कल्याण केसरी न्यूज़ मेहता चौक, 6जून : दमदमी टकसाल के वें प्रमुख अमर शहीद संत ज्ञानी जनरल सिंह जी ख़ालसा भिंडरावालों और जून’84 के सर्वनाे के समूह शहीदों की पवित्र याद को समर्पित वें महान शहादत समागम दमदमी टकसाल के हैड कुआरटर गुरुद्वारा गुर दर्शन प्रकाश मेहता में दमदमी टकसाल के प्रमुख और संत समाज के प्रधान संत ज्ञानी हरनाम सिंह ख़ालसा की योग्य नेतृत्व में पूरी श्रद्धा भावना, उत्साह और चढ़दीकला के साथ मनाया गया।
कोरोना महामारी के बावजूद सिक्ख संगतें की तरफ से पूरी विवरे में रहते शहादत सप्ताह के समागमों उपरांत आज भी शहादत समागम में हज़ारों की संख्या में अपने आप सम्मिलन करते शहीदों को श्रद्धा के फूल भेंट किये गए।
इस मौके श्री अकाल तख़्त साहब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने सिक्ख कौम को’84 दौरान भारत की अपने आप बना लोकतंत्र की ज्यादतियों और हड्डी भोगी ज़ुल्मों की दास्तान प्रति आने वाली नसलों को ज्ञान कराने के लिए इतिहास को लिखित करन और मौखिक रिकार्डिंग करन की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। मेहता में चढ़दीकला के साथ मनाए गए वें महान शहादत समागम में हज़ारों संगतें ने अपने आप पहुँच कर दी श्रद्धाँजलि।उन्होंने कहा कि दमदमी टकसाल कौम की चढ़दीकला के लिए अगुआ रोल अदा करती आई है। उन्होंने संत ज्ञानी हरनाम सिंह ख़ालसा की तरफ से पंथ को एक लड़ी में पिरोने के लिए डाले जा रहे योगदान की श्लाघा की। सरचांद सिंह ख्याला अनुसार दमदमी टकसाल के प्रमुख बाबा हरनाम सिंह ख़ालसा ने मुखवाक की कथा दौरान जून’84 के समूह शहीदों को श्रद्धाँजलि भेंट करते बीसवीं सदी के महान सिक्ख जनरल संत ज्ञानी जर्नैल सिंह ख़ालसा भिंडरावालों का नेतृत्व में सिक्ख कौम की आन शान और गुरूधामों की चौकीदारी के लिए अपना आप बार गए शहीद भाई अमरीक सिंह प्रधान आल इंडिया सिक्ख स्टूडैंट्स फेडरेशन, जत्थेदार बाबा ठाहरा सिंह, जनरल भाई सुबेग सिंह आदि के परोपकार से जानकार करवाया। उन मौत को मखौलों करन वाले संत भिंडरावालों की उच्च रूहानी अवस्था, धार्मिक प्राप्तियाँ और बलियों वाले जीवन संघर्ष पर रौशनी पाई। उन कहा कि संत भिंडरावालों और साथियों ने 6दिन 6रातें भूषण भाने रह कर भी हमलावर फ़ौज के 72 घंटे तक पैर नहीं लगने दिए। कौम के लिए सिर उठाने वालों को कुचलने के लिए कई तरह के हमले किये जाते रहे। उन कहा कि संत भिंडरावालों की शख्सियत और वचन का प्रभाव न केवल आज तक भी देखा जा सकता है बल्कि उस की चमक दिन दिन बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि सिक्ख संघर्ष को फैल करन के लिए सरकार की तरफ से संतों को कई लालच दिए गई परन्तु संतों ने कभी इस की परवाह नहीं की इसी लिए संतों की तस्वीर हर सिक्ख के हृदय में उकेरी गई है। उन्हें ऐसा अतुल इतिहास सृजन करा जिस ऊपर आने वाली पीड़ाीया सदा मान करेंगी।इस मौके श्री दरबार साहब के हैड ग्रंथि सिंह साहब ज्ञानी जगतार सिंह ने कहा कि दमदमी टकसाल की पंथ को बहुत बड़ी देने है। गुरबानी प्रचार प्रसार, शहादतों और ऐतिहासिक गुरूधामों की सेवा संभाल जैसे हर क्षेत्र में टकसाल आगे रही है। उन्हें कहा कि संत जी ने चढ़ कर आई फ़ौज का दिलेरी और रवायत अनुसार मुकाबला करते दुश्मन के दाँत खट्टे किये। आज उन की विचारधारा पर पहरा देने की बड़ी ज़रूरत है। उन्हें भारत में कम संख्या सिक्खों पर हो रहे नसली हमलों प्रति चिंता ज़ाहर की। उन समुच्चय कौम को एक प्लेट फार्म पर एकत्रित होने का ढिंढोरा दिया।तख़्त श्री केसगढ़ साहब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि संत भिंडरांवाले राष्ट्रीय नायक, कहनी और कथनी के पूरे थे, जिन लाखों प्राणीयों को अमृत छका कर गुरू के पल्ले लगाया। उन कहा कि हिंद हकूमत ने जून’84 दौरान श्री हरिमन्दर साहब और श्री अकाल तख़्त साहब पर तोपें टैंकों के साथ हमला कर कर बुज़ुर्गों प्याराे और बे तक को गोलियों का निशाना बनाया।
इस मौके बुड़ैल जेल चण्डीगढ़ से बेअंत सिंह कत्ल केस में बंद भाई परमजीत सिंह भ्योरा और भाई जगतार सिंह तारा की तरफ से दमदमी टकसाल के प्रमुख को कौम के नाम संदेश भेज वालों सर्वनाश के समूह शहीदों को श्रद्धाँजलि भेंट की। यह संदेश भाई भ्योरा के भ्राता भाई अवतार सिंह की तरफ से लाया गया।
श्री अकाल तख़्त साहब के पूर्व जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह ने कहा कि दमदमी टकसाल के प्रमुख संत बाबा हरनाम सिंह ख़ालसा ने’84 के शहीदों के इतिहास को दृश्य करन के लिए शहादत यादगार की उसारी करवाई। उन्होंने कहा कि आज वाणी और बानो का प्रचार समय की ज़रूरत है और दमदमी टकसाल ने पाठ ज्ञान समागमों के द्वारा संगत को गुरबानी के साथ जोड़ा है।
श्री अकाल तख़्त साहब के पूर्व जत्थेदार भाई जसबीर सिंह गंजे ने कहा कि संत जर्नैल सिंह ख़ालसा भिंडरावालों ने कौम की आत्म सम्मान और शान के लिए लड़ाई के लिए और अपनी बलि दे कर सूती कौम को जगाया। उन्होंने कहा कि इस कलगीधर के सुपुत्र ने दुनिया को यह भी बता दिया कि सिक्ख न केवल अठारहवीं और उन्नीसवीं सदी में ज़ालिम हकूमतों के तख़्तों को हिलाते रहे बल्कि वह अब भी हर हालत में ज़ालिम हकूमतों के तख़्तों को हिलाने की सामर्थ्य रखते हैं।
शिरोमणी समिति के की तरफ़ से बोलते शिरोमणी समिति के सीनियर मित्र प्रधान स: सुरजीत सिंह भिटेवड ने कहा कि ज्यूंदियें कौमों अपने शहीदों को याद किया करती हैं। उन्होंने जून’84 दौरान इंद्रा हकूमत की तरफ से श्री दरबार साहब पर किये गए हमलो की निषिद्धता करते इस को ज़ालिमाना करार दिया।
शिरोमणी समिति के मुख्य सचिव और मैंबर हरजिन्दर सिंह धामी ने कहा कि दमदमी टकसाल को वाणी की महारत गुरू साहब ने स्वामी है। उन्होंने कहा कि संत जनरल सिंह ख़ालसा भिंडरावालों ने अपनी ख़ून के साथ कौम की रूह को सींचा और संत हरनाम सिंह ख़ालसा पंथ के बड़े कार्य और बड़ी जंिमेवारियें बाखूबी निभा रहे हन।
इस मौके समूह निहंग सिंह जत्थेबंदियाँ की तरफ से संत बाबा निहाल सिंह हरी वेलें वाले, समूह नानकसर संप्रदाय की तरफ संत बाबा हरी सिंह नानकसर वाले, भाई आनंद बाज़ सिंह नानकसर समराला चौक, राड़ा साहब संप्रदाय से भाई बलदेव सिंह ने दमदमी टकसाल के प्रमुख संत गी: हरनाम सिंह ख़ालसा की तरफ से निभाईआं जा रही सेवाओं की श्लाघा की। उन सिक्खी बानो में सिक्खी सिद्धांतों, वाणी और बाने को निशाना बना रहे बहुरूपीए प्रचारकों प्रति सचेत और सावधान रहने के लिए कौम से अपील की।उन्होंनेकहा कि समय की हकूमतों सिक्ख कौम को मलियामेट करन के लिए यतनशील रही हैं और जून’84 का हमला भी इसी मनशे के साथ किया गया था। उन बताया कि संत भिंडरावालों पर कोई केस दर्ज नहीं थे। उन्होंने कहा कि इंद्रा हकूमत ने सिक्ख कौम और दमदमी टकसाल को मिटाने की तहई्ईआ किया हुआ था। परन्तु संत जी और साथियों ने हमलावर फ़ौज और अत्याचारी हकूमत के सब भ्रे दूर कर दिए थे। नामवर सिक्ख प्रचारक बाबा बंता सिंह लड़का गाँव ने कहा कि’८४ का हमला हकूमत की तरफ से सिक्खों का सुराग -खोज मिटाने की कार्यवाही थी। सरकार सर्वनाे राही सिक्खों का हत्याकांड करते सर्व नाश करना चाहती थी। उन्होंने कहा कि देश की बहुसंख्यक भाईचारा यह भूल रहा है कि देश की आज़ादी के लिए सिक्खों ने ੯० प्रतिशत बलियों की हैं। अगर सिक्ख इतनी बड़ी बलि न करते तो आज हिंदुस्तान का नक्शा ओर होता और भारत उन का भी न होता। उन्होंने कहा कि संत भिंडरावालों ने बराबर हकों की बात की थी। हम बराबर शहरी वाला रुतबा चाहते हैं। अगर दूसरे दर्जो का शहरी बनाई रखना है तो हमें अलग कर दिया जाये। उन्होंने कहा कि चढ़ कर आए हुए को खाली नहीं जा दिया। इस मौके आए मेहमानों, संतों महापुरुषों और नेताओं को सम्मानित किया गया अते
इस मौके सिंह साहब ज्ञानी अमरजीत सिंह, भाई रजिन्दर सिंह मेहता, एडवोकेट भगवंत सिंह स्यालका जनरल सचिव शिरोमणी समिति, भाई अमरजीत सिंह चावला, भाई गुरचरन सिंह ग्रेवाल, भाई राम सिंह ने भी संबोधन किया। स्टेज की सेवा ज्ञानी जीवा सिंह, ज्ञानी परविन्दरपाल सिंह बुट्टर और ज्ञानी साहब सिंह ने निभाई।
इस मौके भाई ईशर सिंह, ज्ञानी हरमितर सिंह, भाई अजैब सिंह अभ्यासी,बाबा चरनजीत सिंह जस्सोवाल, भाई जगतार सिंह गंजे, भाई अमरबीर सिंह ढोट, चीफ़ सचिव स: गुरमीत सिंह, संत बाबा महेन्दर सिंह जनेर, बाबा सवरनजीत सिंह तरना दल, संत बाबा हाकम सिंह गंडा सिंह, बाबा हरजिन्दर सिंह, माता जसप्रीत कौर माहलपुर, बाबा सतीन्द्र सिंह मुकेरियाँ, बाबा अवतार सिंह टाहला साहब, भाई सुल्तान सिंह अर्जक, संत बाबा मोहन सिंह भंगाली, बाबा हजूर सिंह बागड़िया, संत बाबा बीर सिंह भंगाली, बाबा मेजर सिंह वें, बाबा सजन सिंह गुरू कर बेर साहब, महंत भुपिन्दरगिरी, महंत वरिन्दर मुनि, बाबा प्रभजोत सिंह जफ्फळ झिगड़, संत बाबा गुरजीत सिंह नानकसर, संत बाबा मेवा सिंह खडूर साहब, संत बाबा सतनाम सिंह जफरवाल, संत बलबीर दास जी उदासीन, संत बाबा मान सिंह मंडियों वाले, ज्ञानी हीरा सिंह मन्याला,ज्ञानी तेजपाल सिंह कुरकशेतर, एडवोकेट अनुराधा भार्गव, बाबा जोरा सिंह बधनी, भाई जगरूप सिंह चीमा, संत बाबा सूखा सिंह सरहाली, संत बाबा रघबीर सिंह ख्याला वाले, स: कश्मीर सिंह पटियाला, भाई गुरमीत सिंह मुक्तसर, ज्ञानी रछपाल सिंह मेहता, संत बाबा सुरजीत सिंह महरोवाले संत बाबा गुरदयाल सिंह टांढा, संत बाबा सतीन्द्र सिंह मुकेरियाँ, संत बाबा कर्म जीत सिंह टिब्बा साहब, महंत शेर सिंह निर्मल डेरा, संत बाबा गुरभेज सिंह खजाला वक्ता संत समाज, संत बाबा सविन्दर सिंह टाहली साहब, संत बाबा दिलबाग सिंह आरडके, संत बाबा सतनाम सिंह किला अनन्दगड़, बाबा दर्शन सिंह टाहला साहब, बाबा सुखविन्दर सिंह मलकपुर, संत बाबा हाकम सिंह गंडा सिंह वाला, बाबा गुरदेव सिंह तरसिका, बाबा हरजिन्दर सिंह बाघापुराना, भक्त बाबा मिलखा सिंह अरमानपुरा, ज्ञानी कुलदीप सिंह, पूर्व विधायक अजैपाल सिंह मीरांकोट, संत बाबा सुरजीत सिंह घनूघड़ी, ज्ञानी कुलविन्दर सिंह भोगपुर, भाई बिन्दर सिंह, भाई रणजीत सिंह फेडरेशन भिंडरांवाला, भाई बलबीर सिंह मुच्छल, भाई सुखजीत सिंह टपयी, भाई परमजीत सिंह अकाली, परितपाल सिंह बरगाड़ी, ज्ञानी गुरलाल सिंह, भाई प्रदीप सिंह, रागी भाई कारज सिंह, भाई भुपिन्दर सिंह शेखूपुरा,स: तरलोक सिंह बाठ, सन्दीप सिंह ए आर, चेयरमैन गुरमीत सिंह नंगली, भाई प्रगट सिंह सखीरा, भाई बलविन्दर सिंह तरन तार, भाई जगतार सिंह श्री दरबार साहब, भाई जोगा सिंह तरन तार, रछपाल सिंह गौना, सरपंच रविन्दरपाल सिंह सूसें, सुखविन्दर सिंह, भाय. शमशेर सिंह जेठूवाल, अवतार सिंह बुट्टर, हरशदीप सिंह रंधावा, बलदेव सिंह संधू, जतिन्दर सिंह जेठूवाल, जसपाल सिंह सिद्धू मम्बयी, परमजीत सिंह गिल, बाबा गुरमीत सिंह बदोवाल, प्रमिन्दर सिंह ढीगरा और पिरो: सरचांद सिंह आदि भी मौजूद थे।