प्रधान मंत्री अपने दौरों के लिए अरबो रुपए का जहाज़ तैयार करवा रहे है

कल्याण केसरी न्यूज़ , 20 जुलाई: ‘‘जब उतर गई लोई, तो क्या करेगा कोई ’ वाली नीति अपना कर भारत को चला रहे हैं देश की सतह और काबिज़ राजनीतिज्ञ। देश के लोग भुखमरी का शिकार हैं, रहने के लिए मकान नहीं, परन्तु देश का प्रधान मंत्री जागीरदार देश की तर्ज़ और अरबें रुपए ख़र्च कर अपने सफ़र के लिए आलीशान जहाज़ तैयार करवा रहा है। इस अहम मामले और अपना प्रतीकर्म प्रकट करते था पी आई ऐम्म पंजाब के सचिव का: सुखविन्दर सिंह सेखों ने कहा कि निघ्घर रही देश की अर्थ व्यवस्था और विकास दर से आँखें बंद कर कर जागीरदार मुल्क के नक्शे कदमों और चलने की बराबरी देश और लोगों के लिए घातक है। जागीरदार देश अमरीका के राष्ट्रपति की तरफ से अपने सफ़र के लिए एक आलीशान जहाज़ ‘एयर फोर्स 1’ इस्तेमाल करा जाता है। जिस में उसका दफ़्तर, रसोई, आराम करन के लिए कमरा, बातचीत करन के लिए ड्राइंग रूम आदि सब सहूलतें हैं। कुछ समय पहले जब अमरीका का रास्टरपती भारत के दौरे पर आया तो उसके इस जहाज़ बारे मीडिया में भी बहुत प्रचार हुआ था। भारत के प्रधान मंत्री नरिन्दर मोदी की इच्छा भी ऐसे जहाज़ में सफ़र करने की उठ खड़ी। अब भारत के प्रधान मंत्री के सफ़र के लिए अमरीका की एक कंपनी की तरफ से उसी तर्ज़ और ‘एयर फोर्स 1’ जहाज़ तैयार करवाया गया है। ऐसा एक ओर जहाज़ दिसंबर तक तैयार हो कर आ जायेगा। इन दोनों जहाजों और 8500 करोड़ रुपए ख़र्च आने का अनुमान है।इस जहाज़ में 350 व्यक्तियों के बैठने के लिए सीटों हैं, यह 300 टन वज़न लिया सकता है और बगैर रुे 15000 किलोमीटर का सफ़र तह कर सकता है। इस जहाज़ में प्रधान मंत्री के काम करन के लिए दफ़्तर, आराम करन के लिए बैड रूम, मीटिंग करन के लिए ड्राइंग रूम समेत सुरक्षा का भी पूरा इंतज़ाम किया गया है, यदि इस की ओरई मिज़ायल दाग़ी जाये तो जहाज़ में फिट राडार की मदद के साथ उसको रोका जा सकता है। इस जहाज़ को प्रधान मंत्री के इलावा देश का रास्टरपती भी इस्तेमाल कर सकेगा। ऐसा एक ओर जहाज़ दिसंबर तक तैयार हो कर आ जायेगा।देश को आज़ाद हुए सात दशकों से अधिक समय हो गया है, उस समय से दर्जनों प्रधान मंत्री बन चुके हैं और वह दुनिया भर के दौरे करते रहे हैं। अमरीका एक अमीर देश है वहाँ के लोग ख़ुशहाल हैं, वह ऐसे जहाज़ के लिए समर्थ हैं, परन्तु उसकी बराबरी करन से पहले यह विचारना भी ज़रूरी है कि क्या भारत अपने देश की जनतों की हालत अनुसार ऐसीं सहूलतें मानने का हकदार है और समर्थ है? पिछले 44 सालों दौरान देश की अर्थ व्यवस्था में सब से अधिक गिरावट आई है। ग्लोबल इक्नामिक फारकासिंटग एजेंसी आक्सफोर्ड इकनामिकस की रिपोर्ट अनुसार भारत की यह रफ़तर 11 प्रतिशत से कम कर साढ़े 9प्रतिशत रह गई है। संसार बैंक की रिपोर्ट अनुसार आर्थिक विकास दर 2021 में 8.3 और 2022 में 7.5 रहने की उम्मीद है। दूसरे तरफ़ अमरीका की आर्थिक विकास दर 33.1 प्रतिशत है, जो पिछले 70 सालों दौरान सब से तेज दर है।भारत के लोग अति गरीबी वाला जीवन बहुत प्रयोग कर रहे हैं, पेट भरने के लिए खाना नहीं मिल रहा, सिर ढक्कन के लिए छत नहीं, तन ढक्कन के लिए ज़रूरत मुताबिक कपड़ा नहीं है। ज़िंदगी मौत के साथ जूझ रहे मरीजों के लिए दवाएँ नहीं तो मृतकों के ससकार करन के लिए लक्कड़ें नहीं मिल रही। देश की इस अति बुरी और चिंतजनक हालत के बावजूद सतह और काबिज़ लोग सिर्फ़ अपनी, अयाशी वाली सहूलतें मानने में व्यस्त हुए हैं। सुबाई सचिव का: सुखविन्दर सिंह सेखों ने कहा कि राजसत्त्हा भोग करने वाली वालों के लिए ऐसे आलीशान जहाजों का सफ़र तब ही फबता है जब देश के लोग ख़ुशहाल होने। उन्होंने कहा कि प्रधान मंत्री मोदी को अमरीका जैसे देशों जैसी सहूलतें मानने की बजाय अपने देश के लोगों की तरफ ध्यान देना चाहिए। लोगों को रोटी, कपड़ा, मकान समेत शिक्षा और सेहत सहूलतें मुहैया करवानी चाहीऐ हैं। ऐसीं सभी सहूलतें अमरीका जैसे देश अपने लोगों को मुहैया करते हैं, यदि भारत के प्रधान मंत्री ने बराबरी करनी है तो ऐसीं सहूलतें देने की करनी चाहिए।

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