भाजपा अमृतसर ने श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी के 350वें शहीदी पर्व को समर्पित गुरुद्वारा गुरु के महल में आयोजित कीर्तन दरबार में लगवाई हाजरी

कल्याण केसरी न्यूज़, अमृतसर, 25 नवंबर 2025: हिन्द की चादर के नाम से विख्यात गुरु श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी के 350वें शहीदी पर्व पर देश-विदेश में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में गुरु का महल में आयोजित कीर्तन दरबार में पहुंच कर भाजपा जिलाध्यक्ष हरविंदर सिंह संधू तथा सीनियर लीडरशिप ने जहां अपनी हाजरी लगवाई वहीं गुरु चरणों में सरबत के भले के लिए अरदास की। जिसमें डॉ. राम चावला, सुखमिंदर सिंह पिंटू, कुमार अमित, संजय शर्मा, मोहित महाजन, परमजीत सिंह बतरा, रोमी चोपड़ा, प्रदीप सरीन, टहल सिंह, विक्की कपूर आदि सहित दर्जनों कार्यकर्ताओं ने पहुँच कर गुरु चरणों में हाजरी लगवाई।
सिंह संधू ने कहा कि 1573 CE में चौथे सिख गुरु, गुरु राम दास जी ने गुरुद्वारा गुरु के महल को एक साधारण झोपड़ी के तौर पर बनवाया था और यह अमृतसर के संस्थापक श्री गुरु राम दास का रहने का घर था। गुरु अर्जन देव ने इसी महल में शादी की थी और गुरु भी बने थे। बाबा अटल राय और श्री गुरु तेग बहादुर का जन्म भी इसी जगह पर हुआ था और श्री गुरु हरगोबिंद सिंह भी कुछ समय के लिए यहीं रहे थे। बाद में, गुरु अर्जन देव और उनके बेटे, गुरु हरगोबिंद ने इसे बड़ा किया और बदला। गुरुओं की इस अद्वितीय धरोहर को अब गुरुद्वारे में बदल दिया गया है।
हरविंदर सिंह संधू ने कहा कि इस वर्ष गुरु तेग बहादुर जी का 350वां शहीदी दिवस मनाया जा रहा है और यह भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन है। गुरु तेग बहादुर जी सिख धर्म के नौवें गुरु थे और उन्हें ‘हिंद की चादर’ के रूप में भी जाना जाता है। उनका बलिदान भारतीय धर्मनिरपेक्षता और धार्मिक स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। गुरु तेग बहादुर जी ने 1675 में दिल्ली में शहादत प्राप्त की। उन्होंने मुग़ल सम्राट और औरंगजेब के धार्मिक उत्पीड़न का विरोध किया था। औरंगजेब ने जब हिंदू धर्म, विशेषकर कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार करने शुरू किए, तब गुरु तेग बहादुर ने उनकी रक्षा तथा धार्मिक स्वतन्त्रता के लिए अपनी शहादत दी।
हरविंदर सिंह संधू ने कहा कि गुरु जी ने हमेशा धर्म, साहस और सत्य का पालन किया। उन्होंने अपनी शहादत से यह सिद्ध कर दिया कि व्यक्ति को अपने धर्म और विश्वास के लिए संघर्ष करना चाहिए, चाहे उसमें जान का जोखिम क्यों न हो। गुरु तेग बहादुर जी की शहादत न केवल सिख समुदाय, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा स्रोत बन गई। उनका जीवन, बलिदान और योगदान आज भी लोगों को धार्मिक और सामाजिक न्याय के लिए प्रेरित करता है। उन्होंने सभी को गुरु जी द्वारा दर्शाए मार्ग पर चलने का आह्वान किया।
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