गुरु घरों के रास्तों की बेहतरी के लिए एक महीने की तनख्वाह और अपने विवेकाधीन फंड से 20 लाख रुपये देने का लिया संकल्प

कल्याण केसरी न्यूज़, अमृतसर, 13 अगस्त 2025: भाषा विभाग पंजाब द्वारा श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की 350वीं शहीदी शताब्दी को समर्पित श्रीनगर में आयोजित कार्यक्रम में मर्यादा से हुई भूल के संबंध में 6 अगस्त को श्री अकाल तख्त साहिब से पांच सिंह साहिबान द्वारा जो सेवा लगाई गई थी, उसके पूर्ण होने पर पंजाब सरकार के कैबिनेट मंत्री हरजोत सिंह बैंस आज श्री अकाल तख्त साहिब पर अरदास करने पहुंचे। उन्होंने मिरी-पीरी के तख्त श्री अकाल तख्त साहिब से मिले हुक्म की पालना करते हुए, गुरु साहिब जी की कृपा से सेवा पूरी होने के उपरांत श्री अकाल तख्त साहिब पहुंचकर श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी के चरणों में अरदास की। इसके साथ ही सचिवालय श्री अकाल तख्त साहिब पहुंचकर अपनी संपूर्ण सेवा से संबंधित रिपोर्ट भी सौंपी।
पांच सिंह साहिबान के आदेश अनुसार, उन्होंने नवें पातशाह श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी के जन्मस्थान गुरुद्वारा गुरु के महल, गुरुद्वारा कोठा साहिब (पातशाही नौवीं) और गुरुद्वारा बाबा बकाला साहिब के रास्तों की सफाई और बेहतरी के लिए अपने विवेकाधीन फंड से 20 लाख रुपये और व्यक्तिगत श्रद्धा स्वरूप बतौर मंत्री एक महीने की तनख्वाह भेंट करने का संकल्प भी लिया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि वह इसके अतिरिक्त भी श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी के पावन चरण स्पर्श प्राप्त स्थलों के आसपास सौंदर्यकरण के कार्यों हेतु निजी और सरकारी स्तर पर यथाशक्ति प्रयास करेंगे।
इस मौके उन्होंने श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार को दिए एक पत्र में लिखा कि, “एक विनम्र सिख होने के नाते, मैं छठे पातशाह श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी, श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी, श्री अकाल तख्त साहिब, पांच सिंह साहिबान और गुरु की संगत के चरणों में विनम्रता पूर्वक एक बार फिर बेनती करता हूँ कि मुझे भूलनहार समझ कर मेरी अतीत में अनजाने-अनजाने में हुई गलतियों को क्षमा करें और बल-बुद्धि प्रदान करें ताकि मैं भविष्य में धर्म, कौम, देश, पंजाब और समाज की अधिक से अधिक सेवा कर सकूं।”
सूचना केंद्र के बाहर मीडिया से बात करते हुए कैबिनेट मंत्री ने कहा: “मैं जो भी हूँ, गुरु साहिब की कृपा से हूँ। मेरे पास गर्व करने के लिए कुछ भी नहीं है। श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा जो सेवा मुझे सौंपी गई थी, वह मेरे लिए रब्ब का हुक्म था और गुरु साहिब की कृपा से वह सेवा पूर्ण हुई है। मैंने गुरु साहिब के चरणों में भूल क्षमा करने के लिए अरदास की है और यह बेनती भी की है कि गुरु साहिब मुझे पंथ, कौम, देश, पंजाब और मानवता की सेवा करने की शक्ति और समझ बख्शें।”
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