5,6 व 7 दिसंबर 2020 को होने वाले 73वें अंतरराष्ट्रीय निरंकारी सन्त समागम पर विशेष

कल्याण केसरी न्यूज़ ,27 नवंबर :मिशन के इतिहास में सन्त समागमों की भूमिका:सन् 1929 में पेशावर में जब निरंकारी मिशन के संस्थापक बाबा बूटा सिंह जी ने सत्य- ज्ञान की इस रोशनी को फैलाने का संकल्प लिया , तभी से मिशन की स्थापना हुई। इनके पश्चात् बाबा अवतार सिंह जी, बाबा गुरूबचन सिंह , बाबा हरदेव सिंह , माता सविन्द्र हरदेव जी महाराज एवं वर्तमान सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज ने मिशन को बुलंदियों तक पहुंचाया। मिशन के इतिहास में सन्त समागमों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यह समागम ही होते हैं जिनमें सत्गुरू की शिक्षाओं को अपनाकर भक्तजन आदर्श जीवन की मिसाल पेश करते हैं। संसार में अगर शांति स्थापित करनी है तो शुरूआत हमें अपने आप से करनी हेागी। दूसरों को संदेश देने से पूर्व गुरूओं पीर पैग्ंाबरों के संदेश को अपने जीवन में अपनाना होगा। संत निरंकारी मिशन सभी गुरुओं, पीरों पैगंबरों के संदेश को तो महत्व देता ही है व इसके साथ ही ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति का अवसर भी प्रदान करता है। इन संदेशों का जिक्र करना भी आवश्यक है और उन संदेशों को जीवन में अपनाना भी, मानवता के कल्याण के सत्य के संदेश को हृदय में बसाना तथा इन संदेशों को मजबूती प्रदान करना ही अंतरराष्ट्रीय निरंकारी सन्त समागम का उद्देश्य है। समागमों की यह लड़ी 1948 में शुरू हुई थी, जब पहला समागम दिल्ली के ईदगाह के नजदीक आयोजित किया गया था। वैसे तो यह समागम बाबा अवतार सिंह जी के बेटे सज्जन सिंह जी का श्रद्वांजलि समारोह था, परंतु देशभर से सन्तजन जिस उत्साह से एकत्रित हुए थे, इसको देखते हुए प्रतिवर्ष ऐसा आयोजन करने का फैसला किया गया। इसी प्रकार से यह प्रेरणा दिवस ही सन्त समागमों की लड़ी की आधारशिला बना।
1948 से 1962 तक सन्त समागम शहंशाह बाबा अवतार सिंह जी की रहनुमायी में आयोजित हुए जो दिल्ली के पंचकुईयां रोड, ईदगाह, अंबेडकर भवन, रेडियो काॅलोनी, निरंकारी काॅलोनी तथा रामलीला मैदान में आयोजित किए जाते रहे। 1963 से 1979 तक समागम रामलीला मैदान तथा लाल किले के पीछे शांतिवन तथा राजघाट के सामने वाले मैदान में बाबा गुरूबचन सिंह जी की रहनुमायी में आयोजित किए जाते रहे। 33वां समागम बाबा हरदेव सिंह जी की रहनुमायी में पहला समागम था। 1980 से 1986 तक लाल किले के पीछे वाले मैदानों में ही समागम आयोजित किए जाते रहे।
1987 से बुराड़ी रोड स्थित मैदान में समागम होने शुरू हुए। 1987 का समागम ट्रांसपोर्ट अथारिटी के मैदान में हुआ। उसके पश्चात् समागम सन्त सरोवर के सामने वाले मैदानों में आयोजित किए जाते रहे। 2015 तक सद्गुरू बाबा हरदेव सिंह ने इन समागमों के द्वारा विश्व को शांति और सद्भाव का संदेश दिया।
2016 में आयोजित 69वां निरंकारी सन्त समागम सद्गुरू माता सविंदर हरदेव जी महाराज की रहनुमायी में होने वाला पहला समागम और 70 वां समागम उन्हीं की दैवी अगुवाई में होने वाला दूसरा समागम था। सद्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज की रहनुमायी में 71वां सन्त समागम और 2019 में 72वां वार्षिक सन्त समागम निरंकारी अध्यात्मिक स्थल समालखा, हरियाणा में संपन्न हुआ। प्रतिवर्ष इस अंतरराष्ट्रीय निरंकारी सन्त समागम में भारत सहित विदेशों से भी लाखों श्रद्वालु हिस्सा लेने पहुंचते हैं।
73वां अंतरराष्ट्रीय निरंकारी सन्त समागम
प््रातिवर्ष होने वाले वार्षिक समागमों की भांति इस वर्ष होने वाले 73वें वार्षिक सन्त समागम को लेकर भी श्रद्वालुओं में भारी उत्साह है। परंतु विश्वभर में इस समय कोरोना महामारी के कारण भारत सरकार एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन की हिदायतों के अनुसार सोशल डिस्टेंस इत्यादि को ध्यान में रखते हुए तथा बिना एकत्रित हुए 73वां अंतरराष्ट्रीय निरंकारी सन्त समागम वर्चुअल रूप में होगा। कोविड-19 के चलते संतों, भक्तों , श्रद्वालुओं की सेहत को ध्यान में रखते हुए सद्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज के आर्शीवाद से इस समागम को इंटरनेट टैक्नोलिजी के माध्यम से संतों, भक्तों के हृदय के भावों को वीडियोग्राफी द्वारा रिकार्ड करके सन्त निरंकारी मिशन की वैबसाइट और संस्कार टीवी चैनल माध्यमों द्वारा दिखाया जाएगा। समूह साधसंगत अपने अपने घर बैठकर इस समागम का आन्नद प्राप्त करेंगे। 73वां अंतरराष्ट्रीय निरंकारी सन्त समागम 5,6 व 7 दिसंबर 2020 को सायं 4़ 30 बजे से रात्रि 8ः30 बजे तक होगा। तीनों दिन सद्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज के प्रवचन रात्रि 8ः30 बजे से 9 बजे तक होंगे। 6 दिसंबर को सेवादल की रैली का आयोजन प्रातः 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक होगा।
समागम का विषय ’’ स्थिरता’’
सद्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज की रहनुमायी में होने वाले इस सन्त समागम का विषय होगा- ’’ स्थिरता।’’ इस विषय को आधार बनाकर ही अलग-अलग बोलने वाले इस सन्त समागम में अपने अपने विचार, गीत, कविताएं, रचनाएं आदि पेश करेंगे। ’’ स्थिरता’’ का भाव समझाते हुए सद्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज ने फरमाया कि प्रभु प्रमात्मा स्थिर है जबकि संसार में अन्य सभी कुछ अस्थिर, गतिशील व बदलाव वाला हैं। जो स्थिर है उसके साथ जुड़कर स्थिरता प्राप्त की जा सकती है। मन सबसे ज्यादा चंचल है, मन जब इस स्थिर, अचल, अड़ौल, सर्वशक्तिमान निरंकार के साथ जुड़ता है, तो स्थिरता प्राप्त होती है और धीरज, मानसिक संतुलन व आत्म संयम प्राप्त होता है, जिससे जीवन सहज, सरल व आन्नदमयी हो जाता है।
सद्गुरू माता जी ने एक वृक्ष का उदाहरण देते हुए फरमाया कि जिस प्रकार के वृक्ष जिस की जड़े मजबूत होती हैं व हमेशा स्थिर रहता है, चाहे कितनी भी आंधियां आएं, तेज हवाएं , भवंडर चलने पर उस वृक्ष पर भी कुछ समय के लिए अस्थिरता अवश्य आती है, पत्ते गिर जाते हैं परंतु मूल रूप से वृक्ष की जड़ों से जुड़ने के कारण स्थिर रहता है। इसी प्रकार से इंसान जिसने ब्रहमज्ञान हासिल करके निरंकार पर पूरा विश्वास हासिल कर लिया है, सद्गुरू की शिक्षा को मूल तौर पर अपना लिया है, गुरू भक्ति में अपनी जड़े मजबूत कर ली हैं, वो हमेशा स्थिर रहने वाले निरंकार प्रभु का सहारा लेकर स्थिरता प्राप्त कर लेता है।
सन्त निरंकारी मिशन द्वारा समाज कल्याण सेवाओं में योगदान
सन्त निरंकारी मिशन समाज सेवा के क्षेत्र में भी भरपूर योगदान दे रहा है, जिसकी समाज का हर वर्ग प्रशंसा करता है। सन्त निरंकारी चेरिटेबल फाउंडेशन द्वारा समय समय पर ऐतिहासिक स्थानों, रेलवे स्टेशनों, पार्कों, अस्पतालों , डिस्पेंसरियों , समुद्र व नदियों के तटों की सफाई की जाती है व विश्व भर में रक्तदान शिविरों व मेडिकल शिविरों का आयोजन किया जाता है, जो कि वर्ष भर ही चलता रहता है। इसके अतिरिक्त किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूचाल पीड़ितों, बाढ़, सुनामी आदि पीड़ितों की सहायता के लिए मिशन द्वारा भरपूर योगदान दिया जाता है। निरंकारी बाबा हरदेव सिंह जी ने संसार को संदेश दिया था कि’’ रक्त नाड़ियों में बहे, नालियों में नहीं।’’ निरंाकरी श्रद्वालु वर्षभर बढ़चढ़ कर रक्तदान करते रहते हैं।
मिशन द्वारा होशियार व जरूरतमंद बच्चों को वजीफे, स्काॅलरशिप आदि भी दिए जाते हैं।
कोरोना महामारी के दौरान निरंकारी मिशन द्वारा योगदान
इस वर्ष पूरे विश्व में कोरोना महामारी के दौरान लाॅकडाउन लगाया गया। इस संकट की घड़ी में भी सन्त निरंकारी मिशन द्वारा पूरे विश्व में राहत कार्य चलाए गए व रक्तदान शिविरों का आयोजन किया गया। जरूरतमदों को राशन, लंगर, माॅस्क, सेनीटाइजर आदि वस्तुएं उपलब्ध करवाई गई। भारत के सभी सन्त ंनिरंकारी सत्संग भवनों को जरूरत के अनुसार कवारनटाईन सेंटर के तौर पर उपयोग में लाया गया । निरंकारी मिशन द्वारा कोविड-19 प्रधानमंत्री राहत कोष फंड में भारत सरकार को और कई राज्यों के मुख्यमंत्री कोविड-19 राहत कोष फंड में सेवा के रूप में नकद राशि भी दी गई है। इसके अतिरिक्त हजारों की संख्या में पी0पी किटें, राशन किट्स प्रशासन को सहयोग देने के लिए व उपयुक्त दूरी (सोशल डिस्टेंस) बनाने के लिए सेवादल के जवान व अन्य सुविधाएं आवश्यकता के अनुसार दी गई हैं।

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