किशोर न्याय अधिनियम-2015 की धारा 74 का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाए: जिला बाल सुरक्षा अधिकारी

कल्याण केसरी न्यूज़, जालंधर, 26 अगस्त 2025: जिला बाल एवं सुरक्षा अधिकारी अजय भारती ने जानकारी सांझा करते हुए बताया कि किशोर न्याय अधिनियम-2015 की धारा 74 का कड़ाई से अनुपालन आवश्यक है क्योंकि यह बच्चों (कानून का उल्लंघन करने वाले, देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले, या पीड़ित/गवाह) की पहचान उजागर होने से बचाता है, जिससे उनकी निजता और गरिमा की रक्षा होती है।
उन्होंने कहा कि यौन और शारीरिक शोषण के शिकार या किशोर न्याय बाल देखभाल एवं संरक्षण अधिनियम-2015 के अंतर्गत आने वाले बच्चों (गुमशुदा बच्चे, घर से भागे हुए, परित्यक्त बच्चे और अनाथ) की जानकारी सोशल मीडिया, समाचार पत्रों या किसी अन्य माध्यम से प्रकाशित नहीं की जा सकती और ऐसा करना किशोर न्याय अधिनियम-2015 की धारा 74 का उल्लंघन है। उन्होंने बताया कि इस अधिनियम का उल्लंघन करने पर 6 माह का कारावास या 2 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते है। जिला बाल एवं संरक्षण अधिकारी ने इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और सोशल मीडिया के प्रतिनिधियों को निर्देश दिया है कि वे ऐसे बच्चों की पहचान समाचार पत्रों, सोशल मीडिया या किसी भी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में प्रकाशित करने से बचें जो कानून का उल्लंघन करते हैं या जिन्हें देखभाल या संरक्षण की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि किशोर न्याय अधिनियम की धारा-74 के अनुसार, ऐसे बच्चों की खबर समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, समाचार पत्रों या ऑडियो-वीडियो मीडिया या किसी अन्य तरीके से, पूछताछ या जांच या न्यायिक कार्यवाही से संबंधित किसी भी प्रकार के संचार में प्रकाशित करते समय, किसी भी रिपोर्ट में नाम, पता या स्कूल या किसी अन्य विशेष जानकारी का खुलासा नहीं किया जाएगा और न ही ऐसे किसी बच्चे की तस्वीर प्रकाशित की जाएगी।
भारती ने आगे बताया कि किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम-2015 बच्चों (जो 18 वर्ष से कम आयु के है) के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। यह अधिकार बच्चों की सुरक्षा, विकास और भागीदारी सुनिश्चित करते है, चाहे उनकी जाति, धर्म, लिंग या सामाजिक स्थिति कुछ भी ।

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