पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए किसान स्वयं आगे आएं
गांवों के किसानों और सम्मानित व्यक्तियों से पराली न जलाने को लेकर बातचीत

कल्याण केसरी न्यूज़, अमृतसर, 21 अक्टूबर 2025: धान की पराली को बिना जलाए गेहूं की बुवाई करने और खादों के सही उपयोग के संबंध में एस.एस.पी. देहात श्री मनिंदर सिंह द्वारा सब-डिवीजन राजासांसी के थाना लोपोके के अंतर्गत आने वाले गांव बेहड़वाल और आस-पास के गांव जैसे पधरी, नूरपुर, बराड़, कोलेवाल, बच्चीविंड और कमास्के में किसानों और गांव के सम्मानित व्यक्तियों से बातचीत की गई। इस दौरान लगाए गए कैंपों में किसानों से पराली न जलाने की अपील भी की गई।
एस.एस.पी. देहात ने किसानों को बताया कि पराली जलाना मतलब अपनी ही ज़मीन की उपजाऊ शक्ति को जलाना है। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे ऐसा न करें। उन्होंने कहा कि यदि पराली को खेत में ही मिलाकर गेहूं की बुवाई की जाए तो जमीन में कार्बनिक तत्वों की मात्रा बढ़ती है और मिट्टी की ताकत में भी इज़ाफा होता है।
उन्होंने गेहूं की फसल में बड़े पैमाने पर उपयोग की जाने वाली डी.ए.पी. खाद के विकल्पों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि डी.ए.पी. मुख्य रूप से फॉस्फोरस तत्व की पूर्ति के लिए प्रयोग होती है। इसमें 46 प्रतिशत फॉस्फोरस और 18 प्रतिशत नाइट्रोजन होता है। उन्होंने कहा कि इसके स्थान पर कुछ अन्य खादों का भी प्रयोग किया जा सकता है।
एस.एस.पी. ने किसानों से यह भी अपील की कि जिन्होंने सब्सिडी के माध्यम से पराली प्रबंधन की मशीनें खरीदी हैं, वे इन मशीनों को अपने उपयोग के बाद अन्य किसानों को किराए पर दें ताकि ज्यादा से ज्यादा पराली का प्रबंधन हो सके और इन मशीनों का समुचित उपयोग हो सके।
एस.एस.पी. देहात ने यह भी बताया कि धान की कटाई के बाद पराली जलाने से परहेज़ करना चाहिए, क्योंकि इससे न केवल पर्यावरण प्रदूषित होता है बल्कि मिट्टी में मौजूद मित्र कीट और सूक्ष्म जीव भी मर जाते हैं, जिससे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है। उन्होंने किसानों को सलाह दी कि वे गेहूं की बुवाई के लिए सुपर सीडर और हैप्पी सीडर जैसी मशीनों का उपयोग करें, जिनकी मदद से पराली को खेत में ही मिलाया जा सकता है।
इस अवसर पर एस.पी. श्री गुरजीत पाल सिंह, डी.एस.पी. श्री नीरज कुमार और अन्य अधिकारी भी मौजूद थे।
Kalyan Kesari हिन्दी समाचार पत्र