कल्याण केसरी न्यूज़, अमृतसर, 10 नवंबर 2024: जहां हमारे कुछ किसान खेतों में पराली जलाकर भूमि के आवश्यक तत्वों को जला रहे हैं, वहीं भूमि की उर्वरता भी कम हो रही है और प्राकृतिक पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। वहीं, हमारे कुछ किसान, जो आगे बढ़ने की क्षमता रखते हैं, अपने खेतों में पराली को जलाए बिना ही खेतों की जुताई करके फसलों की अतिरिक्त उपज प्राप्त कर रहे हैं।
ब्लॉक अटारी के गांव बासरके गिलां के हरमनजीत सिंह ऐसे ही प्रगतिशील किसान हैं। वह हर वर्ष पराली न जलाकर धरती की उर्वरा शक्ति को बचाते हुए प्राकृतिक पर्यावरण को स्वच्छ रखने में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं।
किसान का मानना है कि पराली को खेतों में मिलाने से फसल की पैदावार लगातार बढ़ रही है। इसके अलावा खाद की मांग कम हो रही है, जिससे फसल पर खर्च कम हो रहा है। किसान हरमनजीत सिंह ने बताया कि वह सुपर सीडर से गेहूं की बिजाई कर रहे हैं और पिछले चार साल से बिना पराली जलाए गेहूं की बिजाई कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से हमारी फसलों की पैदावार बढ़ गई है और जमीन जुताई के लिए नरम हो गई है। उन्होंने कहा कि मैंने भी एक साल में तीन फसलें देखी हैं लेकिन पैदावार सामान्य लोगों से ज्यादा होती है। उन्होंने बताया कि प्रति एकड़ लगभग पचास क्विंटल उपज प्राप्त हुई है। उन्होंने कहा कि मुझे कृषि विभाग से ऐसा करने की प्रेरणा मिली और मैंने उनकी बात सुनकर प्रयोग के तौर पर इसे करना शुरू किया, जिसके अच्छे परिणाम मिले।
गौरतलब है कि इस समय डिप्टी कमिश्नर साक्षी साहनी के नेतृत्व में जिले के सभी अधिकारी पराली की आग को रोकने के लिए प्रयास कर रहे हैं।