कल्याण केसरी न्यूज़ अमृतसर, 3 अक्तुबर ; अमृतसर जिले में इस बार लगभग 181000 हेक्टेयर क्षेत्र में धान (बासमती सहित) की खेती की गई है, जिससे लगभग 10 लाख 75 हजार मीट्रिक टन उत्पादन की संभावना है, ताकि किसी किसान को कोई समस्या न हो । उपायुक्त हरप्रीत सिंह सूदन ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि जिले में धान की फसल के मुरझाने की समस्या के कारण उत्पादन पर बुरा असर पड़ सकता है । उन्होंने कहा कि जिस तरह तकनीकी ज्ञान होना जरूरी है । धान उत्पादन के लिए मार्केटिंग का ज्ञान होना और भी जरूरी है।
उन्होंने कहा कि यदि जींस की बिक्री विपणन के सिद्धांतों को ध्यान में रखकर की जाती है तो किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य मिल सकता है । यदि ऐसा किया जाता है, तो कच्चे और हरे अनाज उपज की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं जिससे किसान को नुकसान उठाना पड़ता है । बाजार में विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि ट्रॉलियों या अन्य वाहनों के पीछे रिफ्लेक्टर जरूर लगवाएं ताकि हादसों से बचा जा सके । उन्होंने कहा कि अच्छी और पूरी कीमत पाने के लिए उपज में नमी की मात्रा निर्धारित मानकों के अनुसार होनी चाहिए, क्योंकि उपज का विपणन नमी की मात्रा के आधार पर होता है, बेहतर होगा कि किसान फसल काट ले । खड़ी फसल को घर पर सुखाते हैं।ताकि किसान फसल को बेचकर समय पर घर लौट सके। उन्होंने कहा कि सभी प्रकार के धान में नमी की मात्रा 17 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि धान की कटाई सुबह 10 बजे के बाद और शाम 7 बजे से पहले करें । उन्होंने कहा कि कंबाइन मालिकों को भी निर्देश जारी किया गया है कि वे अपना कंबाइन सुबह 10 बजे से शाम 7 बजे तक चलाएँ । किसान अगर फार्म देने से मना करता है या कच्ची पर्ची देता है तो इसकी लिखित शिकायत जिला मण्डी अधिकारी से कर सकते हैं । उन्होंने कहा कि वर्ष 2022-23 के दौरान भारत सरकार द्वारा धान (ग्रेड ए) का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2060/- और सामान्य वर्ग के लिए 2040/- प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। उपायुक्त ने कहा कि किसानों को 24 घंटे के भीतर भुगतान सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किए गए हैं ।