संत निरंकारी मिशन ने बनाई रोशन मीनार की सबसे बड़ी मानव आकृति

दिल्ली : सन्त निरंकारी मिशन ने  सन्त निरंकारी आध्यात्मिक स्थल , जी.टी. रोड, समालखा, हरियाणा में‘ रोशन मीनार की सबसे बड़ी मानव आकृति ’बना करअपना नाम गिनीज़ बुक आॅफ वल्र्ड रिकार्डस मेें दर्ज करवाने का प्रयास किया। यह आकृृति उसी स्थल पर बनाई गई जहां ठीक एक सप्ताह के पश्चात् मिशन का तीन दिवसीय 71वां वार्षिक निरंकारी संत समागम आरंभ हो रहा है। सद्गुरु माता सुदीक्षा जी के दिव्य मार्गदर्शन में आयोजित संसार के इस सबसे बड़े कार्यक्रम में भारत के विभिन्न भागों तथा दूर-देशों से आए लग भग 20,000 पुरुष तथा महिलाओं ने भागलिया।इन सब के नाम पहले ही रजिस्टर किये जा चुके थे जिसके लिए अंतिम तिथि थी 4 नवम्बर। कार्यक्रम में भाग लेने वाले सभी सदस्य प्रातः 7.00 बजे से ही एकत्रित हो गए। प्रत्येक सदस्य को प्रबंधकों की ओर से भिन्न-भिन्न रंगों की पोशाक दी गई जो उसके स्थान के अनुसार निर्धारित की गई थी। इस मानव आकृति में कुल 5 रंगथे और यह पोशाक हर सदस्य के लिए अपने पहले से पहने हुए वस्त्रों के ऊपर पहनने के लिए थी । इस मानव आकृति को बनाने के लिए लग भग 5 घण्टे का समय लगा।

यह कार्यक्रम सद्गुरु माता सुदीक्षा जी की दिव्य उपस्थिति में माता सविन्दर हरदेव जी को समर्पित किया गया । जिन्होंने 13 मई 2016 से लेकर 5 अगस्त 2018 तक सद्गुरु रूप में मिशन का मार्ग-दर्शन किया। माता सविन्दर हरदेव जी चाहते थे कि मिशन का प्रत्येक अनुयायी एक रोशन मीनार बने और ब्रह्मज्ञान के इस उजाले को संसार के कोने-कोने तक फैलाये। इस मानव आकृति में भाग लेने वालों को मुबारक बाद देते हुए सद्गुरु माता सुदीक्षा जी ने उनकी लगन, श्रद्धा तथा मर्यादा की प्रशन्सा की। उन्होंने कहा कि आप इतने घण्टे धूप में भी खड़े रहे परन्तु आपका उत्साह उसी तरह बना रहा।निरंकार दया करे कि सभी का जीवन एक रोशन मीनार बने और संसार का मार्ग-दर्शन करने वाला सिद्ध  हो जैसा कि सद्गुरु माता सविन्दर हरदेव जी चाहते थे ।उन्होंने कहा कि यही कारण है कि आनेवाले समागम के लिए विषय रखागया है: माँ सविन्दर- एक रोशन सफर । वह चाहते थे कि हर मानव एक रोशन मीनार बने और दूसरों के मार्ग को भी रोशन करे।

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