अमृतसर : मुख्य खेतीबाड़ी अधिकारी श्री दलबीर सिंह छीना ने अपील करते हुए कहा कि किसानो की ओर से अभी तक झोना को यूरिया खाद्य पाई जा रही है वह खेत माहिरों की सलाह के अनुसार ही यूरिया खाद्य डाले । छीना ने बताइया कि पंजाब कृषि युनिवेर्सिटी लुधिअाना की और से झूने की फसल को केवल दो बेग यूरिया खाद्य को डालने के लिए बोला गया है। इसीलिए डालने की मात्रा के अनुसार ही यूरिया डाली जाये। अगर झोना की प्रत्यारोपण से पहले डिवाइस / मूंग की फसल के रूप में हरी खाद्य खेतो में उगाई है, तो यूरिया खाद्य के केवल एक से डेढ़ बेग ही इस्तेमाल किये जायें । यूरिया खाद्य पनीरी लगाने से 45 दिनों के अंदर ही डाली जायें, 45 दिनों के बाद डाली हुई यूरिया खाद्य का फसल को लाभ नहीं होता। उन्होंने बताया कि यूरिया डालने से ज्यादा और 45 दिनों के बाद डाली यूरिया खाद्य हानिकारक कीट खास तोर पर तेलों और बीमारियों को लेकर आती है ,जिस के साथ न केवल किसानो किसान का व्यय बढ़ता है और उपज कम हो जाती है और धरती व् प्रदूषण में जहर जैसा वातावरण बढ़ जाता है। यूरिया डालते समय खेतो में पानी बिलकुल काम कर देना चाहिए और यूरिया डालने के बाद तीसरे दिन पानी डालना चहिए।
छीना ने बताया कि इस समय बासमती के कारन पैरो में लगने वाले रोग देखने को मिल रहे है। किसानो को सलाह दी जा रही है कि यह फंगल रोग के कारण हो रहा है , जिस कारण बीमार पौधे पिले पद जाते है और मुर्जा कर सोक जाते है। बीमारी के पौधे दुसरो से ऊँचे होते है। इस लिए बासमती की लगाई पनीरी की खोज कर ही खेतो में लगानी चाहिए। इस बीमारी के लक्षण आने वाले कुछ किसानो की और से बविस्टन का छटा दिया जा रहा है जिस का कोई लाभ नहीं होता और न ही पंजाब कृषि युनिवेर्सिटी की और से इस की सिफर्श की गई है। इस किये बीमारी वाले पौधे को खेतो में से उखाड़ कर नष्ट कर देना चाहिए और खेतो में पानी सुका कर हल्का-हल्का पानी देना चाहिए।