दिल्ली : निरंकारी सद्गुरु माता सुदीक्षा जी ने आज यहाँ एक दो-दिवसीय निरंकारी यूथ सिम्पोजियम का शुभारंभ किया जहाँ पुरुष के शरीर के छः मूल तत्वों पर चर्चा होगी – धरती, अग्नि, पानी, वायु, आकाश एवं चेनता। सिम्पोजियम में दिल्ली तथा आस-पास के क्षेत्र से आये हजारों निरंकारी युवा भाग ले रहे हैं, जबकि कुछ प्रतिनिधि अन्य स्थानों से भी आए हैं।
इस अवसर पर सद्गुरु माता जी ने कहा कि आप कल की तरह आज भी इस उत्साह के साथ एकत्रित हुए हैं। मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है। कल का दिन खेल-कूद को सपर्पित था जिसमें आपने मौसम खराब होते हुए भी अपने अपने मैच को पूरी तरह समाप्त किया। क्रिकेट के अंतिम मैच को समाप्त होते-होते तो आधी रात हो चुकी थी। निरंकार से प्रार्थना है कि यह जोश और होश का जोड़ सदा ही ऐसे बना रहे।
सद्गुरु माता जी ने कहा कि आज आप सिम्पोजियम में उसी उत्साह के साथ शामिल हो रहे हैं। आप भलीभांति जानते हैं कि आज मिशन में जो बुजुर्ग हैं उन्होंने भी अपनी युवावस्था में इस कदर योगदान दिये कि आज हम मिशन का इतना विशाल रूप देख रहे हैं। अब आप की बारी है। आपने भी उनके प्रयासों को आगे बढ़ाते रहना है।
सिम्पोजियम से पूर्व कल का दिन शुक्रवार खेलों को समर्पित रहा। इनमें भी दिल्ली तथा बाहर से आए हुए संत निरंकारी मिशन के युवा खिलाड़ियों तथा अथलिटों ने भाग लिया। खेलों में शामिल थे क्रिकेट, फुटबाल, वाॅलीबाल और बेडमिंटन। खेलों का उद्घाटन सद्गुरु माता सुदीक्षा जी ने सफेद झंडा फहरा कर तथा ओलिंपिक टार्च एवं एफेद गुब्बारों से किया। सद्गुरु माता जी ने खेलांे में भाग लेने वाले निरंकारी युवा भाई-बहनों को इतनी संख्या में एकत्रित होने के लिए मुबारकबाद दी। सद्गुरु माता जी ने सेवादल तथा साध संगत को भी मैदानों को साफ तथा समतल करने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि इस स्वास्थवर्धक कार्यक्रम के लिए यह मैदान इसलिए चुना गया क्योंकि यहाँ बाबा हरदेव सिंह जी महाराज की कल्पना के अनुसार निरंकारी हेल्थ सिटी का निर्माण किया जा रहा है।
उन्हांने कहा कि बाबा जी स्वयं एक अच्छे अथलीट थे और उन्होंने निरंकारी युवा वर्ग को हमेशा खेलों के लिए ही नहीं बल्कि मिशन की अन्य गतिविधियों में भाग लेने के लिए भी प्रेरित किया। सद्गुरु माता जी ने कहा कि हमें खेलों तथा अथलेटिक्स के माध्यम से अपने जीवन में आध्यात्मिकता लाने के लिए भी प्रेरणा मिलती है।
निरंकारी यूथ फोरम का निर्माण 1975 में बाबा गुरबचन सिंह जी महाराज ने किया। उन्होंने देखा कि संसार भर में युवा वर्ग को गलत दिशा की ओर ही आकर्षित नहीं किया जा रहा बल्कि उनकी शक्ति का दुरुपयोग भी हो रहा है और इसमें धर्म का नाम भी कहीं न कहीं जुड़ जाता है। युवा शक्ति एक उमड़ती हुई नदी के समान है। यदि बांध लगाकर इसे नियंत्रित कर लिया जाता है तो बिजली भी पैदा कर सकती है और हामरे खेतों को हरियाली प्रदान कर सकती है। नहीं तो हर ओर जान-माल का नुकसान ही करेगी। इसी प्रकार आज युवा शक्ति को नियंत्रित करके इसे नेक कार्यों के लिए प्रयोग करने की जरूरत है। वरना ये शक्ति धरती को नर्क भी बना सकती है।
अतः उन्होंने निरंकारी यूथ फोरम की स्थापना की और इसके अंतर्गत व्यवस्थापूर्वक कार्य करने की जिम्मेदारी बाबा हरदेव सिंह जी को सौंपी। बाबा हरदेव सिंह जी ने कुछ वर्ष तो इसे इसी रूप में चलाया। परंतु 1980 में जब उन्हें निरंकारी सद्गुरु की जिम्मेदारी मिली तो फोरम को उसी रूप में आगे न बढ़ा सके। हालांकि निरंकारी युवा वर्ग को मिशन की विभिन्न गतिविधियों में भाग लेने के लिए हमेशा उत्साहित करते रहे।अभी सद्गुरु माता जी ने निरंकारी यूथ फोरम को फिर से इसके अपने बैनर के नीचे कार्य करने का आह्वान किया है। जिसमें मिशन की गतिविधियों के अलावा खेल-कूद इत्यादि के कार्यक्रम भी आयोजित किये जाऐंगे।