भाषा विभाग पंजाब ने गुरु नगरी में आयोजित किया कवि दरबार, अमृतसर साहित्य उत्सव’ में देश–विदेश के शायरों ने बाँधा रंग

कल्याण केसरी न्यूज़, अमृतसर, 16 नवंबर 2025: भाषा विभाग पंजाब द्वारा आज यहाँ खालसा कॉलेज में चल रहे ‘अमृतसर साहित्य उत्सव’ के दूसरे दिन कवि दरबार का आयोजन किया गया। भाषा विभाग के निदेशक जसवंत सिंह ज़फ़र की अगुवाई में हुए इस कवि दरबार के दौरान देश–विदेश के पंजाबी कवियों ने अपना क़लाम पेश कर माहौल को पूरी तरह शायराना बना दिया। कवि दरबार की अध्यक्षता अज़ायब हुंदल ने की और मेज़बान कॉलेज के प्रिंसीपल डॉ. आतम सिंह रंधावा ने आए हुए मेहमानों और कवियों का स्वागत किया।
इस अवसर पर श्री जसवंत सिंह ज़फ़र ने अपनी तीन काव्य रचनाओं—‘बायोडाटा’, ‘रूहां दा बहाना’ और ‘मन विचारा’—के माध्यम से आज के समाज के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भाषा विभाग हमेशा भाषाओं और साहित्य के विकास के लिए प्रतिबद्ध है और इसी उद्देश्य से हर प्रकार के गुणवत्तापूर्ण साहित्यिक कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करता है। अपने अध्यक्षीय भाषण में अज़ायब हुंदल ने अपनी कविता ‘नेम प्लेट’ के माध्यम से आज के समय में अपनी पहचान के लिए संघर्ष कर रहे व्यक्ति की तस्वीर उकेरी।
शायरा जसप्रीत गिल ने ‘अगले जनम ’च मैं बिरख होणै’ कविता के जरिए मां के रिश्ते की अहमियत बयां की। रमन संधू ने अपनी कविताओं के माध्यम से समाज के कई पहलुओं पर रोशनी डाली। डॉ. रविंदर बटाला ने ‘कविता कहिंदी है’ के जरिए कवि की समाज के प्रति ज़िम्मेदारियों को उजागर किया। सिमरत गगन ने ‘कवि कुड़ियां’ कविता के माध्यम से कवयित्रियों की भावनाओं को अभिव्यक्त किया।
अमेरिका से आए रविंदर सहराअ ने ‘हर्फ़ उधारे’ कविता के माध्यम से दोनों पंजाबों की सांझ का वर्णन किया। देविंदर सैफ़ी ने साहित्यिक टप्पों के माध्यम से आधुनिक सामाजिक और राजनीतिक कुरीतियों पर तीखी चोट की। जगविंदर जोधा ने अपनी काव्य पंक्तियों के माध्यम से देश की राजनीतिक व्यवस्था पर व्यंग्य किया। प्रो. कुलवंत ओजला ने किसानों और प्रवासियों के दर्द को कविताओं के रूप में प्रस्तुत किया। अम्बरीश ने ‘सुआणी’, ‘कुकनुस’ और ‘किताबां’ पर आधारित काव्य रंग बिखेरे।
श्रोमणी कवि दर्शन बुट्टर ने अपनी कविता ‘पिंड दी अथरी पौन तो नां जरिया गया’ को तुरन्नुम में गाकर कवि दरबार को अनोखा रंग दिया। इसके अलावा बीबा बलवंत, अर्तिंदर संधू, विशाल ब्यांस, सुहिंदरबीर, विजेता भारद्वाज, पियारा सिंह कुद्दोवाल और ऋतु वासुदेव ने भी अपनी कविताओं से महफ़िल को सजाया।
इस मौके पर साहित्य और कला से जुड़ी हस्तियाँ—सुखी बाँठ कनाडा, कॉलेज प्रबंधक कमेटी सदस्य परमजीत सिंह गिल, फिल्म अभिनेता हरदीप गिल, नाटककार केवल धालीवाल, डॉ. परविंदर सिंह (मुखी, पंजाबी अध्ययन विभाग), शोध अधिकारी इंदरजीत सिंह और डॉ. हीरा सिंह भी मौजूद रहे। मंच संचालन शोध अधिकारी डॉ. सुखदर्शन सिंह चहल ने किया। भाषा विभाग और खालसा कॉलेज की ओर से कवियों को सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर रविंदर सहराअ की पुस्तक ‘लाहौर दियां गल्लां’, इकवाक सिंह पट्टी की किताब ‘वाह उस्ताद वाह’, लवप्रीत सिंह का काव्य संग्रह ‘जानी दूर गए’ और मखन कोहाड़ की पुस्तक ‘कोहाड़ जी’ लोक-अर्पित की गईं।

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