जालन्धर : तंदुरुस्त पंजाब मिशन के अर्तगत कृषि विभाग और पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की ओर से धान की पराली को जलाने से होने वाले हानिकारक प्रभावों के बारे में किसानों को गांवो में विशेष कैंप लगा कर जागरूक किया जा रहा है। फसलों के अवशेषों का उचित उपयोग के बारे में ब्लॉक स्तर पर कूकड गांव में करवाये गये किसान सिखलाई कैंप में डा कुलदीप सिंह मतेवाल, डा बलजिंदर सिंह भुल्लर और अन्य द्वारा किसानों और लोगों को धान की पराली को जलाने से होने वाली हानि के बारे में जानकारी दी गई। उन्होंने कहा कि धान की पराली जलाने से पर्यावरण और मानवीय स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा हो सकता है। उन्होने ने किसानों को कहा कि पंजाब सरकार द्वारा फसलों के अवशेषों के उचित उपयोग के लिए दी जाने वाले स4िसडी का अधिक-से-अधिक लाभ उठाये और प्राकृतिक ढंग से मिट्टी की प्रजनन क्षमता को बढा कर लाभ उठायें।
इसी तरह, नूरमहल में आयोजित विशेष कैंप के दौरान कृषि वि5ााग के डा हरपाल सिंह, डा अनूप कोहली, डा बलकार चंद और अन्यों ने किसानों को फसलों के अवशेषों के उचित उपयोग के लिए इन-सिटू मैनेजमैंट विधि को अपनाने के लिए प्रेरित किया । उन्होंने कहा कि इस विधि को अपनाने से किसानों का खाद के संधर्भ में व्यय को कम किया जा सकता है क्योंकि धान की पराली जलाने से कई प्रकार के मिट्टी के सूक्ष्म पोषक तत्व नष्ट हो जाते है, जिससे किसानों को खेतों में अधिक खाद का उपयोग करना पडता है जिससे व्यय बढता है । उन्होने किसानों से अपील की कि वे पराली को जलाने के रूझान को छोड दें क्योंकि यह राज्य के लिए बहुत हानिकारक है।
इस प्रकार पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड द्वारा गांव गोराया में करवाये गये जागरूकता प्रोग्राम के दौरान सहायक इवायरमैंट इंजीनियर गुनीत सेठी किसानों के रू-ब-रू हुए और किसानों को धान की पराली को जलाने से होने वाले बुरे प्रभावों के बारे में जानकारी दी गई। इस अवसर पर किसानों को जागरूक करने के लिए पैंफलेट भी वितरित किये गये। उन्होने विशेष रूप से पंचायत को किसानों द्वारा अपने खेत में धान की पराली को ना जलाने की अपील करने के लिए कहा गया।