भाषा विभाग पंजाब द्वारा “आज के युग में भाषा और साहित्य को चुनौतियाँ एवं संभावनाएँ” विषय पर सेमिनार का आयोजन

कल्याण केसरी न्यूज़, अमृतसर, 17 नवंबर 2025: भाषा विभाग पंजाब ने ‘अमृतसर साहित्य उत्सव’ के तीसरे दिन खालसा कॉलेज अमृतसर में ‘आज के युग में भाषा और साहित्य को चुनौतियाँ और संभावनाएँ’ विषय पर सेमिनार आयोजित किया। निदेशक श्री जसवंत सिंह ज़फ़र की अगुवाई में आयोजित इस सेमिनार की अध्यक्षता प्रमुख चिंतक डॉ. अमरजीत सिंह ग्रेवाल ने की और डॉ. राजेश शर्मा पटियाला ने मुख्य भाषण दिया। नामवर विद्वान डॉ. मनमोहन और डॉ. योगराज अंग्रिश ने विशेष भाषण प्रस्तुत किए। मेजबान कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. आत्म सिंह रंधावा ने सभी का धन्यवाद किया।
भाषा विभाग पंजाब के निदेशक जसवंत सिंह ज़फ़र ने कहा कि इस सेमिनार ने भाषा और साहित्य के संबंध में चिंतन की नई संभावनाएँ उत्पन्न की हैं। इस संसार में हर चीज़ परिवर्तनशील है। साहित्य और भाषा में बदलाव सहजता से आते हैं जबकि तकनीक बहुत तेजी से बदलती है। इसलिए दोनों के बीच संतुलन बनाए रखना बेहद ज़रूरी है। उन्होंने बताया कि सेमिनार में प्रस्तुत सभी विचारों को लिखित रूप में संरक्षित किया जाएगा और पंजाबी दुनिया पत्रिका में प्रकाशित कर लोगों तक पहुँचाया जाएगा। उन्होंने श्रेष्ठ विषय पर सेमिनार आयोजित करने के लिए प्रबंधकों का धन्यवाद भी किया।
डॉ. अमरजीत सिंह ग्रेवाल ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि आज के समय में साहित्य और कला के सामने खड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए गंभीर प्रयासों की आवश्यकता है। हमें यह समझना चाहिए कि साहित्य की भूमिका विज्ञान और तकनीक से अधिक महत्वपूर्ण है, लेकिन वर्तमान समय में तकनीक और विज्ञान से संबंधित शोध कार्य अधिक हो रहे हैं। ज़रूरत है कि साहित्य से जुड़े शोध को प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने कहा कि तकनीक मनुष्य से अलग कोई वस्तु नहीं बल्कि मानव मस्तिष्क की रचना है। मशीन बुद्धिमत्ता मनुष्य की नवजात संतान है और इसे हमें अपनी आवश्यकताओं के अनुसार उपयोगी बनाना चाहिए, न कि इसे अपने ऊपर हावी होने देना चाहिए। इसी कारण हमें अपनी भाषाओं और साहित्य का महत्व समझना चाहिए।
डॉ. योगराज अंग्रिश ने कहा कि समय की मांग है कि पंजाबी भाषा को इसकी वर्तमान समझी जाने वाली विकसित स्थिति से आगे कैसे बढ़ाया जाए। समाज का बड़ा हिस्सा पंजाबी भाषा को रोज़गार और सम्मान की भाषा नहीं मानता—इस भ्रम को दूर करने के लिए बड़े प्रयासों की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि पंजाबी भाषा में उच्च-स्तरीय शोध करने वाले शोधार्थियों को गुरुमुखी और शाहमुखी दोनों लिपियों का ज्ञान होना चाहिए जिससे शोध का दायरा विस्तृत हो सके। साथ ही साहित्यिक आलोचना को सरल, सृजनात्मक और बोझिल भाषा से मुक्त किया जाना चाहिए। साहित्य को लोगों की भाषा में लिखकर उन्हें करीब लाना समय की आवश्यकता है।
मुख्य वक्ता डॉ. राजेश शर्मा पटियाला ने कहा कि साहित्य अध्ययन का भविष्य संकट में प्रतीत होता है। इस संकट से निपटने के लिए सिद्धांतवाद की कठोरता से बाहर निकलना होगा और आलोचना के कार्य में नैतिकता और समीक्षा-आधारित दृष्टिकोण लाना होगा। उन्होंने कहा कि साहित्य और आलोचना के क्षेत्र में पश्चिमी प्रभाव से बाहर आने की आवश्यकता है क्योंकि ज्ञान और साहित्य की परंपराएँ हर क्षेत्र में भिन्न होती हैं।
डॉ. मनमोहन ने कहा कि भाषा सांस्कृतिक व्यवहार का हिस्सा है और यह हर जगह किसी-न-किसी रूप में मौजूद रहती है। मानव की भाषा अन्य प्राणियों से अधिक विकसित है, जिसका कारण इसके अंगों का उन्नत होना है। उन्होंने कहा कि पंजाबी को पढ़ने से अधिक बोलने की जरूरत है क्योंकि आजकल कई लोग पंजाबी बोलने से कतराते हैं और अन्य भाषाएँ बोलने को प्राथमिकता देते हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में जिसे अधिक लिपियों का ज्ञान है उसे पढ़ा-लिखा माना जाता है, जबकि असल में जिसे अधिक बोलियाँ बोलनी आती हैं वह अधिक समृद्ध होता है। इसी कारण कई बार अनपढ़ लोग भी पढ़े-लिखे लोगों से अधिक समझदार लगते हैं।
मेज़बान कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. आत्म सिंह रंधावा ने कहा कि सेमिनार में उठाए गए मुद्दों के समाधान के लिए चर्चा आगे बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि साहित्य की आलोचना आवश्यक नहीं कि उसी भाषा में हो, यह किसी भी भाषा में की जा सकती है। उन्होंने सभी वक्ताओं का धन्यवाद किया। मंच संचालन डॉ. कुलदीप सिंह ढिल्लों ने किया। सेमिनार में भाग लेने वाले विद्वानों का भाषा विभाग और खालसा कॉलेज द्वारा सम्मान भी किया गया।
इस अवसर पर डॉ. नवजोत कौर द्वारा संपादित पुस्तक ‘पंजाबी दलित कहानी: दृष्टि और दृष्टिकोण’ तथा अजय तनवीर की पुस्तक ‘जादू नगरी दे जादूगर’ का लोकार्पण किया गया। इस मौके पर डॉ. हरभजन सिंह भाटिया, सुहिंदरबीर, प्रीतम सिंह कुद्दोवाल, डॉ. परमिंदर सिंह, डॉ. हीरा सिंह, भाषा विभाग के शोध अधिकारी डॉ. सुखदर्शन सिंह चहल, डॉ. इंद्रजीत सिंह अमृतसर सहित अनेक गणमान्य हस्तियाँ मौजूद थीं।

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