कल्याण केसरी न्यूज़ मेहता चौक, 29 जून : दमदमी टकसाल के बारहवें प्रमुख पंथ रत्न संत ज्ञानी गुरबचन सिंह खालसा भिंडरावालों की वीं बरसी पर सालाना जोड़ मेला दमदमी टकसाल के हैडक्वाटर गुरुद्वारा गुरदरशन प्रकाश मेहता में पूरी श्रद्धा भावना के साथ मनाया गया। इस मौके संबोधन करते दमदमी टकसाल के प्रमुख संत ज्ञानी हरनाम सिंह खालसा भिंडरावालों ने सिक्ख कौम को दरपेश मामलों के हल के लिए सिर जोड़ कर बैठने और संकल्प की सांझ पहनने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। पिरो सरचांद सिंह मुताबिक उन कहा कि दमदमी टकसाल पंथ की रूह है, जिस बाबा दीप सिंह जी शहीद के समय से पंथ को समर्पित हो कर और निशकाम रह कर कौम की सेवा की। अंग्रेज़ राजकाल में भी इस जत्थेबंदी ने गुरुद्वारा सुधार लहर में अहम योगदान डालने के इलावा ज़ालिम सरकार ख़िलाफ़ संगत को लामबंद करन के लिए संकल्प दीवान सजाए गए। दमदमी टकसाल की तरफ से संगत को जागरूक करन का यह कार्य वीं सदी में भी और अब तक भी निरंतर जारी है। उन संत ज्ञानी गुरबचन सिंह जी खालसा के जीवन बारे रौशनी डालते कहा कि महांपुरशों का जीवन हमारे लिए प्रेरणा स्रोत हैं, आप जी उच्च कोटी के काव्य ज्ञाता और नाम रस में भीगी हुई महान आत्मा, चलती -फिरती यूनिवर्सिटी थे और संकल्प मर्यादा पर पूर्ण पहरा देने वाले थे। जिन हज़ारों सिंहों को संकल्प विद्या पढ़ाने, गुरबानी की सुध संथा और अर्थ पढ़ाने की निशकाम सेवा और ज़िम्मेदारी अन्तिम श्वासों तक निभाउंद्यें अनमोल ख़ज़ाना बँटा। महा पुरुषों के परउपकारों की बात करते ओुनें कहा कि संत ज्ञानी गुरबचन सिंह जी ने 40 साल हिंदुस्तान के कोना कोना विचर कर गुरबानी कथा के द्वारा संगतें को श्री गुरु ग्रंथ साहब जी के साथ जोड़ा। अनेकों नौजवानों से नसा छुडाउण और अनेकों को अमृत छकाया। उन देहधारी गुरू कुछ देकर छुटकारा पा का सख़्त विरोध किया और पंथ में जागृति पैदा की। जिन के नक्से कदमों और संत ज्ञानी करतार सिंह जी खालसा, संत ज्ञानी जर्नैल सिंह जी खालसा भिंडरांवाले चले और कौम को नेतृत्व दी। इस मौके बोलते श्री अकाल तख़्त साहब के पूर्व जत्थेदार भाई जसवीर सिंह खालसा ने कहा कि सिक्ख कौम के महान रुतबे हमारे लिए आदरणीय हैं परन्तु इन ओहदों पर बैठे कुछ व्यक्तियों की राष्ट्रीय फ़र्ज़ों प्रति असावधानी कौम की चढ़दीकला में रुकावटों पैदा कर रही हैं। उतना ज़िम्मेदार व्यक्तियों को घट रही घटनाएँ विशेश कर कर बेअदबियें की तरफ सख़्त ध्यान देने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। उन कहा कि समुच्चय कौम इतना विशेश व्यक्तियों का इसी कर कर सम्मान करती हैं क्योंकि इन्हों ने ही मीरी बुढ़ापा के सिद्धांत की चौकीदारी और पहरवायी करनी होती है। उन जत्थेदार श्री अकाल तख़्त साहब ज्ञानी हरप्रीत सिंह को सामने होते कहा कि अगर जत्थेदार साहब अपनी, ज़िंमेवारियें से लापरवाह होगा या किसी घटना प्रति परदापोशी करेगा तो यह पंथक भावनायों के साथ इंसाफ़ नहीं होगा।
इस मौके सिंह साहब ग्यान. चरन सिंह पूर्व ग्रंथी श्री दरबार साहब ने संत ज्ञानी हरनाम सिंह खालसा की तरफ से पंथ की सेवा में डाले जा रहे योगदान की शलाघा की। इस मौके इस मौके महापुरुषों का जुदाई न बरदाश्त करते उन के पवित्र अंगीठो में अपना आप कुर्बान करते सच्चखंड प्याना करन वाले भाई गुरमुख सिंह उड़ीसा को भी याद किया गया। इस मौके श्रोमनी समिति के धर्म प्रचार समिति मैंबर भाई अजायब सिंह अभ्यासी, रागी भाई राम सिंह मैंबर श्रोमनी समिति भाई जगतार सिंह गंजे, ज्ञानी जीवा सिंह, ज्ञानी साहब सिंह, ज्ञानी परविन्दर पाल सिंह बुट्टर, भाई सुरजीत सिंह अर्जक, बाबा मेजर सिंह बेर साहब, बाबा गुरदेव सिंह तरसिका, बाबा गुरभेज सिंह खुजाला, बाबा अजीत सिंह प्रमुख तरना दल, बाबा गुरदयाल सिंह लंगेआना, बाबा जसपाल सिंह खटिया साहब, भाई इकबाल सिंह तुंग, ज्ञानी बलविन्दर सिंह गंजे, ज्ञानी रशपाल सिंह, भाई रणजोध सिंह, भाई गुरदेव सिंह बड़्याना, भाई मनदीप सिंह जौहल, जत्थे: सुखदेव सिंह, जत्थे: तरलोचन सिंह, भाई चमकौर सिंह, शमशेर सिंह जेठूवाल, जत्थे: सुखदेव सिंह कुहार, जत्थे: तरलोक सिंह, भाई जर्नैल सिंह, भाई गुरसेवक सिंह, भाई कारज सिंह मोदे, सरपंच बलदेव सिंह पति पंधेर, भाई हीरा सिंह मन्याला, सरपंच कशमीर सिंह काला, डा गुरप्रताप सिंह, प्रिय गुरदीप सिंह रंधावा, जत्थे: बोहड़ सिंह, हरजिन्दर सिंह सरपंच मेहता, सरपंच तरसेम सिंह ताहरपुर,लखविन्दर सिंह सोना, हरशदीप सिंह रंधावा, अवतार सिंह बुट्टर, भाई मनजिन्दर सिंह गिल, जगदीश सिंह बमराह और पिरो सरचांद सिंह मौजूद थे।
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