कल्याण केसरी न्यूज़ अमृतसर 10 मार्च: दमदमी टकसाल (जत्था भिंडरें मेहता) की तरफ से धन धन साहब श्री गुरु तेग़ बहादुर साहब जी महाराज के 400 साला पवित्र प्रकाश पर्व को समर्पित गुरुद्वारा शहीद गंज साहब बाबा दीप सिंह जी, अमृतसर साहिब साहब में धन श्री गुरु ग्रंथ साहब जी के संपूर्ण सुध पाठ ज्ञान समागम की आरंभता की गई है।
दमदमी टकसाल के प्रमुख और संत समाज के प्रधान संत ज्ञानी हरनाम सिंह खालसा का नेतृत्व’च
श्रोमनी गुरुद्वारा प्रबंधक समिति, सिक्ख स्टूडैंट्स फैडरेशन मेहता और संत महापुरशों के सहयोग के साथ यह पाठ ज्ञान समागम 16 अप्रैल तक चलेगा। समागम दौरान स्कूली बचें, औरतें और नौजवान वर्ग की तरफ से भी गुरबानी संथा प्रति ख़ास रुचि देखने को मिली है। पिरो: सरचांद सिंह अनुसार इस मौके श्री अकाल तख़्त साहब के कार्यकारी जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने संगतें को संबोधन दौरान दमदमी टकसाल के प्रमुख संत ज्ञानी हरनाम सिंह खालसा की तरफ से पंथक प्रयोजन सिक्ख पंथ की चढ़दीकला और राष्ट्रीय फ़र्ज़ों साथ साथ गुरबानी संथा, प्रचार और पसार की तरफ ख़ास ध्यान देते किये जा रहे विशेश उपरालों की शलाघा की और दमदमी टकसाल की तरफ से अमर शहीद बाबा दीप सिंह जी के पवित्र पवित्र स्थान पर किये जा रहे समागम को ऐतिहासिक करार दिया। उन्होंने कहा कि गुरबानी अदब के क्षेत्र में दमदमी टकसाल की कौम को बहुत बड़ी देने है, इस के विद्वानों ने गुरबानी सुध उच्चारण को संभाल कर रखा है और टकसाल की तरफ से दस पैसे का सिक्का जा रही शब्दसूची शिखर है।
श्री दरबार साहब के हैड ग्रंथि सिंह साहब ज्ञानी जगतार सिंह ने गुरबानी के गलत उच्चारण को शबद गुरू की बेअदबी के सहायता बताया। उन ग्रंथी, रागी और प्रचारकों को पाठ ज्ञान समागमों में ज़रूर हिस्सा ले कर ज्ञान प्राप्त करन की अपील की। तख़्त श्री केसगढ़ साहब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने सुध पाठ ज्ञान की विशेशतावें और ऐतिहासिक पक्ष पर रौशनी डालते गुरबानी और गुर इतिहास की महानता को झुठला पर लगे हुए पंथ दुर्भावनापूर्ण और स्वार्थी लोगों प्रति सचेत रहने की संगत से अपील की। संत ज्ञानी हरनाम सिंह खालसा ने सिक्ख कौम में सुध पाठ प्रति आए असावधानी पर चिंता प्रकट करते कहा कि गुरबानी के सुध उच्चारण आधार गुरबानी के सही अर्थों को समझा नहीं जा सकता है।
इस करके वाणी सुध उच्चारण और समझ के साथ पढ़ी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि गुरबानी हमारे जीवन का आधार है और इस का सुध उच्चारण एक महान सेवा है। संगत को गुरबानी के सुध उच्चारण की विद्या और अर्थ ज्ञान से जानकार करवाना समय की मुख्य ज़रूरत है। उन नौजवान पीढ़ी को गुर इतिहास और गुरबानी के साथ जोड़ने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया और बताया कि इन समागमों राही ग्रंथी और अखंड पाठक सिंहों के इलावा नौजवान पीड़ाी को गुरू ग्रंथ साहब जी की संपूर्ण संथा कराई जायेगी और सिक्ख रहित मर्यादा – सिद्धांत आदि से जानकार कराया जायेगा। उन्होंने बताया कि समागम में हिस्सा ले कर संथा प्राप्त करन वालों को गुरबानी की संचित बाँटें जाएंगी। दूर से आने वाली संगतें के लिए रेहायश का पुख़्ता प्रबंध किया गया है। उन्होंने संगतें को अधिक से अधिक संख्या में पहुँचते गुरबानी सुध संथा ले कर लाभ प्राप्त करने की अपील की। श्रोमनी समिति के पूर्व सीनियर मित्र प्रधान भाई रजिन्दर सिंह मेहता ने कहा कि सिक्खी का प्रमुख स्रोत गुरबानी है, इसी लिए पंथ दुशमण गुरबानी प्रति संके पैदा करन के लिए यतनशील हैं। उन्होंने समेत संत बाबा कशमीर सिंह जी भूरीवाले, भाई गुरइकबाल सिंह बीबी वादों जी भलाई केंद्र, चीफ़ खालसा दीवान के प्रधान स: निर्मल सिंह ठेकेदार, सरप्रस्त भाग सिंह अनखी, सचिव सविन्दर सिंह कत्थूनंगल, श्रोमनी समिति के चीफ़ सचिव एडवोकेट हरजिन्दर सिंह धामी ने बाबा हरनाम सिंह खालसा की तरफ से किये जा रहे उपरालों की शलाघा की। इस दौरान भाई अजैब सिंह अभ्यासी, श्रोमनी समिति के जनरल सचिव एडवोकेट भगवंत सिंह स्यालका, फैडरेशन प्रधान अमरबीर सिंह ढोट ने भी संगत को संबोधन किया। इस मौके सिंह साहब ज्ञानी गुरमिन्दर सिंह, संत समाज के वक्ते संत बाबा गुरभेज सिंह खुजाला, संत बाबा सजन सिंह गुरू क्या बेर साहब, बाबा दरशन सिंह टाहला साहब, जैमल सिंह, बाबा बीर सिंह भंगाली, बाबा मनमोहन सिंह भंगाली, बाबा हरकीरत सिंह, बाबा मेजर सिंह वें, बाबा प्रगट सिंह फ़िरोज़पुर, बाबा हरदेव सिंह तरसिका, बाबा जोरा सिंह बद्धनी कलाँ की तरफ से भाई हरजीत सिंह, डा: जसबीर सिंह धैर्यवान, संत बाबा सुखविन्दर सिंह मलकपुर, भाई राजदीप सिंह अर्जक, रजिन्दर सिंह मरवाहा प्रधान व्यापार मंडल, शमशेर सिंह जेठूवाल, ज्ञानी परविन्दर पाल सिंह बुट्टर, जत्थे सुखदेव सिंह आनंदपुर, ग्यान. जीवा सिंह, ज्ञानी साहब सिंह, संत बाबा सुरजीत सिंह मैहरोवाले, जत्थे: तरलोचन सिंह, ज्ञानी सुखविन्दर सिंह,अवतार सिंह बुट्टर, हरशदीप सिंह, गगनदीप सिंह फैडरेशन मेहता, डा: धर्मवीर सिंह, जगजीत सिंह खालसा, भाई हीरा सिंह मनेहाला, भाई सतनाम सिंह जवदी कलाँ, भाई सन्दीप सिंह हजूरी रागी, ज्ञानी गुरलाल सिंह, ग्यान. जसबीर सिंह, रणजीत सिंह,सुखराज सिंह, बाबा सुरजीत सिंह, संत बाबा सुखदेव सिंह भुच्चो रूमी वाले की तरफ से भाई अमनदीप सिंह,सुखदेव सिंह भूरा कोना सचिव श्रोमनी समिति, कुलविन्दर सिंह मित्र सचिव, गुरविन्दर सिंह मैनेजर श्री दरबार साहब, सुखराज सिंह चक्क मिशरी खान मैनेजर बाबा शहीदें, गुरप्रीत सिंह मित्र मैनेजर, भाई रणजीत सिंह चविंडा, जुगराज सिंह बांये राजपूतों, तजिन्दर सिंह साँस, और पिरो: सरचांद सिंह भी मौजूद थे।