सिक्खी के लिए बहरूनी हमले ही नहीं बल्कि अंदरूनी हमले बढ़ घातक हैं: भाई महता

कल्याण केसरी न्यूज़ अमृतसर 21 अप्रैल : सिक्ख पंथ की सिरमौर जत्थेबंदी दमदमी टकसाल (जत्था भिंडरें मेहता) की तरफ से धन धन साहब श्री गुरु तेग़ बहादुर साहब जी महाराज के 400 वर्ष पवित्र प्रकाश पर्व को समर्पित गुरुद्वारा शहीद गंज साहब बाबा दीप सिंह जी पहले प्रमुख दमदमी टकसाल), अमृतसर साहब में धन श्री गुरू ग्रंथ साहब जी दे आरंभ हुए संपूर्ण सुध पाठ ज्ञान समागम आज सम्पन्न हो गया है।दमदमी टकसाल के प्रमुख और संत समाज के प्रधान संत ज्ञानी हरनाम सिंह खालसा का नेतृत्व’च
श्रोमनी गूह: प्रबंधक समिति के सहयोग के साथ यह पाठ ज्ञान समागम 10 मार्च को आरंभ हुआ था।
पिरो: सरचांद सिंह अनुसार इस मौके श्री अकाल तख़्त साहब के कार्यकारी जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने दमदमी टकसाल के वें पाठ ज्ञान समागम को संबोधन करते दमदमी टकसाल के प्रमुख संत ज्ञानी हरनाम सिंह खालसा की तरफ से सिक्ख पंथ की चढ़दीकला और राष्ट्रीय फ़र्ज़ों के पंथक प्रयोजन के इलावा गुरूधामों की सेवा संभाल, गुरबानी संथा, प्रचार और पसार की तरफ ख़ास ध्यान देने जैसे किये जा रहे विशेश उपरालों की शलाघा की। सुध पाठ ज्ञान समागमों की अहमीयत पर रौशनी डालते उन कहा कि दमदमी टकसाल अपने स्थापना के समय से ही गुरबानी लिखने, उच्चारण और व्याख्या की तरफ विशेश ध्यान के रही है। पंथ विरोधी सक्ते बारे समझने के लिए पाठ ज्ञान समागम की अहमीयत ओर बढ़ जाती है। श्री दरबार साहब के हैड ग्रंथी ज्ञानी जगतार सिंह ने कहा कि गुरबानी अदब के क्षेत्र में दमदमी टकसाल की कौम को बहुत बड़ी देने है, इस के विद्वानों ने गुरबानी सुध उच्चारण को संभाल कर रखा है। उन पुरातन सरूपों की सेवा संभाल प्रति गंभीरता दिखाने और जागरूक होने की अपील की। तख़्त श्री केसगढ़ साहब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि संकल्प के प्रेक्षक होना ही शताबदी समागमों का असली हासिल हो सकता है। उन गुरबानी और गुर इतिहास की महानता को झुठलाउना पर लगे हुए पंथ दुर्भावनापूर्ण और स्वार्थी लोगों प्रति सचेत रहने की संगत से अपील की। दमदमी टकसाल के प्रमुख संत ज्ञानी हरनाम सिंह खालसा ने कहा कि हृदय की शुद्धता और निर्मलता के लिए गुरबानी के सूक्ष्म गहराईयाँ को समझने और सुध ज्ञान का ज्ञान ज़रूरी है।

सही उच्चारण आधार गुरबानी के सही अर्थों को समझा नहीं जा सकता है। अनर्थ से बचने के लिए वाणी सुध उच्चारण और समझ के साथ पढ़ी जानी चाहिए। उन कहा कि गुरूधामों की सेवा संभाल, गुरबानी प्रचार प्रसार और सुध उच्चारण की सेवा निरंतर जारी रहेगी। उन नौजवान पीढ़ी को गुर इतिहास और गुरबानी के साथ जोड़ने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया और बताया कि जहाँ सैंकड़े प्राणीयों को इस पाठ ज्ञान समागम में हिस्सा लिया वहाँ ही लाखों प्राणीयों की तरफ से आन लाईन हाज़री कोमल कर समागम से लाभ लिया गया है। सिक्ख कौम में सुध पाठ प्रति आए असावधानी पर चिंता प्रकट करते उन कहा कि संगत जागरूक होने साथ ग्रंथी और अखंड पाठक सिंहों में से गुरबानी उच्चारण प्रति असावधानी दूर होगा। उन संगत को पाठ ज्ञान प्रति दूसरे संगतें जिज्ञासू में प्रचार निरंतर जारी रखने की अपील की। उन बताया कि दमदमी टकसाल की तरफ से श्री गुरु ग्रंथ साहब जी के करीब 1000 अंग तक का शब्दसूची तैयार की जा चुकी है और बाकी पर कार्य जारी है। श्री अकाल तख़्त साहब के पूर्व जत्थेदार भाई जसबीर सिंह खालसा ने कहा कि जब भी कौम पर भीड़ बनी या किसी ने ललकारा दमदमी टकसाल ने हमेशा आगे ढिंढोरे लड़ाई लड़ी है। श्रोमनी समिति के पूर्व सीनियर मित्र प्रधान भाई रजिन्दर सिंह मेहता ने कहा कि सिक्खी के लिए बहरूनी हमले ही नहीं बल्कि अंदरूनी हमले बढ़ घातक हैं। सिक्खी का प्रमुख स्रोत गुरबानी है, इसी लिए पंथ दुशमण गुरबानी प्रति संके पैदा करन के लिए यतनशील हैं। श्रोमनी समिति के मुख्य सचिव एडवोकेट हरजिन्दर सिंह धामी ने कहा कि तर्कवादी लोग की संकल्प का उल्लंघन कर कर नयी रास्ते पहनने की कोशिश कामयाब नहीं होगी। समागम को दूसरे के इलावा सिंह साहब ज्ञानी अमरजीत सिंघ, सिंह साहब ग्यानी गुरमिन्दर सिंह, भायी अजैब सिंह अभ्यासी, जनरल सचिव एडवोकेट भगवंत सिंह स्यालका, भायी अमरजीत सिंह चावला, संत चरनजीत सिंह जस्सोवाल, बाबा कशमीर सिंह भूरीवाले कारसेवा, बाबा बुद्ध सिंह छोटे घुंमणें वाले, भायी गुरइकबाल सिंह बीबी वादा जी भलाई केंद्र ने भी संबोधन किया। स्टेज की सेवा ज्ञानी जीवा सिंह और ज्ञानी साहब सिंह ने निभाई। बाबा सुखविन्दर सिंह मलकपुर, भाई राजदीप सिंह अर्जक, भाई मनजीत सिंह, स: बावा सिंह गुमानपुरा, भाई राम सिंह, ग्यान. सरबजीत सिंह ढोटियें, भाई अमरबीर सिंह ढोट प्रधान फैडरेशन मेहता, संत बाबा गुरभेज सिंह खुजाले वाले वक्ता संत समाज, संत बाबा सविन्दर सिंह टाहली साहब, सचिव स: सुखदेव सिंह भूराकोना, संत बाबा अजीत सिंह तरना दल, बाबा मेजर सिंह वें, संत बाबा सुरजीत सिंह महरो वाले, मैनेजर सुखराज सिंह, मैंने: गुरप्रीत सिंह, सरपंच अमर सिंह मदरे, स: जोगिन्द्र सिंह, बाबा गुरदेव सिंह तरसिका, मनदीप सिंह जौहल, गगनदीप सिंह फैडरेशन मेहता, गुरविन्दर सिंह गुरदासपुर फैडरेशन ग्रेवाल, भाई शमशेर सिंह जेठूवाल, हरशदीप सिंह, अवतार सिंह बुट्टर, भाई सतनाम सिंह, जत्थेदार सुखदेव सिंह, महंत तरलोचन सिंह, ज्ञानी परविन्दर पाल सिंह बुट्टर, प्रकाश सिंह, संत लाल दास जी उदासी संप्रदाय वाले भी मौजूद थे।

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