कल्याण केसरी न्यूज़ मेहता चौक / अमृतसर 18 जनवरी : दमदमी टकसाल दे प्रमुख और संत समाज दे प्रधान संत ग्यानी हरनाम सिंह खालसा ने मोदी सरकार को केंद्रीय जांच एजेंसियाँ की राजनैतिक लाभ के लिए प्रयोग न करने की सलाह दी है। उन्होंने केंद्रीय एजेंसी बिल्कुल आई ए की तरफ से किसानी संघरश के साथ जुड़े सिक्ख नेताओं और समर्थकों को गिरा -कानूनी सरगर्मियाँ रोकू कानून और देश द्रोह की संगीन धारायें नीचे दर्ज मामलों में पूछताछ के लिए नोटिस जारी करते तलब करने प्रति चिंता ज़ाहर की और कहा कि किसानी लहर को दबाने के लिए मोदी सरकार की तरफ से अपनाई जा रही तानाशाही व्यवहार के साथ देश के किसानों और सरकार में तीखापन बढ़ेगी जो कि देश के हित में नहीं होगा।
पिरो: सरचांद सिंह मुताबिक दमदमी टकसाल के प्रमुख ने कहा कि लोग समर्थकी सरकारों का काम लोगों को सहूलतें प्रदान करना और उन के मुशकलों का हल करना होता है परन्तु मोदी सरकार लोकतंत्र की भावनायों को समझने में असमर्थ दिखाई दे रही है। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बीते दिनों आए कुछ फ़ैसलों ने यह प्रभाव छोड़ा कि अदालत भी खेती कानूनों विरुद्ध संघरश कर रहे किसानों और ओर लोगों की आशायों -उम्मीदों के साथ न्याय नहीं कर सका। चाहे कि सुप्रीम कोर्ट ने शांतमयी आंदोलन करन के हक को स्वीकार किया और खेती कानूनों के अमल पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख की तरफ से निरासा ज़ाहर करते किसानी आंदोलन प्रति केंद्र सरकार की पहुँच सम्बन्धित की गई टिप्पणियाँ यह दस रही हैं कि सरकार अपना फर्ज निभाने में नाकाम हो रही है।उन्होंने सरकार को पंजाब का इतिहास पढ़ लेने की सलाह दी और कहा कि पंजाब के लोगों ने जबर ज़ुल्म का हमेशा डट कर मुकाबला किया, देश के लोगों के मौलिक हकों और न्याय के रखवाले के तौर पर पहचान स्थापित की। मौजूदा किसान आंदोलन पंजाब से शुरू हुहैं। इस में पंजाबियों का सदियों से कमाया हुआ अन्याय विरुद्ध लड़ने का जज़्बा, सांझेदारी, आस्था, सब्र, संयम और लोकतांत्रिक किरदार झलकदा है। इस आंदोलन की नैतिकता पंजाबी किसानों के यह महसूस करन में पड़ी हुई है कि उन के साथ अन्याय हुआ है। सत्ता के अभिमान में जकड़ी हुई सरकार पर आस्था के साथ जीत प्राप्त करनी है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की तरफ से किसान आंदोलन को फैल करन के लिए हाल ही में जैकेंद्रीय एजेंसी आई बिल्कुल ए का दुरुपयोग की जा रही है वह अन ऐलानी एमरजैंसी के समान है। पंजाबी और किसान ऐन्नआईए की तरफ से भेजे नोटिसों कारण झुकने वाले नहीं, न ही डराया जा सकता। ऐन्नआईए का किसान आंदोलन में दख़ल देना अनावश्यक है। एजेंसी और सरकार की तरफ से पैदा की जा रही उकसाहट के साथ जनता में रोश बढ़ रही है। उन्होंने ख़दशा प्रकट करते कहा कि सरकार की गलत नीतियों के साथ अमन -कानून की स्थिति बिगड़ सकती है। उन्होंने कहा कि खेती समाज की बुनियाद है और अगर देश के किसान सरकार के कानूनों का विरोध करन के लिए सड़कें पर उतरे हैं तो इस का मतलब यह है कि देश में बड़ी स्तर पर अन्याय हो रहा है। तीन महीने से चल रहे आंदोलन दौरान जब केंद्रीय सरकार द्वारा बनाऐ कानूनों के विरोध में लोग लहर खड़ी हो चुकी है तो ऐसी स्थिति के साथ निपटण के लिए सरकार को अड़ियल व्यवहार छोड़ देना चाहिए। उन्होंने किसानों की सच्चा माँगों स्वीकृत करन के लिए संजीदगी दिखाने की भी सरकार से अपील की।
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