भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू द्वारा एलपीयू की 9वीं कन्वोकेशन को संबोधन

पंजाब इंडस्ट्रीका व कॉमर्स के केबिनेट मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा दिवस के माननीय अतिथि रहे

जालधंर : भारत के माननीय उपराष्ट्रपति श्री मुप्पवरापु वेंकैया नायडू आज लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी पहुंचे जहां उन्होंने  बदलेव राज मितल यूनीपोलिस ऑडीटोरियम में आयोजित यूनिवर्सिटी के ९वें वार्षिक विशाल कनवोकेशन समारोह को संबोधित किया जिसमें हजारों विद्यार्थियों ने डिग्रियां व डिप्लोमे प्राप्त किए।  नायडू ने न केवल दीक्षांत समारोह को संबोधित ही किया अपितु उन्होंने 54 विद्यार्थियों को पी एच डी की डिग्री तथा 98 मेधावी विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल भी प्रदान किए। कनवोकेशन में अंतर्राष्ट्रीय अखंडता की एक असाधारण झलक देखने को मिली जब 70 से अधिक देशों के विद्यार्थियों को भी उनके भारतीय सहपाठियों के साथ-साथ डिग्री/प्रमाणपत्र मिले। इस यादगारी अवसर पर डिग्रियां प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के माता-पिता ने भी अपने बच्चों को माननीय उप-राष्ट्रपति महोदय की उपस्थिति में डिग्रियां प्राप्त करते हुए देखा। समारोह के दौरान वीवीआईपी की एक बड़ी उपस्थिति होने के कारण, इस अवसर पर पूरा प्रशासन कैंपस के आसपास सुरक्षा व्यवस्था की देख-रेख में शामिल रहा।

भारत की गोल्डन स्टेट पंजाब में पहुंच कर अपनी अत्याधिक प्रसन्नता व्यकत करते हुए उन्होंने सभी को पंजाबी भाषा में अपने एक पंकित वाले अंदाज के साथ संबोधित किया-‘सत श्री अकाल, अज्ज दियां मुबारकां, इत्थे आके मैं बड़ा खुश हां’ मैं एल पी यू को बधाई देना चाहुंगा कि यह उत्साह, उमंगों व नवीनताओं से भरी युवा यूनिवर्सिटी है। यह विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के प्रति बचनवद्ध है जिससे 21वीं सदी में वे वैश्विक समाज की चुनौतियों का सामना करने के काबिल हो जायेंगे। सही शिक्षा युवाओं को देश की पदार्थीय प्रगति की ओर बढ़ाती है और साथ-साथ देश की सांस्कृतिक और आत्मिक विरासत को भी कायम रखती है।

शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बताते हुए श्री नायडू ने कहा-‘किसी भी राष्ट्र के सामाजिक व आर्थिक बदलाव के लिए शिक्षा मुखय स्त्रोत है और यह समाज में ज्ञान बढ़ाने के लिए नींव का काम करती है। संस्थानों को विद्यार्थियों को विश्लेषण कर्ता जैसी स्किलका तथा नवीनता भरी सोच वाले बनाना चाहिए।’ श्री नायडू ने जोर देकर कहा कि उच्च शिक्षा का मुखय उद्देश्य भारत के प्राचीन गौरव को पुन: स्थापित करना है। भारत को कभी विश्व गुरु के रूप में जाना जाता था और हमारी यूनिवर्सिटीयां श्रेष्ठता का केंद्र होती थीं। भारत के इस पुरातन विश्वगुरु होने के गौरव को पुन: प्राप्त करने के लिए प्राईवेट सैकटर को अह्म भूमिका निभानी होगी। एल पी यू के विशेष गुणों की भरपूर प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि मैं यह जानकर खुश हूं कि यूनिवर्सिटी अपने विद्यार्थियों का पूर्ण विकास करती है और इसके लिए खेलकूद, सांस्कृतिक गतिविधियां, मुल्यों, अनुशासन, टीम वर्क, लीडरशिप आदि पर पूरा जोर देती है। इन सबके लिए मैं यूनिवर्सिटी के चांसलर, अध्यापकों तथा स्टाफ सदस्यों को बधाई देता हूं कि वे राष्ट्र निर्माण की ओर अग्रसर होते हुए सभी को गुणवता पूर्व शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। महिलाओं के उत्थान के बारे में नायडू ने कहा महिलाओं को पढ़ाओ और सारे देश को शिक्षित बना लो। महिलाओं को लगातार प्रेरणा की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि हमें सदैव अपने माता  मातृ भाषा, मातृ भूमि, जन्मस्थान तथा गुरुओं को सदैव याद रखना चाहिए।

समारोह में माननीय उप-राष्ट्रपति के साथ मुखय मंच पर इंडस्ट्रीका व कॉमर्स के केबिनेट मंत्री  सुंदर शाम अरोड़ा दिवस के माननीय अतिथि के रूप में मौजूद थे। उनके साथ लवली ग्रुप के चैयरमेन  रमेश मितल, एल पी यू के चांसलर अशोक मितल व प्रो. चांसलर श्रीमती रश्मि मितल मंच पर आसीन थे। हाल में अन्य मौजूद अति महत्वपूर्ण व्यकितयों में वाईस चैयरमेन श्री नरेश मितल,वाईस चांसलर प्रो. डॉ. रमेश कंवर तथा राज्यसभा के सांसद व पंजाब बी जे पी के चीफ श्वेत मलिक, एम एल ए सोम प्रकाश सहित कई उच्च पदवियों पर आसीन राजनीतिज्ञ और अधिकारीगण मौजूद थे। इससे पहले माननीय उप-राष्ट्रपति का स्वागत करते हुए कैंपस में प्रेरणादायी व्यकितत्व के स्वामी श्री एम वेंकैया नायडू को कनवोकेशन के मुखय अतिथि के रूप में देख कर एल पी यू के चांसलर श्री अशोक मितल ने अपनी भव्य प्रसन्नता व्यकत की।  मित्तल ने बताया कि इस कनवोकेशन में डिग्रियां प्राप्त करने वाले 3000 से अधिक विद्यार्थी श्री नायडू के राज्य से ही संबंधित हैं। एल पी यू की विरासत के बारे में सूचित करते हुए उन्होंने बताया कि एल पी यू के एलुमनायी या तो संपन्न उद्धमी हैं या फिर वे विश्व की टॉप कंपनियों जैसे कि एप्पल, गूगल, माइक्रोसोफट कंपनियों में कार्यरत हैं। एल पी यू में हाल ही में न्यूयार्क, लॉस एंजल्स, मेलबॉर्न, लंदन आदि में अपनी एलुमनायी मीट भी की हैं।

मितल ने एल पी यू को प्राप्त हुई सुप्रसिद्ध रैंकिंग के बारे में भी बताया जिसमें भारत सरकार द्वारा फार्मेसी व मैनेजमेंट के क्षेत्र में प्रदान की गई ‘एनआईआरएफ’ टॉप रैंकिंग; लगभग 6000 आवेदकों में से स्वच्छ भारत की रैंकिंग; तथा, हाल ही में देश के 700 से अधिक प्राईवेट कृषि संसथानों में से प्राप्त हुई आईसीएआर रैंकिंग जिससे एल पी यू भारत का पहला और अकेला संसथान बना है, आदि शामिल हैं। वास्तव में एलपीयू में कनवोकेशन हमेशा उल्लेखनीय रहीं हैं कयोंकि इसका संबोधन किसी न किसी अन्य राष्ट्र के प्रमुख या राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय महत्व के लीडर ही करते आ रहे हैं। इस तरह के महत्वपूर्ण संबोधन से विद्यार्थियों के जीवन के नए चरण में प्रवेश करने से पहले ही व्यावहारिक विचारों का बेहतरीन प्रभाव पड़ जाता है। इससे पहले की कनवोकेशन में भारत, मॉरीशस, लेसोथो किंगडम, डोमिनिका रिपबिलक (उत्तरी अमेरिका), अफगानिस्तान राष्ट्रों के कई राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्री तथा नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्तकर्ता 14वें दलाई लामा, तेनकिान ग्यातो अलग-अलग कन्वोकेशन के दौरान एलपीयू के कई हजारों विद्यार्थियों को संबोधित कर चुके हैं।

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