
कल्याण केसरी न्यूज़, चंडीगढ़, 14 नवंबर 2025: विश्व मधुमेह दिवस के अवसर पर चंडीगढ़ प्रेस क्लब में आयोजित एक जागरूकता कार्यक्रम के दौरान डायबिटिक रेटिनोपैथी के बढ़ते खतरे पर गंभीर चिंता जताई गई। यह बीमारी वयस्कों में होने वाली रोके जा सकने वाली अंधता का प्रमुख कारण है। ग्रेवाल आई इंस्टीट्यूट मेडिसिटी, न्यू चंडीगढ़ की जन-जागरूकता पहल “चिराग” के विशेषज्ञों की टीम के अनुसार, हर तीन में से एक डायबिटिक मरीज किसी न किसी स्तर पर रेटिनोपैथी से प्रभावित होता है, जबकि हर पांच में से एक मरीज को विजन थ्रेटनिंग डायबिटिक रेटिनोपैथी का खतरा रहता है। उन्होंने मधुमेह की पहचान होते ही समय पर आंखों की जांच व नियमित फॉलो-अप कराने की अपील की, ताकि दृष्टि हानि को रोका जा सके।
विट्रो-रेटिनल सेवाओं के चेयरमैन डॉ. एम.आर. डोगरा ने बताया कि समय पर जांच और प्रबंधन से 90% से अधिक डायबिटीज़-संबंधित अंधता रोकी जा सकती है। उन्होंने द लांसेट ग्लोबल हेल्थ (2024) का हवाला देते हुए कहा कि भारत में 12.5 प्रतिशत डायबिटिक मरीज डीआर से प्रभावित हैं, लेकिन 75 प्रतिशत मरीजों ने कभी स्क्रीनिंग नहीं करवाई। इस मौके डॉ. मनप्रीत बराड़ ने कहा कि डाईबेटिक रेटिनोपैथी अक्सर बिना किसी लक्षण के बढ़ती है, इसलिए हर वर्ष डाइलेटेड रेटिना एग्ज़ाम बेहद ज़रूरी है। समय पर इंजेक्शन, लेज़र या सर्जरी से दृष्टि बचाई जा सकती है।
एंडोक्राइनोलॉजिस्ट एवं पूर्व एसोसिएट प्रोफेसर, पीजीआई , डॉ. आर. मुरलीधरन ने टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज़ में अंतर, इनके शुरुआत की उम्र और उपचार पद्धतियों की विस्तृत जानकारी साझा की। जीईआई के सीईओ व मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. एस.पी.एस. ग्रेवाल ने कहा कि 25 वर्ष तक डायबिटीज़ रहने के बाद लगभग हर मरीज में किसी न किसी प्रकार की रेटिनोपैथी विकसित हो जाती है। भारत में मधुमेह तेजी से बढ़ रहा है—लंबी उम्र, कम सक्रिय जीवनशैली और गलत खानपान इसके प्रमुख कारण हैं। इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन डायबिटीज़ एटलस 2024 के अनुसार, दुनिया में इस समय 589 मिलियन वयस्क डायबिटीज़ से पीड़ित हैं, और यह संख्या 2050 तक बढ़कर 853 मिलियन होने का अनुमान है। भारत में 101 मिलियन से अधिक डायबिटिक मरीज हैं, जो विश्व में सबसे अधिक संख्या में से एक है। कार्यक्रम के अंत में जीईआई विशेषज्ञों ने बेहतर शुगर नियंत्रण, वार्षिक रेटिना जांच और समय पर उपचार की अपील की, ताकि मरीज अपनी दृष्टि सुरक्षित रख सकें।
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