाबा हरदेव सिंह जी के मानवमात्र के उत्थान के लिए चलाए जा रहे कार्यों को आगे बढ़ाना है।उन्होंने कहा कि आज इस संसार में प्यार, मोहब्बत, शांति, सरबत का भला, शांतिपूर्ण आपसी संवेदनशील मुद्दों एवं सकारात्मकता के साथ आगे बढ़ना है। उन्होंने अपने प्रवचनों में कहा कि नकारात्मकता इंसान के जीवन को बंजर बना देती है जबकि परमात्मा की याद ही जीवन को खुशहाल बनाती हैं। वे पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय भाईचारे की स्थापना के लिए देश विदेशों में जाकर इसे एक लहर बनाने के लिए सदैव प्रयत्नशील रहे। जनवरी 2018 में भक्ति पर्व समारोह के अवसर पर उन्होंने समालखा, हरियाणा में निरंकारी आध्यात्मिक स्थल का उद्घाटन भी किया। यहां नवंबर 2018 में अंतरराष्ट्रीय वार्षिक निरंकारी संत समागम करवाया गया। आप जी ने भी बाबा हरदेव सिंह जी की तरह ही निरंकारी मिशन के संदेश को दुनिया के कोने कोने में पहुंचाने के लिए दिन रात एक कर दिया। इसी कड़ी के तहत ही अमेरिका,केनेडा, इंग्लैंड दुबई आदि देशों एवं भारत के बहुत सारे राज्यों में जाकर निरंकारी मिशन का संदेश दिया। सतगुरु माता जी समाज का हर प्रकार से विकास करना चाहते थे,साथ ही बच्चों एवं महिलाओं को भी आगे बढ़ते हुए देखना चाहते थे। वे कहते थे कि दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में आज महिलाएं नई ऊंचाइयां हासिल कर रही है। वह महिलाओं की तरक्की देखकर बहुत खुश होती थी। सतगुरु माता सविंदर हरदेव जी महाराज ने महिलाओं को यहां संसारिक उपलब्धियां के लिए कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित किया, वहीं उन्होंने महिलाओं को अपना समय एवं ऊर्जा आध्यात्मिक मार्ग पर चलते हुए सेवा और सत्संग में लगाने के लिए भी प्रेरित किया। वह बच्चों को समझा कर आगे बढ़ने के लिए भी प्रेरित करते थे। उन्होंने बताया कि बच्चों को दी गई सिखलाई बच्चों के भविष्य का दिशा निर्देश तो होना ही चाहिए, साथ ही साथ माता-पिता के मन की कोमलता भी होनी चाहिए जिससे कि भविष्य की चिंता में बच्चा कही वर्तमान को सुंदर बनाना ही न भूल जाए और पूरी तरह तनाव में ही न डूब जाए। इसलिए बच्चों को भी शुरू से ही सेवा, सिमरन एवं सत्संग के साथ जोड़ना चाहिए। उनके द्वारा समाज कल्याण के बहुत से कार्य किए जिसमें -स्वच्छ भारत अभियान, रक्तदान शिविर, नेत्रदान शिविर, मेडिकल कैंप, प्राकृतिक आपदा के शिकार लोगों की सहायता में बढ़-चढ़कर योगदान किया गया। सतगुरु माता सविंदर हरदेव जी का जीवन सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने 16 जुलाई 2018 को निरंकारी मिशन की गुरुगद्दी अपनी छोटी बेटी सुदीक्षा जी को देने का ऐलान किया और 17 जुलाई 2018 को लाखों की साधसंगत की हजूरी में हुए विशाल संत समागम के दौरान अपनी गुरुगद्दी बहन सुदीक्षा जी को गुरु मर्यादा के अनुसार सौंप दी तथा अब सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज निरंकारी मिशन के छठे सतगुरु के तौर पर सेवाएं निभा रहे हैं। सतगुरु माता सविंदर हरदेव जी कुछ समय बीमार रहने के कारण 5 अगस्त 2018 को दिल्ली में ज्योति ज्योत समा गए।