कल्याण केसरी न्यूज़ मेहता चौक 3दिसंबर : दमदमी टकसाल के प्रमुख और संत समाज के प्रधान संत ज्ञानी हरनाम सिंह खालसा ने ज़ोर दे कर कहा कि किसान आंदोलन प्रति मोदी सरकार की ग़ैर संजीदगी अराजकता पैदा करेगी। मोदी सरकार की तरफ से किसानी मामले को सुलझाने में नाकाम रहने बल्कि इस की दीवार में सामाजिक बाँट की की जा रही शरारत की निषिद्धता करते उन संसद का विशेश इजलास बुला कर खेती कानून वापस लेने प्रति राशटरपती को तुरंत दख़ल देने की अपील की है। पिरो: सरचांद सिंह अनुसार दमदमी टकसाल के प्रमुख ने खेती कानूनों का विरोध करते देश व्यापक किसान आंदोलन की हिमायत की और कहा कि किसान मामला जल्द से जल्द हल किया जाना चाहिए। उन किसान आंदोलन में जानें गवाउण वाले किसानों को श्रद्धांजली भेंट करते उन के परिवारों के साथ गहरे दुख का दिखावा किया। उन हैरानी प्रकट करते कहा कि भारत जैसे खेती प्रधान देश में खेती और किसानी मामलों में बड़े बदलाव और योजनाबंदी के लिए न जिससेसानों के साथ सलाह मशवरा किया जाता है और न ही उन को किसी तरह नामी में लिया जाता है बल्कि उन पर बलबूते के साथ अपनी मर्ज़ी ठोी जा रही है। उन कहा कि पिछले तीन महीनों से मोदी सरकार द्वारा के पास किये किसान बरसाती तीन खेती कानूनों विरुद्ध पंजाब की किसानी कमर बाँध कर संघरश कर रही है। उन कहा कि किसान बरसाती कानूनों ख़िलाफ़ पंजाब के किसानों की तरफ से शुरू किये गए इस आंदोलन में हरियाणा के किसानों ने अपनी अहम भूमिका अदा करते छोटे भाई होने का सबूत दिया और फर्ज निभाया है। उन कहा कि देश व्यापक आंदोलन के द्वारा भारतीय किसानी ने विशव लीडरशिप का ध्यान अपने तरफ खिंचा है।
उन किसानी लीडरशिप और किसानों की शलाघा करते कहा किसानों ने आस्था, हिम्मत दिलेरी और सूझ बुद्धिमत्ता के साथ हर चुनौती का मुकाबला करते नये कीर्तिमान के झंडे लगा दिखाए हैं। उन कहा कि मौजूदा किसान संघरश ने क्षेत्रीय, भाशायी और जातपाती हदों तोड़ कर देश भर के किसानों में एकता का नया जज़्बा कायम किया है।उन कहा कि अब इस आंदोलन की सफलता के लिए भारत के करीब सभी सूबों के समूह किसानों की तरफ से दिली की तरफ अपने आप भीड़ों डाल कर कूच करन के साथ केंद्र सरकार की इस आंदोलन को फैल और तारपीडो करन की सभी लोमड़ चालों रखीं रह गई हैं। उन सरकार की तरफ से घुसपैठ कराए गए शरारती अनसरें से सचेत रहने की अपील करते कहा कि आंदोलन का रास्ता लम्बा और कठिन हो सकता है परन्तु आम लोग अंनदाता किसानी के पुरअमन संघरश के साथ हैं। उन पंजाब के किसानों को दिल्ली में सामाजिक ज़िम्मेदारी, मानवी मर्यादा का पालन करन साथ साथ मूल पंजाबी किरदार का पल्ला न छोड़ने की भी अपील की। उन मीडिया के एक हिस्से तरफ से किसान आंदोलन प्रति गलत पेशकारी के लिए सख़्त आलोचना की और नफ़रत को त्यागने के लिए गया। आखिर में उन संघरशशील किसानों को जोस, हिम्मत और बहादुरी साथ साथ पल -पल बदलते हालात और चतुर राजनीतिज्ञों और हंडे अफ़सरशाहों की चालों प्रति सचेत रहने और परिपक्व सूझ -समझ के साथ रणनीति अपनाने के लिए कहा है।